Wednesday, August 29, 2012

Both Kasab & Afzal Guru should be hanged immediately Bharat now should cut off all ties with Pakistan




New Delhi, August 29, 2012

Demanding immediate hanging of 26/11 Jehadi terrorist from Pakistan Ajmal Aamir Kasab after Hon Supreme Court confirms Kasab’s death sentence, Dr Pravin Togadia – VHP International Working President said, “Abhinandan to Advocate Nikam, Advocate Gopal Subramaniyam & to Mumbai police for bringing the case of 26/11 jehadi attack on Mumbai to its final conclusion with a lot of hard work & brilliant logic of law. Now it is important that Kasab is hanged sooner. It is essential for the nation's security as Jehadi terrorists like Kasab, Afzal Guru etc sit in Bharat's jails manipulation Bharat's judicial & democratic systems against Bharat to delay their death sentence. Using their presence there the jehadi groups can put Bharat in danger again the way they did during Kandhar time or any other way. Therefore, as an exception, those who waged war against Bharat from Pakistan or supported by Pakistan should not benefit from Bharat's liberal democratic judiciary. They should be hanged immediately. Now that Hon Supreme Court has upheld the death sentence to Kasab, Bharat should cut off all trade / business / diplomatic ties with Pakistan & attack Pak the way America attacked Afghanistan after 9/11. Now it also has been proven beyond doubt after Abu Jundal alias Zabiuddin Ansari’s arrest that helped by Pakistan, the local Indian modules of Jehadi terror also are operating against Bharat. Therefore the Madrasas / Institutes that preach Jehad should be closed down immediately.”
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Friday, August 17, 2012

