Tuesday, February 26, 2013

California Parents Sue Over Religious Yoga Classes in Grade School


The parents of two California grade school students have sued to block the teaching of yoga classes they complain promote eastern religions, saying children who exercise their choice to opt out of the popular program face bullying and teasing.
The Encinitas Unified School District, near San Diego, began the program in September to teach Ashtanga yoga as part of the district's physical education program—and school officials insist the program does not teach any religion.
Lawyers for the parents challenging the yoga program disagreed.
"As a First Amendment lawyer, I wouldn't go after an exercise program. I don't go after people for stretching," said attorney Dean Broyles, who heads the National Center on Law and Policy, which filed the suit on Wednesday in a San Diego court.
"But Ashtanga yoga is a religious-based yoga, and if we are separating church and state, we can't pick and choose religious favorites," he said.
The lawsuit is the latest twist in a broader national clash over the separation of religion from public education that has seen spirited debate on issues ranging from the permissibility of student-led prayer to whether science instructors can teach alternatives to evolution.
The lawsuit, which does not seek any monetary damages, objects to eight-limbed tree posters they say are derived from Hindu beliefs, the Namaste greeting and several of the yoga poses that they say represent the worship of Hindu deities.
According to the suit, a $533,000 grant from the Jois Foundation, which supports yoga in schools, allowed the school district to assign 60 minutes of the 100 minutes of physical education required each week to Ashtanga yoga, taught in the schools by Jois-certified teachers.
Broyles said that while children are allowed to opt out of the yoga program, they are not given other exercise options.
"The kids who are opting out are getting teased and bullied," he said. "We have one little girl whose classmates told her her parents are stupid because she opted out. That's not supposed to happen in our schools."
Encinitas schools Superintendent Tim Baird said the suit was unfounded and that the district had worked with parents who had concerns as they developed and implemented the program.
"We are disappointed by the suit. We thought we had worked well with the concerned parents and had resolved their concerns," he added.
Encinitas resident Dave Peck said his law firm had offered to represent the school district for free but was turned down and is now working with parents who support teaching yoga in schools. He called the lawsuit "a tortured attempt to find indoctrination where none exists."
"There is really no dispute as to the physical and mental health benefits of the yoga program—teachers and parents throughout the district have raved about noticeable improvement in the students' focus," said Peck, whose children attend Encinitas schools.
"We reject the argument that yoga poses constitute the practice of Hinduism as both a matter of law and common sense. There is absolutely nothing religious or spiritual about the classroom instruction," he said

Sangha and seva


संघ और सेवा

संघ मतलब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. उसे समझ पाना जरा कठिन है. कारणविद्यमान संस्थाओं के नमूने में वह नहीं बैठता. उसके नाम का हर शब्द महत्त्च का है. सप्रयोजन है. तथापि पहला राष्ट्रीय’ शब्द उन सबमें सर्वाधिक महत्त्व का हैऐसा मुझे लगता है. निरपेक्ष भाव से काम करने वाले अनेक कार्यकर्ता होते है. उन्हें हम स्वयंसेवक’ कह सकते है. ऐसे कार्यकर्ताओं की कोई संस्था या समूह हो सकता है. उसे हम संघ कह सकते है. लेकिन उसमें का हर संघ’ ‘राष्ट्रीय’ मतलब राष्ट्रव्यापी होगा ही ऐसा नहीं. और, ‘राष्ट्रइस शब्द के अर्थायाम के बारे में भी संभ्रम है. दुनिया में अन्यत्र वह नहीं भी होगालेकिन हमारे देश में है. हम सहजलेकिन स्वाभिमान सेकह जाते है कि१५ अगस्त १९४७ को हमारे नए राष्ट्र का जन्म हुआ. तो १४ अगस्त को हम क्या थे? ‘राष्ट्र’ नहीं थेकुछ लोग राज्य’ को ही राष्ट्र मानते हैतो अन्य कुछदेश मतलब राष्ट्र समझते है.राज्य’ और देश का राष्ट्र से’ घनिष्ठ संबंध है. लेकिन राष्ट्र’ उनसे अलगउनसे व्यापकउनसे श्रेष्ठ होता है. देश के बिना राष्ट्र’ हो सकता हैरहा है. इस्रायल’ यह उसका उदाहरण है. १८०० वर्ष उन्हें देश नहीं था. लेकिन हमारा देश और हम एक राष्ट्र है मतलब ज्यू राष्ट्र है. इसलिये दुनिया में कहीं भी रहने वाला ज्यूवह हमारा बंधु हैयह वे भूले नहीं. मतलब अपना राष्ट्र वे भूले नहीं. फिर राष्ट्र मतलब क्या होता हैराष्ट्र मतलब लोग होते है. राष्ट्र मतलब समाज होता है. किन लोगों का राष्ट्र बनता है या लोगों का राष्ट्र बनने की क्या शर्ते है उसका विवेचन एक स्वतंत्र विषय है. आज वह प्रस्तुत नहीं. मुझेयहॉंयह अधोरेखित करना है किसंघ के सामने सततअव्याहतराष्ट्र का ही विचार होता है. मतलब अपने लोगों काअपने समाज काविचार होता है.   