असम में हिंसाचार : एक स्थायी उपाय


असम के कोक्राझार जिले में फूटा हिंसाचार अब रूका है. अब’ यह शब्द महत्त्व का है. वह फिर कब फूट पड़ेगा इसका भरोसा नहीं. दोनों पक्ष के लाखों लोग निर्वासित शिविरों में रह रहें हैं. कई गांव बेचिराख हुए हैं.
अंतर
इस हिंसाचार में एक पक्ष बोडो’ जनजाति का हैतो दूसरा पक्ष बांगला देश में से अवैध रूप से भारत में घुसे मुस्लिम घुसपैंठियों का है. हिंसाचार कितना भीषण होगाइसका अंदाजप्रथम प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और फिर तुरंत गृहमंत्री (अर्थात् पहले के) पी. चिदंबरम् ने इस हिंसाचारग्रस्त भाग को दी भेट से लगाया जा सकता है. और यह भी अंदाज लगाया जा सकता है किइस हिंसाचार मेंजीवित एवं वित्त हानि मुसलमानोंकी अधिक हुई होगी. बोडों की अधिक हानि हुई होतीऔर मुसलमान का पक्ष मजबूत होतातो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री निश्‍चित ही वहॉं दौडकर नहीं जाते. १९८९ में कश्मीर की घाटी में से तीन-चार लाख हिंदू पंडितों को निर्वासित होना पड़ा था. इन पंडितों पर अत्याचार कर उन्हें पलायन करने के लिए बाध्य करने में स्थानिक मुस्लिमों का ही हाथ थायह बताने की आवश्यकता नहीं. गया कोई प्रधानमंत्री उन निर्वासित पंडितों के आँसू पोछनेया तत्कालीन गृहमंत्री ने हमलावरों को नियंत्रित करने के लिए उठाए कठोर कदमनहीं. उस समय विश्‍वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री और मुफ्ति महमद सईद गृहमंत्री थे. उनकी सत्ता अधिक समय तक नहीं टिकीयह सच है. १९९१ में पी. व्ही. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने. उन्होंने निर्वासित पंडितों का हाल-चाल पूछावे तो पूरे पॉंच वर्ष प्रधानमंत्री थे. लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल में पंडितों के स्वगृह में पुनवर्सन के लिए कुछ नहीं कियाइतना ही नहींनिर्वासितों को दिलासा देने के लिए उनकी छावनियों को भेट देने का भी कष्ट नहीं किया. कारणइस मामले में अन्यायग्रस्त और अत्याचार पीडित हिंदू थे. वे मुसलमान होते तो इन लोगों का आचरण अलग होता. और वह स्वाभाविक ही कहा जाना चाहिए. कारणमुसलमानों की जैसी मजबूत व्होट बँक हैवैसी हिंदूओं की नहीं. हिंदू अनेक गुटों में विभक्त है.
क्रिया-प्रतिक्रिया
तात्पर्य यह किकोक्राझार जिले में और समीपवर्ती क्षेत्र में भी मुसलमानों की जीवित और वित्त हानि अधिक हुई. लेकिन मुसलमानों को यह प्रतिक्रिया के स्वरूप भोगना पड़ा है. हिंसक क्रिया उनकी ओर से प्रथम हुई और फिर बोडो जनजाति की आरे से उसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई. हमारे देश में एक विचित्र सेक्युलर मानसिकता बनी है. यह मानसिकता मूलत: कारणीभूत हुई क्रिया को भूल जाती है और प्रतिक्रिया पर ही आलोचना के कोडे बरसाती है. बहुचर्चित गोध्रा का ही उदाहरण ले. पहले कृति मुसलमानों की ओर से हुई. ५७ हिंदू कारसेवकों को रेल के डिब्बे में बंद करउन्हें जिंदा जलाकर मौत के घाट उतारा गया. इसकी अकल्पित तीव्र प्रतिक्रिया गुजरात के अन्य भागों में हुई. गुजराती आदमी सौम्य प्रकृति के होते हैंऐसी उनकी देशभर में प्रतिमा है. लेकिन वे भी गोध्रा के अमानुष अत्याचार से भडक उठे. और सही-गलत का विवेक गवॉंकर उन्होंने उस अत्याचार का बदला लिया. मुझे नहीं लगता किकोई भी सरकार या कोई भी राजनीतिक नेता तुरंत संपूर्ण राज्य की जनता को भडका सकता है. जनता ही भडकी. अब प्रकरण न्यायप्रविष्ठ है. अपराधियों को सजा सुनाई जा रही है. उसके समाचार भी प्रमुखता से प्रकाशित एवं प्रसारित किए जा रहे हैं. लेकिन उन ५७ निरपराध कारसेवकों कोजिन्होंने रेल रोककर जिंदा जलायाउनके विरुद्ध के मुकद्दमें का समाचार क्या हमनेसुना हैनिश्‍चित ही उस कृत्य में के अपराधियों पर मुकद्दमें चलें होंगे. उनके मुकद्दमें के फैसले का समाचार क्यों नहीं फैलतावे अपराधी मुसलमान है इसलिएप्रसारमाध्यमों ने ही इसका उत्तर देना चाहिए.
घूसखोरी
यह कुछ विषयांतर हुआ. हमारा आज का विषय है कोक्राझार में का हिंसाचार. बोडो क्यों इतने भडकेवैसे वे पहले भी भडके थे. लेकिन मुसलमानों पर नहीं. असम की सरकार पर. वे उनकी बहुसंख्या का क्षेत्र असम से अलग चाहते थे. इसके लिए उनकी एक संस्था भी स्थापन हुई थी. बोडो लिबरेशन टायगर्स’ ऐसा उस संस्था का नाम है. लेकिन समझौते से वह प्रश्‍न हल किया गया. २००३ में वह समझौता हुआ. इस समझौते के अनुसार बोडो टेरिटोरियल कौन्सिल’ (बोटेकौ) की स्थापना की गई और उसे कुछ विशेष अधिकार भी दिए गए.बोटेकौ’ में स्वाभाविक ही बोडों का वर्चस्व रहेगा. लेकिन यह वर्चस्वइस प्रदेश में के मुसलमानों को सहन नहीं होता. इस बोडोलॅण्ड के प्रदेश में कुछ स्थानीय मुसलमान भी हैं. उनमें और बोडो में झगडा नहीं. नहीं थाऐसा कहना शायद अधिक योग्य होगा. लेकिन वहॉं बांगला देश में के मुसलमान बड़ी संख्या में घुसपैंठ कर घुसे है. इन घुसपैंठियों ने वहॉं का वातावरण बिगाडा है.
सत्ता-लालची
इन मुस्लिम घुसपैंठियों ने करीब ३५ प्रतिशत सरकारी खास’ भूमि पर अतिक्रमण किया है. सरकार उस बारे में कुछ भी नहीं करती. असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का एक निर्लज्ज विधान अनेकों को स्मरण होगा ही. गोगोई ने कहा था किअसम में कोई भी अवैध घुसपैंठी नहीं. सब असम में के ही है. गोगोई से पूछना चाहिए किअसम के २७ जिलों में के ११ जिलें मुस्लिमबहुल कैसे बनेक्या वे १५ ऑगस्ट १९४७ को ही मुस्लिमबहुल थेपुराने असम का एक सिल्हट जिला मुस्लिमबहुल होने का संदेह था. वहॉं जनमत संग्रहकराया गयाऔर बहुमत पाकिस्तान के पक्ष में हुआ. वह जिला पाकिस्तान में – उस समय के पूर्व पाकिस्तान में मतलब आज के बांगला देश में – समाविष्ट किया गया. और कोई भी जिला यदि मुस्लिमबहुल होतातो पाकिस्तानी नेतृत्व उसे भारत में रहने देतागोगोई ने उत्तर देना चाहिए किबांगला देश की सीमा से सटे यह ११ जिले मुस्लिमबहुल कैसे बनेलेकिन वे उत्तर नहीं देंगे. अल्पसंख्य मुस्लिमों के व्होटबँक पर उनकी सत्तानिर्भर है. और ये लोग इतने स्वार्थी और सत्ता लालची है किसत्ता के लिए देश-हित को आग लगाने से भी नहीं हिचकेंगे.
चिनगारी
वहॉं समस्या बांगलाभाषी घुसपैंठियों की है. उनकी शिकायत है कि, ‘बोटेकौ’ पर उनका वर्चस्व नहीं है. यह तो होगा ही. जिन घुसपैंठियों का सात्म्य (assimilation) हुआ हैउन्हें नागरिकता के अधिकार हैं ही. लेकिन इतने से वे समाधानी नहीं. यह झगडे की जड़ है. और २००८ से इस झगडे ने गंभीर स्वरूप धारण किया है. अर्थात् आक्रमण मुसलमानों की ओर से ही प्रारंभ हुआ है. ऑल बोडो स्टुडंट्स युनियन’ के भूतपूर्व अध्यक्ष और राज्य सभा के भूतपूर्व सांसद यु. जी. ब्रह्म बताते है किगत दो वर्षों में दो सौ बोडो की हत्या हुई है. गोगोई साहब,आप ही बताए यह कत्तल किसने कीक्या बोडो ने ही बोडो की हत्या कीया बोडोबहुल प्रदेश में जो बिल्कुल थोडी जनजाति के लोग हैंउन्होंने बोडो की हत्या कीउत्तर साफ है. धाक जमाने के लिए मुसलमानों ने ही उनकी हत्या की. गत जुलाई माह के अंत में जो हिंसाचार हुआउसकी जड़ भी मुसलमानों के आक्रमक स्वभाव में है. घटना २० जुलाई की है. प्रदीप बोडो और उनके तीन मित्र कोक्राझार में से नरबाडी इस मुस्लिमबहुल भाग से जा रहें थे. बोडो और मुस्लिम घूसपैंठियों में तनाव था ही. इसलिए प्रदीप की पत्नी के उन्हें चेतावनी दी किवहॉं से न जाए. लेकिन प्रदीप ने उसकी बात नहीं मानी. रात ८.३० को समाचार आया कि प्रदीप और उनके तीन मित्रों की हत्या की गई है. पहले उन पर हमला किया गया. तुरंत पुलीस आई.पुलीस इन चारों को ले जा रही थी. तब मुसलमानों के जमाव ने पुलीस की गाडी रोकीउन चारों को बाहर निकाल और उन पर कुल्हाडी से वार कर उनकी हत्या की.
बदले की प्रतिक्रिया
संपूर्ण कोक्राझार जिले के साथ समीपवर्ती क्षेत्र में भी इसकी प्रतिक्रिया हुई. पहले तो मुसलमानों को लगा की यह उनके लिए एक अवसर है और उन्होंने बोडो की बस्तियों पर आक्रमण कर बोडो के अनेक घर जला डाले. कुछ बोडो ने प्रतिकार कियातो उनकी हत्या कर दी गई. फिर बोडो ने पलटकर हमला किया. गोसाईगॉंव में बोडो निर्वासितों का एक शिबिर है. उसमें फिलहाल ३४१९ निर्वासित रहते हैं. इस शिबिर का प्रमुख रूपक बसुमतराय बताता है किजब हमने हमारे ही पड़ोसियों को हमारे घर जलाते देखातब हमने भी बदला लेने का निश्‍चय किया और हमारे लोगों ने भी मुस्लिम बस्तियों पर हमले शुरू किए. उनके घर जलाए. इस प्रतिक्रिया के कारण मरनेवालों में और निर्वासितों में मुसलमानों की संख्या अधिक है. इस कारण कॉंग्रेस की सरकार में हलचल हुई और प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के दौरे के बाद पुलीस ने और उनकी सहायता के लिए गई सुरक्षा टुकडियों ने हिंसाचार रोका. फिलहाल वहॉं तनावपूर्ण शांति है. लेकिन अब बोडो कहते है किमुसलमानों को हमारे पडोसी स्वीकार करने की हमारे मन की तैयारी नहीं. इन पडोसियों ने ही हमारे घर जलाए हैं.
कुछ समय बाद यह क्षुब्ध भावनाएँ शांत होगी. प्रतिकार का आघात इतना जबरदस्त होगा इसकी कल्पना भी मुसलमानों ने नहीं की होगी. वे भी सही तरीके से रहेंगे. बोटेकौमें बोडो का ही वर्चस्व रहेगा यह भी वे मान्य करेंगे और कम से कम कोक्राझार और समीपवर्ती क्षेत्र में फिर शांतता स्थापित होगी. हर कोई यही चाहेगा.
खतरा
लेकिन मूल घूसपैंठ का प्रश्‍न वैसे ही रहेगा. इन घुसपैंठियों की संख्या भी बढ़ रही है और संख्या के साथ उनकी हिंमत भी बढ़ रही है. असम में उन्होंने ने अपनी एक अलग राजनीतिक पार्टी भी बनाई है. युनायटेड डेमोक्रॅटिक फ्रंट’ ऐसा उसका निरुपद्रवी नाम है. लेकिन वह केवल मुस्लिमों की पार्टी है. आज असम की विधानसभा मेंसत्ताधारी कॉंग्रेस के बाद इसी पार्टी के सदस्यों की संख्या आती है. भाजपा तीसरे क्रमांक पर है. यह घुसपैंठ ऐसे ही चलती रही (वह कॉंग्रेस पार्टी के व्होट बँक की खुशामद की राजनीति से निश्‍चित ही बढ़ेंगी) तो कल उनकी सत्ता भी स्थापन हो सकती है.
स्थायी उपाय
इस पर एक स्थायी उपाय है. ये घुसपैंठी बांगला देश में से आते है. कारण वहॉं भूमि कम और जनसंख्या अधिक है. १९४७ में निर्मित संपूर्ण पाकिस्तान मेंपूर्व पाकिस्तान मतलब आज के बांगला देश की जनसंख्या अधिक थी. लेकिन संपूर्ण पाकिस्तान के सत्ता-सूत्र पूर्व के पास न जायइसलिए पूर्व भाग के लोकप्रिय नेता मुजीबुर रहेमान को पाकिस्तान की सेना की सरकार ने जेल में डाला था और इसी बात पर पूर्व पाकिस्तानविरुद्ध पश्‍चिम पाकिस्तान ऐसा रक्तरंजित संघर्ष हुआ. इस संघर्ष मेंभारत पूर्व पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा हुआ और पूर्व पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ. वहीं आज का बांगला देश है. आज बांगला देश की जनसंख्या १५ करोड़तो पश्‍चिम पाकिस्तान की १७ करोड़ है. बांगला देश की जनसंख्या कम क्यों हुईकारण वे भारत में घुसपैंठ करते हैं. बांगला देश का क्षेत्रफल करीब देड लाख चौरस किलोमीटर हैतो पाकिस्तान का करीब ८ लाख चौरस किलोमीटर. बांगला देश की भूमि पर जनसंख्या का दबाव है. इस कारणवहॉं के लोग भारत में घुसपैंठ करते है. इसका स्थायी उपाय यह है किबांगला देश भारत में विलीन हो जाए. जिस भाषा के मुद्दे पर उनका पश्‍चिम पाकिस्तान के साथ संघर्ष हुआउस भाषा को भारत में निश्‍चित ही सम्मान मिलेगा. कारण भारत में के पश्‍चिम बंगाल की भाषा बंगाली ही है. मुसलमानों की संख्या अधिक होने के कारणवहॉं का मुख्यमंत्री स्वाभाविक मुसलमान ही रहेगा. मतलब शासन उनका ही रहेगा. भारत में विलीनीकरण होने के बाद अवैध घुसपैंठ का प्रश्‍न ही नहीं शेष रहेगा. वे खुलकर कहीं भी रह सकेंगे. भारत पंथनिरपेक्ष हैइस कारण उन्हें उनके धर्म-मतानुसार आचरण करने की स्वतंत्रता का कायम भरोसा रहेगा. सुरक्षा के खर्च में कमी होकर वह पैसा विकास के काम के लिए खर्च किया जा सकेगा. और भारत की पूर्व सीमा भी सुरक्षित हो जाएगी. ऐसे लाभ ही लाभ है. बांगला देश में आज जनतंत्र है. वहॉं की जनता इस विकल्प का गंभीरता से विचार करें,ऐसा लगता है.