सेवा कार्य का प्रारंभ
हमारे इस राष्ट्र में जो समाज रहता हैउस संपूर्ण समाज का जीवनस्तर समान नहीं है. कुछ लोग बहुत गरीब है. अशिक्षित है. नए आधुनिक जीवन से उनका परिचय ही नहीं. वहॉं आरोग्य नहीं. उसकी व्यवस्था भी नहीं. वे सब हमारे ही समाज के लोग है. मतलब वे हमारे राष्ट्र के घटक है. क्या उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए किहम भी इस राष्ट्र के घटक है. इस मौलिक बात का हमारे समाज बंधुओं को न ज्ञान था और न भान. संघ ने यह करा देने की ठानीऔर संघसंस्थापक डॉ. के. ब. हेडगेवार जी के जन्म शताब्दी वर्ष मतलब १९८९ से संघ ने यह काम हाथ में लिया. संघ में सेवा विभाग’ शुरु हुआ. इसके पूर्व संघ के स्वयंसेवक व्यक्तिगत स्तर पर सेवा कार्य करते थे. छत्तीसगढ़ में  जशपुर का वनवासी कल्याण आश्रम १९५२ में शुरु हुआ था. वह एक स्वयंसेवक ने ही शुरु किया था. बिलासपुर जिले के चांपा गॉंव में भारतीय कुष्ठ धामएक स्वयंसेवक ने ही शुरु किया था. संघ स्वयंसेवकों के व्यतिरिक्त अन्य महान् पुरुषों ने भी सेवा कार्य से लौकिक प्राप्त किया है. कुष्ठरोग निवारण के संदर्भ में अमरावती के शिवाजीराव पटवर्धन,वरोडा के बाबासाहब आमटेवर्धा के सर्वोदय आश्रम के कार्यकर्ताओं के नाम सर्वत्र विख्यात है. मेरे मित्र शंकर पापळकर का सेवा प्रकल्पमूक-बधिर और मतिमंद बालकों के संदर्भ में है. मुझे याद है कि पापळकर का अमरावती जिले के वझ्झर का प्रकल्प मैंने दो-तीन बार देखा है. विलक्षण कठिन है उनका काम. नाली मेंकचरा कुंडी मेंरेल प्लॅटफार्म पर छोड दिये अनाथअपंग नवजात शिशुओं के वे पिता’ बने है. उस आश्रम में का दिल को छूने वाला एक प्रसंग आज भी मुझे याद है. मैं भोजन करने बैठा था,उन्होंने एक लड़के को मेरे सामने लाकर बिठायाऔर मुझसे कहाइसे एक निवाला अपने हाथ से खिलाईये. उस लड़के के दोनों हाथ नही थे. मैंने उसे एक निवाला खिलाया. मेरा दिल इतना भर आया था किमुझे आँसू रोकना बहुत कठिन हुआ. मुझे वह एक निवालाहजार लोगों को अन्नदान करने के बराबर लगता है.