Monday, August 13, 2012

VHP VEROORDEELT 50.000 MOSLIMS GEWELD IN MUMBAI



In Maharashtra Mumbai, een grote menigte van 50.000
New Delhi, 11 augustus 2012 moslims bijeen in een van de belangrijkste gebied van menigte als CST (treinstation) en Azad Maidan te protesteren tegen geweld in Assam & in Myanmar. Veel islamitische organisaties georganiseerd nadat 's middags Namaz. Als een systematisch plan begonnen ze aanvallen van de politie, politie bestelwagens, media mensen, media bestelwagens, bussen in de straten rond - de bussen waren vol met mensen. Ze hebben ook aangevallen winkels. Veel bussen, politiewagens, werden de media voertuigen brutaal verbrand door een grote menigte moslims. Tijdens het doen, werden ze schreeuwden 'Revenge voor Assam en Myanmar'. Ze hadden stenen bekogelen op forenzen. Treinen in Mumbai zijn gestopt.
VHP vraagt:
1)      Al degenen die waren op straat 50.000 van hen worden gearresteerd, niet alleen voor een dergelijke rellen, maar ook voor de veeleisende bescherming van Bangla Deshi moslims in Assam en rest van Bharat en ook in Myanmar. Deze vraag zelf is anti-nationale want in plaats van te eisen bescherming van de Indiase burgers die zij zijn gekwetste mensen in Mumbai veeleisende bescherming van buitenlandse burgers van Bangla Desh. Dit is verraad.
2)      De staat Govt wisten dat zij had geregeld voor zo'n grote rally in het centrum van drukke omgeving van Mumbai. De Overheid heeft geen enkele regeling voor bescherming van gebieden, eigenschappen en mensen rond dat gebied. Degenen die verantwoordelijk zijn voor een dergelijk gebrek aan verantwoordelijkheid moet ook worden bestraft. Was er een kleine groep hindoe zoiets doet, dan is de politie zou hebben geschoten kogels de manier waarop de MH politie hindoe-boeren gedood in Mawal gebied. Maar om een ​​gewelddadige rellen menigte van 50.000 menigte moslims te controleren, werden lage aantal van de politie gezien slechts het tonen van lathis.
3)      VHP eist ook dat buigen voor dit geweld, indien van toepassing Govt bezwijkt aan de bank van de politiek stemmen zijn altijd mild over moslims dan is de reactie zal zijn democratisch sterk.
4)      Originele Tribes Assam, andere hindoes en niet-moslims zijn de slachtoffers daar. Bangla Deshi moslims hebben geen plaats in overal in Bharat. VHP eist onmiddellijke uitzetting van een dergelijke indringers voor wie moslims in Bharat zijn aanval op burgers in Bharat - een week terug deden ze dat in Assam, vandaag de dag ze het hebben gedaan in Mumbai en in Pune. VHP behandelt de 50.000 moslimmenigte systematisch te verzamelen en te vallen, branden de politie, bussen, openbare objecten, hindoes rond schreeuwen anti-Bharat slogans als de zoveelste aanval op Mumbai Jehadi en eisen die Govt arrestatie alle 50.000 moslims die het gedaan heeft en hun leiders die georganiseerd IT & geïnstigeerd deze aanval.
5)      De schade die is veroorzaakt door de Jehadi menigte in Mumbai moet worden teruggevorderd van de leiders van de organisaties die de zogenaamde rellen georganiseerd. __________
Contact: VHP: drtogadia@gmail.com

Saturday, August 11, 2012

True story of Assam Riot

 असम के कोकड़ाझार एवं आसपास के जिलों में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों द्वारा वहां के मूल निवासी हिन्दू बोडो जनजातियों एवं अन्य जनसमुदाय के ऊपर भीषण अत्याचार किया गया है। विदेशी मुस्लिम घुसपैठियों द्वारा फैलाई गयी दंगे की आंच से सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है, लाखों लोग बेघर हो गये हैं। दंगाई ने गांव के गांव फूक दिये हैं, इसके कारण लाखों परिवार उजड़ गए हैं। वोटों के सौदागर राजनीतिक दलों के कृपापात्र अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के इस दुष्कृत्य के कारण हिन्दू बोडो को अपनी ही जन्मभूमि पर शरणार्थी बनकर रहना पड़ रहा है। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार अब तक 125 लोगों  की हत्या की गयी है, और 4 लाख से अधिक बोडो हिन्दू 142 शरणार्थी शिविरों में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। 
    विश्व हिन्दू परिषद तथा अन्य राष्ट्रवादी संगठनों के द्वारा सरकार को बार-बार चेताने के तथा देश की अनेकों न्यायालयों द्वारा मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर भेजने के निर्देश देने व सरकार के द्वारा स्वयं समय सीमा निश्चित किए जाने के बावजूद भी पिछले 50 साल में निहित राजनैतिक स्वार्थों के कारण सरकार के द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया अपितु घुसपैठ को कानून के माध्यम से और अधिक प्रोत्साहित किया गया, इसका ही यह परिणाम है। विश्व हिन्दू परिषद इस घृणित कृत्य की निन्दा करती है।
    शरणार्थी हिन्दू बोडो की चिन्ताजनक परिस्थिति में अपने दायित्व का निर्वाह करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने अनेक शरणार्थी शिविरों को गोद लिया है। शिविर में आये हुए प्रत्येक परिवार की न्यूनत्म आवश्यकताओं की पूर्ति परिषद द्वारा की जाएगी। परिषद समस्त देशवासियों से, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से, देश के वरिष्ठ पूज्य संतों से आग्रह करती है कि वे स्वयं एवं विश्व हिन्दू परिषद के माध्यम से शरणार्थियों का सहयोग करें। 
                            जारीकर्ता
                            (प्रकाश शर्मा)
                            प्रवक्ता-विश्व हिन्दू परिषद

Wednesday, August 8, 2012

CBI Investigation in Assam: Fact: Ethnic Cleansing of Tribals & Other Hindus by Bangla Deshi Muslims Conspiracy by Govts to Punish Indian Citizens to favour Bangla Deshi Muslims






New Delhi, August 7, 2012  

Assam Chief Minister Tarun Gogoi has recommended CBI investigation into severe violence in Assam. Reacting strongly on this, VHP International Working President Dr Pravin Togadia demanded that the terms of reference of any investigation in the Ethnic Cleansing of original Tribes, other Hindus & non-Muslims on Assam should be those that protect Indian citizens. He also warned that any effort to treat Indian citizens in Assam at par with invaders Bangla Deshi Muslims will be treated as anti-constitutional.

Dr Togadia further said, “CBI should investigate as to HOW over 1 crore (10 million) Bangla Deshi Muslims came in & settled in Assam, WHO helped them, how they could establish 14 Jehadi Terror organizations, what was the role of Bangla Deshi support to them in getting weapons, WHAT did Govt of India & Assam Govt do ever to stop infiltration of Bangla Deshi Muslims in Assam? How in 30 constituencies in Assam, Bangla Deshi Muslims are such a big majority? WHO mobilized 25 Muslim MPs all over Bharat suddenly in a day to lobby for Bangla Deshi Muslims in Assam? Who are the forces to file petition in the Hon Supreme Court of India to give Refugee Status to Bangla Deshi Muslims in Bharat while the Assam violence was going on? Was Assam violence a well-planned conspiracy by such forces to create the background for getting Bangla Deshi Muslims refugee status projecting them as victims when they were themselves involved in attacking Assam’s original Tribes, Hindus & other non-Muslims? When trains, buses were halted in the Kokrazar, Dhubri, Chirang districts in Assam, HOW 'suddenly' SO MANY WELL FILLED up Relief Camps specially for Bangla Deshi Muslims were up in half a day? WHO got international Human Rights activists so quickly there? WHO are the politicians & political parties that are beneficiaries of 1 Crore Bangla Deshi Muslims being in Assam? These should be the terms of reference of the CBI investigations.”
“Ideally, not by biased CBI, but there should be an unbiased Judicial enquiry into the Ethnic Cleansing of original Tribes, other Hindus & non Muslims in Assam that was done by Bangla Deshi Muslims. This Judicial Commission should have not only a senior Supreme Court Judge but also the representative of Indian Army as the entire border area is militarily important for Bharat's safety & security. This commission should also have at least 1 representative each of all original tribes in Assam.”

Dr Togadia said, “ANY effort by the Union Govt or the state Govt to 'fix' any Indian citizen including any tribes like Bodos or any other tribe / Hindu in violence in Kokrazar, Dhubri, Chirang & surrounding areas when they themselves have been victims of Ethnic Cleansing for years there, will be treated by all Bharat as Govts siding the enemy nation Bangla Desh who has been involved in terror attacks on Bharat through HUJI, IM etc. All Tribes, other Hindus in Assam & rest of Bharat will democratically stand together as ONE against any such conspiracy.
Contact : drtogadia@gmail.com

Saturday, August 4, 2012

Assam should stand together as ONE against Bangla Deshi Muslim Infiltration-Dr Pravin Togadia

Assam should stand together as ONE against Bangla Deshi Muslim Infiltration.
Demands immediate deportation of Bangla Deshi Muslims from all Bharat
No Bangla Deshi Muslim should be allowed in National Citizen Registry
Basis should be 1951
Kokrazar / Gowhatty, August 4, 2012
In a week from the Assam Ethnic Cleansing against original Tribals,
other Hindus & Non-Muslims triggered by Bangla Deshi Muslims in
Western Assam districts, VHP International Working President Dr Pravin
Togadia visited the relief camps in Kokrazar & surrounding areas &
viewed the excessive damage caused to the Tribal houses by the terror
attacks by the Bangla Deshi Muslims. Dr Togadia also distributed
children’s clothes, Ladies & men’s clothes, essential food items &
medicines in the relief camps.
Dr Togadia said, “Only for votes, Union & the state Govts have
purposely allowed Bangla Deshi Muslim Infiltration in Assam, other
North-Eastern stats & other areas in Bharat. There were constant alert
about these infiltrators’ terror links with ISI, HUJI, IM & others.
Yet, endangering nation’s security, they were brought in, given voter
IDs, all facilities not even usually available to the local Tribes,
other Hindus & Non-Muslims in Assam. Since past 15 years Bangla Deshi
Muslims have been systematically doing Ethnic Cleansing & Territory
encroachments. Karbi Anglong, Khasi, Jaintiya, Bodo, Dimasa & other 50
such tribes have been facing loss of lives, lands, livelihood &
attacks at these invaders’ hands, but Govts protected the invaders &
left the original citizens of Bharat to die. It is a national shame
that the original tribes & Bharat’s Hindu citizens have to live in
relief camps while Bangla Deshi Muslims are grabbing even relief
materials & money while their supporters are lobbying for them all
over Bharat.”
Dr Togadia urged all in Assam to stand up together as ONE keeping any
differences aside to protect Assam. He said, “Assamese, Bangla Hindus,
all Tribes & all Non-Muslims in Assam should come together & stand
together as ONE to fight the modern day invasion by Bangla Deshi
Muslims. They also should vote together only for the candidates who
protect them from Bangla Deshi Muslims all the time.”
Dr Togadia puts up VHP demands:
1.      Assam & North East has seen massive infiltration of Bangla Deshi
Muslims. The Citizenship Registry should be available ONLY to those
who have been in Assam before 1951 & NO Bangla Deshi Muslim should be
in it
2.      Bangla Desh was ruled by Muslims even as East Pakistan in 1971.
There is no right to Muslims coming from there to claim any status –
refugee or Bharat’s citizen. All Bangla Deshi Muslims from Assam,
other North East & rest of Bharat should be therefore immediately
deported from Bharat.
3.      On the other hand, Hindus in Bangla Desh have been facing Ethnic
Cleansing not only since 1971, but also since many years before 1947
when it was not even Bangla Desh separate. Therefore all Hindus who
came in from Bangla Desh should immediately get refugee status as has
already been ordered by the Hon Supreme Court.
4.      Right now the Bangla Deshi Muslims, supported by Muslim politicians
in Assam & other states of Bharat, have filed an application in the
Hon Supreme Court for refugee status. As aid earlier, Bangla Desh has
been their country, where Hindus faced Ethnic Cleansing; not Muslims.
Hence, Bangla Deshi Muslims should never get refugee status.
5.      Using the volatile situation in North East & the porous border
there which has been purposely kept so by Govts for Muslims despite
all intelligence agencies warning to seal it, yet many Bangla Deshi
Muslims have been entering Bharat. Now they have been joined by the
internationally banned Jehadi group of Rohingya Muslims who have
already entered Bharat & parked themselves in various states demanding
refugee status. After the UN refused it to them due to their Jehadi
contacts, now they are being helped by a few politicians in Bharat.
Along with Bangla Deshi Muslims, even Rohingya Muslims too should be
deported immediately.
6.      In recent Ethnic Cleansing, lakhs of people of original Tribes,
other Hindus & non-Muslims have lost their near & dear ones. Their
families must get Ru 7,00,00. The injured should get Ru 4,00,000 with
all medical expenses paid. The families who lost their bread earner
should be helped with the job to the kin / cash help for local trade.
All houses of original Tribes / other Hindus / Non-Muslims should be
built by the Govt with household things given to them free.
7.      The above & other aid as well as facilities should not be extended
to any Bangla Deshi or local Muslims there as they are responsible for
the Ethnic Cleansing of Bharat’s citizens in Bharat! They should be
immediately deported.
8.      Bangla Desh, as a systematic plan, has been sending its people to
Bharat to invade Bharat’s territory using such Ethnic Cleansing & by
manipulating Bharat’s democratic values. Bharat should sever all ties
with Bangla Desh & stop supplies to Bangla Desh of all essential
things like water, salt etc.
9.      Muslim MPs, MLAs & other politicians / Govt officials have been
actively helping Bangla Deshi Muslims in Bharat. All these should be
banned from further contesting elections / be suspended from Govt
positions. Recently all party Muslim MPs delegation met the PM
lobbying for Bangla Deshi Muslims. Those who do not care for the
citizens of Bharat & protect invaders should have no right to be in
Bharat.
10.      Human Rights organizations & pseudo secular media are siding
Bangla Deshi Muslims. They should be banned from entering Assam unless
& until they agree to stop their continued illegal religious
discrimination against Assam’s Tribes & Hindus.
11.      Assam & most North East are fast becoming Kashmir which has
already changed its demography making Bharat’s citizens Hindus, Sikhs
etc a gullible minority there after 1990 Ethnic Cleansing there. Govts
ignored it then & protected the invaders. The same way Assam is going
now & those responsible in the govts for directly or indirectly
helping Bangla Deshi Muslim invasion in Assam should be prosecuted for
treason & for waging war against Bharat.
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Thursday, August 2, 2012

National Farmer Leader Anil Hegde visited Dhenkanal by Krishak Sangharsh Samiti.




Dhenkanal ( 2 / 8 ) – Yesterday, national farmer leader Anil Hegde who’s fighting for the cause of farmers & educating them to adopt the organic farming for last 30 years, has visited Dhenkanal along with the Krishak Sangharsh Samiti Convener Er. Debashisha Hota.
In the morning at 8 AM, Mr. Hegde met the land losers of RSB Aluminium Plant at Bijadihi of Kamakhyanagar Block & praised the movement & agitations of RSB Jenadesh Khyatigrasth Praja Samiti for the safeguard of the poor cheated Tribal People in the region. All the problems in India are due to increase in large scale differences between the rich & poor and unfortunately the administration favors the rich industrialists against the poor, Hegde mentioned.
Then at 10 AM, a meeting of 120 farmers who have done organized farming in more than thousand acres at Jamunakote village in Bhuban Block, was with Mr Hegde. He was overwhelmed to know that at this age when the farmers stopped to cultivate due to loss in all over India, the farmers of this village have done a miracle by re-starting cultivation. During his visit to their farm-lands, he saw that some unsocial elements forcibly make entry of their cattle to destroy the paddy crops. He enquired about this from the farmers, who informed him that they have complained before the Surapratapapur Out-post, Bhuban police station & Kamakhyanagar SDPO against this type of mischievous activity a number of times, but the police is silent. Hence the nuisance of the unsocial elements increased exponentially. Mr. Hegde warned the police for severe consequences for its inaction.
At 3 PM, he met the land losers of CESC Power Plant at Chhatia of Gondia Block and praised the movement & agitations of CESC Mahimagadi Khyatigrasth Praja Samiti for the safeguard of the poor cheated Tribal People in the region. He advised to agitate till the demands have been fulfilled. Else you’ll be cheated like other companies have been cheated the local people in other parts of India earlier, Hegde commented.
Then, he visited the head-quarter of Mahima Sampraday at Joranda & met the sadhus there.
All the meetings are coordinated by Mr. Hota along with Krishak Sangharsh Samiti Secretary Niranjan Sahu, RSB Jenadesh Khyatigrasth Praja Samiti leaders Palau Naik, Sarat Behera, Damodar Sahu & Nibaran Mahabhoi, Jamunakote Sarapanch Natabar Sahu, Samiti District Executive Member Annada Behera & Pravakar Poi, CESC Mahimagadi Khyatigrasth Praja Samiti leaders Chakradhar Sandha, Dhaneswar Rout, Shyam Behera & Mayadhar Rout.

Niranjan Sahu
Secretary, Krishak Sangharsh Samiti
09938893415

राष्ट्रवादी कॉंग्रेस का हास्यास्पद नाटक



राष्ट्रवादी कॉंग्रेस (राकॉं) के क्रोध का या नाराजी का नाटक समाप्त हुआयह अच्छा हुआ. हम कहॉं खड़े है और हमारा प्रभाव कितना हैयह राकॉं के सर्वोसर्वा श्री शरद पवार के निश्‍चित ही ध्यान में आ चुका होगा. श्री पवार अत्यंत धूर्त एवं मंजे हुए राजनेता है. वे अविचार मेंअपनी और अपनी पार्टी की विद्यमान प्रतिष्ठा को धक्का लगेगाऐसा कुछ नहीं करेंगे. कॉंग्रेस ने भी उन्हें दिखा दिया है किवह उनसे नहीं डरती.

क्रोध स्वाभाविक
इस नाराजी नाट्य का आरंभ हुआकेंद्रीय मंत्रिमंडल में के स्थान से. अब तकमतलब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का पर्चा भरने तकश्री प्रणव मुखर्जी मंत्रिमंडल में द्वितीय स्थान पर थे. पहला स्थान प्रधानमंत्री का यह तो स्पष्ट ही है. उनकी बगल मेंदूसरे क्रमांक के स्थान पर प्रणव मुखर्जी विराजमान रहते थे. उन्होंने त्यागपत्र देने के बाद वह स्थान रिक्त हुआ. स्वाभाविक रूप से वह स्थान श्री शरद पवार को मिलना चाहिए था. कारणमंत्रिमंडल में उनका स्थान तीसरे क्रमांक पर था. श्री पवार ने वैसी अपेक्षा की होगीतो उसमें अनुचित कुछ भी नहीं. लेकिन कॉंग्रेस ने तय किया किश्री पवार की तरक्की नहीं करना. इसलिए कॉंग्रेस ने श्री पवार के बदले उनसे नीचे के क्रमांक पर के श्री ऍण्टोनी को दूसरे क्रमांक पर लाया. श्री पवार का इससे क्रोधित होना स्वाभाविक मानना चाहिए.    

बात मन की और ओठों पर की
मन में का यह क्रोध ओठों पर लाना संभव नहीं था. वह कूटनीति के अनुरूप नहीं होता. इसलिएसत्तारूढ संयुक्त प्रगतिशील मोर्चे की घटक पार्टी होते हुए भीहमारा मत विचार में नहीं लिया जाताकॉंग्रेस घटक पार्टियों का ध्यान नहीं रखतीगठबंधन की सरकार होते हुए भीमुख्य कॉंग्रेस पार्टी और गठबंधन की अन्य घटक पार्टियों के बीच समन्वय नहीं हैऐसे कारण बताए गए. यह कारण झूठ नहीं हैं. लेकिन इसका खयाल अब तीन-साडेतीन वर्ष बाद क्यों आयाश्री प्रणव मुखर्जी द्वितीय स्थान पर और श्री शरद पवार तृतीय स्थान पर थेक्या तब गठबंधन की मुख्य कॉंग्रेस पार्टी और अन्य घटक पार्टियों के बीच समन्वय थाराज्यपालों की नियुक्ति हो या राज्य सभा में नामनियुक्त करने की बात होकॉंग्रेस ने कब गठबंधन की पार्टियों का मत विचार में लिया थासंप्रमो में की कॉंग्रेस के लोकसभा में २०८ सांसद हैं. राकॉं के केवल ९. राकॉं की तुलना में तृणमूल कॉंग्रेसऔर द्रमुक के सांसदों की संख्या अधिक है. तृणमूल के १९ हैंतो द्रमुक के १८. इसके अलावाबाहर से समर्थन देने वाले समाजवादी पार्टी और बसपा के सांसदों की संख्या भी क्रमश: २२ और २१ है. कॉंग्रेस९ सांसदों वाली राकॉं की चिंता क्यों करें?

महाराष्ट्र : राकॉं की दुखती रग
केंन्द्र में राकॉं के बिना भी संप्रमो सत्ता में बना रह सकता है लेकिनमहाराष्ट्र में वैसी स्थिति नहीं. २८८ सदस्यों की विधानसभा में कॉंग्रेस के केवल ८२ विधायक हैतो राकॉं के ६२ (इस संख्या में कुछ अंतर हो सकता है) अर्थ स्पष्ट है कि,राकॉं के समर्थन के बिना कॉंग्रेस महाराष्ट्र में सत्ता में रह ही नहीं सकती. और यह कॉंग्रेस को भी मान्य है. इसलिए ही मुख्यमंत्री कॉंग्रेस का तो उपमुख्यमंत्री राकॉं का होता है. सन् १९९९ से यह चल रहा है. लेकिन महाराष्ट्र में की राकॉं हाल ही में एक नई बीमारी से त्रस्त है. वह केवल शरद पवार की नाराजी की तरह औपचारिक मानापमान की नहीं. वह अधिक गंभीर है और उसके परिणाम गंभीर भी हो सकते है. वह बीमारी यह है किराकॉं के जो मंत्री मंत्रिमंडल में हैउनमें से दो बड़े मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है. उनमें से एक है छगन भुजबळतो दूसरे है सुनील तटकरे. भुजबळ सार्वजनिक निर्माण विभाग के मंत्री हैतो तटकरे के पास जलसंपदा विभाग है. यह दोनों विभाग भ्रष्टाचार के लिए अत्यंत उपयुक्त है,यह सर्वज्ञात है.

कॉंग्रेसकृत उपेक्षा
भाजपा के क्रियावान् कार्यकर्ता किरीट सोमय्या ने इन दो मंत्रियों नेचतुराई से किया भ्रष्टाचारपत्रपरिषद लेकर सार्वजनिक किया है. सोमय्या केवल आरोप करके ही नहीं रूके. उन्होंने सीधे इस भ्रष्टाचार के सबूत ही पत्रपरिषद में प्रस्तुत किए. भुजबळ ने दिल्ली के महाराष्ट्र सदन इस सरकारी इमारत के निर्माणकार्य में एक घोटाला किया. (यह एकमात्र घोटाला नहीं है.) इस निर्माण कार्य का अनुमानित खर्च ५२ करोड़ रुपये था. वह १५२ करोड़ तक बढ़ाया गया. यह बढ़े हुए सौ करोड़ भुजबळ के पास गएऐसा सोमय्या का आरोप है. कारण इस काम का ठेका जिस कंपनी को दिया गया,वह एक बेनामी कंपनी हैऔर उस बेनामी कंपनी ने जिन छोटी कंपनीयों से यह काम करा लियाउन कंपनीयों के मालिक भुजबळ के परिवारजन है. भुजबळ पर का आरोपित भ्रष्टाचार सौ करोड़ का हैतो तटकरे का आरोपित घोटाला हजार करोड़ के पार जाएगा. तटकरे भी चतुराई में कम नहीं. उन्होंने दर्जनभर बोगस कंपनियॉं बनाई और बांधों में पानी रोकने की ओर ध्यान देने के बदले इन कंपनियों के माध्यम से वह पैसा अपने पास खींचाऐसा आरोप है. यह आरोप विधानसभा में भी लगाया गया है. आखिर सरकार को बताना पड़ा किइन आरोपों की जॉंच आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग द्वारा कराई जाएगी. किरीट सोमय्या ने और भी कमाल की. केंद्रीय कंपनी व्यवहार मंत्री वीरप्पा मोईलीऔर उस विभाग के सनदी अधिकारियों से भेट करउन्हें सब सबूत दिए. बताया जाता है किइन अधिकारियों ने जॉंच के आदेश भी दिए हैं. भुजबळ और तटकरे दोनों मंत्री राकॉं के है. राकॉं का आरोप है कियह सब मामले उपस्थित किए जा रहे थे उस समयमुख्यमंत्री या कॉंग्रेस इन मंत्रियों के समर्थन में खड़ी नहीं हुई. अब तो मुख्यमंत्री ने साफ यह दिया है किकानून अपना काम करेगा.

खोखले समाधान की आड में ...
कॉंग्रेस पर दबाव लाने के लिए श्री पवार त्यागपत्र देंगेऐसी बात चलाई गई. दूसरी बात - पृथ्वीराज चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाएगा. क्योंकि वे अकार्यक्षम है. उनकी ही पार्टी के विधायकों ने चव्हाण पर आरोप लगाए हैंऐसा भी समाचार प्रकाशित हुआ था. लेकिन यह सब झूठ थायह अब स्पष्ट हुआ है. तथापिपवार का एक मुद्दा कॉंग्रेस ने मान्य कियाऔर समन्वय समिति स्थापन करने की घोषणा भी की. मुख्यमंत्री ने तो शीघ्र ही समन्वय समिति की बैठक आयोजित की जाएगीऐसा आश्‍वासन भी दिया. पवार को भी कुछ तसल्ली देने के लिएप्रणव मुखर्जी के त्यागपत्र के कारणजो मंत्रि-समूह (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स - जीओएम) प्रभारहीन हो गए थेउनका बँटवारा किया गया और पवार को दो मंत्रि-समूहों का अध्यक्ष पद सौपा गया. श्री मुखर्जी के पास करीब ग्यारह मंत्रि-समूहों का प्रभार था. उसमें से छह ऍण्टोनी,तीन चिदम्बरम्, तो केवल दो विभागों का प्रभार शरद पवार को दिया गया. वह विभाग है (१) कोयले की खदानों के कारण पर्यावरण को निर्माण हुआ संकट और (२) अकाल निवारण के उपायों की व्यवस्था. इस बँटवारे से और मुख्यमंत्री की घोषणा से राकॉं का समाधान हुआ ऐसा दिखता है. कहॉं त्यागपत्र देने और संप्रमो से बाहर निकलने की गंभीर धमकी और कहॉं ये समाधान का खोखला बहाना! 

अधिष्ठान समाप्त
इस निमित्तमेरे मन में प्रश्‍न निर्माण हुआ किराकॉं का भवितव्य क्या होगाराकॉं का प्रारंभ तो बड़े धडाके से हुआ था. उस समय ऐसा लगा कि मानो उसने संपूर्ण भारतवर्ष अपने विचारों की परिधि में लिया है. कॉंग्रेस से बाहर निकलने के लिए उन्होंने आगे किया मुद्दा सही में गंभीर था. महत्त्व का था. संपूर्ण देश के राजनीतिक जीवन पर परिणाम करने की संभाव्यता का था. वहसोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा था. भारत की नागरिकता भी विलंब से स्वीकारने वाली व्यक्ति के हाथों में राष्ट्र का भवितव्य सौपनाखतरा हैयह भूमिका सही में महत्त्व की थीऔर वही राकॉं ने अपनी आधारभूत भमिका निश्‍चित की थी. लेकिन कुछ ही समय में राकॉं यह भूमिका भूल गई. इस सैद्धांतिक भूमिका की अपेक्षा सत्ता का पद उसे महत्त्व का लगा और सोनिया गांधी जो कॉंग्रेस की अध्यक्ष ही नहीं सर्वाधिक बलिष्ठ नेता हैउनके ही साथ श्री पवार ने हाथ मिलाया. राकॉं के अलग रहने का अधिष्ठान ही समाप्त हुआ.

राकॉं का भवितव्य
पार्टी को वैचारिक या सैद्धांतिक अधिष्ठान नहीं रहातो भी पार्टियॉं चल सकती हैयह हम देख रहे हैं. लेकिन ऐसी पार्टियॉं व्यक्तिकेंद्रित होती हैं और उनका प्रभाव भी भौगोलिक दृष्टि से मर्यादित हो जाता है. मुलायम सिंह की पार्टी का नाम समाजवादी पार्टी है. लेकिन उस पार्टी का समाजवाद के सिद्धांतों से कोई लेना-देना नहीं. वह व्यक्तिकेंद्रिपरिवार-केंद्रि पार्टी बन गई है. उत्तर प्रदेश को ही अपना कार्यक्षेत्र निश्‍चित कर और यादव-मुस्लिम आधार मानकर वे आज वहॉं राज कर रहे है. मायावती की बसपा या लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल का भी यही हाल है. जयललिता का उदाहरण ले या करुणानिधि कातामिलनाडु ही उनका क्षेत्र है और बिजू जनता दल का ओडिशा. तेलगू देशम् ने तो अपने नाम से ही अपनी भौगोलिक मर्यादा अधोरेखित की है. शरद पवार की राष्ट्रवादी’ कॉंग्रेस भी स्वयं को महाराष्ट्रवादी’ कहे और उसे ही अपना कार्यक्षेत्र निश्‍चित करे. वैसे भी व्यवहारत: वह एक प्रादेशिक पार्टी ही बन चुकी है.
मुलायम सिंह या मायावतीपटनाईक या जयललिता या करुणानिधि ने कभी भी प्रधानमंत्री बनने की महत्त्वाकांक्षा मन में नहीं रखी. शरद पवार के मन में वह है. कम से कम थी यह तो वे भी मान्य करेंगे. आज उनकी क्या मन:स्थिति हैयह उनके अलावा अन्य कौन बता सकेगाअत: राकॉं को अपना अस्तित्व बनाए रखना होगातो वह सीधे प्रादेशिक पार्टी की भूमिका स्वीकारे. उसे सैद्धांतिक अधिष्ठान पहले भी नहीं थाअब भी नहीं है और आगे भी रहने की संभावना नहीं. लेकिन एक आधार है. वह है मराठा समाज का. लेकिन इस समाज की शक्ति महाराष्ट्र तक ही मर्यादित है. यह सही है कि केवल मराठा समाज के भरोसे राज्य में सत्ता हासिल करना संभव नहीं. और मराठा समाज की शक्ति में कॉंग्रेस का भी हिस्सा है. इसिलिए श्री पवार ने रिपब्लिकन पार्टी मतलब बौद्ध समाज के साथ नजदिकियॉं बढ़ाई थी. लेकिन वह समूह भी अब उनसे दूर हो गया है. स्वाभाविक ही उन्हें अन्य समाज-समूह ढूंढने होंगे. सौभाग्य से महाराष्ट्र मेंउत्तर प्रदेश या बिहार की तरहजातियों के अलग-अलग सियासी समूह नहीं बने हैं. पश्‍चिम महाराष्ट्र में क्या स्थिति हैयह नहीं बताया जा सकता. लेकिन विदर्भ में तो जातियों के दबाव समूह नहीं है. सब पार्टियों में सब जातियों के नेता हैं. स्वाभाविक ही व्यक्तिकेंद्रित रहने वाली राकॉं का भवितव्य क्या होगाश्री शरद पवार के बाद कौनमुलायम सिंह और लालू प्रसाद ने इसका उत्तर खोज निकाला है. मुलायम सिंह के बाद उनके पुत्र अखिलेश मुख्यमंत्री बने है. लालू प्रसाद के बाद उनकी पत्नी राबडी देवी मुख्यमंत्री बनी थी. महाराष्ट्र में शिवसेना ने भी उसी प्रकार यह प्रश्‍न हल किया है. पंजाब में भी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रीपिता और पुत्र की जोडी है. राकॉं का क्याश्री शरद पवार के बाद कौनसुप्रिया सुळे या अजित पवार या आर. आर. पाटीलश्री पवार को यह प्रश्‍न हल करना होंगाऔर उसके उत्तर पर ही राकॉं का भवितव्य निर्भर होंगा.

मा. गो. वैद्य
(अनुवाद : विकास कुलकर्णी)
babujivaidya@gmail.com