सेवा भारती का विस्तार
मुझे यह बताना है कियह सब वैयक्तिक प्रकल्प प्रशंसनीय हैफिर भी उनके विस्तार और क्षमता को भी स्वाभाविक मर्यादा है. संघ ने वर्ष १९८९ मेंसेवा कार्य को अखिल भारतीय आयाम दिया. अपनी रचना में ही सेवा विभाग’ नाम से एक नया विभाग निर्माण किया. उसके संचालन के लिए सेवा प्रमुख’ पद की निर्मिति करएक श्रेष्ठ प्रचारक को उसका दायित्व सौपा. स्वयंसेवकों द्वारा व्यक्ति स्तर पर जो काम शुरु थेवह सब इस विशाल छत्र के नीचे आए. जशपुर का वनवासी कल्याण आश्रम, ‘अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम’ बना. और केवल वनवासी क्षेत्र के ही नहींअन्य सब क्षेत्रों में के सेवा कार्यो के लिए एक व्यवस्था निर्माण की गई. वह व्यवस्था सेवा भारती’ के नाम से जानी जाती है. इस सेवा भारती के कार्यकलापों का गत दो दशकों में इतना प्रचंड विस्तार हुआ है किडेढ लाख से अधिक सेवा प्रकल्प चल रहे है.

एक अनुभव
हमारे समाज में जो दुर्बलउपेक्षित और पीडित घटक हैउन पर सेवा भारती’ ने अपना लक्ष्य केंद्रित किया है. उनमें केजंगल मेंपहाड़ों मेंदरी-कंदराओं में रहने वालों के लड़के-लड़कियों के लिए एक शिक्षकी शालाए शुरु की. उस शाला का नाम है एकल विद्यालय’. गॉंव का ही एक युवक इस काम के लिए चुना जाता है. उसे थोड़ा प्रशिक्षण देते है और वह वहॉं के बच्चों को सिखाता है. संपूर्ण हिंदुस्थान में ऐसे एकल विद्यालय कितने होगेइसकी मुझे कल्पना नहीं. लेकिन अकेले झारखंड आठ हजार एकल विद्यालय है. करीब १०-१२ वर्ष पहले की बात है. जशपुर जाते समय रास्ते मेंझारखंड का एक एकल विद्यालय देखने का मौका मिला. हमारे लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. १० से १४ वर्ष आयु समूह के ५५ बच्चें और उनके पालक उपस्थित थे. उनमें २३ लड़कियॉं थी. उन्होंने गिनती सुनाईपुस्तक पढ़कर दिखाएगीत गाए. गॉंव में शाला थी. मतलब इमारत थी. शिक्षक भी नियुक्त थे. लेकिन विद्यार्थी ही नहीं थे. मैंने एक देहाती से पूछाआपके बच्चें उस शाला में क्यों नहीं जातेउसने कहावह शाला दोपहर १० से ४ बजे तक रहती है. उस समय हमारे बच्चें जानवर चराने ले जाते है. सरकारी यंत्रणा यह क्यों नहीं समझती किशाला का समय विद्यार्थींयों की सुविधा के अनुसार रखे. यह एकल विद्यालय को सूझ सकता है कारण उसे समाज को जोडना होता है. झारखंड के यह एकल विद्यालय सायंकाल ६॥ से ९ तक चलते है. गॉंव में बिजली नहीं थी. लालटेन के उजाले में शाला चलती थीऔर शिक्षक है ९ वी अनुत्तीर्ण!

सेवा संगम
वनवासी क्षेत्र के एकल विद्यालय यह सेवा प्रकल्प का एक प्रकार है. ऐसे अनेक प्रकल्प-प्रकार है. जैसे अन्यत्र हैवैसे विदर्भ में भी है. २२ फरवरी २०१३ को इन सेवा प्रकल्प प्रकारों का एक संगम नागपुर में हुआ. रेशीमबाग में. इस संगम का नाम ही सेवा संगम’ है. इस सेवा संगम’ का उद्घाटननागपुर सुधार प्रन्यास के प्रमुखश्री प्रवीण दराडे (आयएएस)उनकी पत्नीआदिवासी विकास अतिरिक्त आयुक्त डॉ. पल्लवी दराडे और शंकर पापळकर ने किया. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जनकल्याण समिति द्वारा आयोजित था.

मुझे ऐसी जानकरी मिली है किविदर्भ मेंकरीब साडे पॉंच सौ सेवा प्रकल्प चल रहे है. अर्थात् एक संस्था के एक से अधिक प्रकल्प भी होगे ही. इनमें से करीब ८० संस्थाओं के प्रकल्पों की जानकारी देने वाली प्रदर्शनी भी वहॉं थी.

सेवा कार्य के आयाम
फिलहाल सेवा के कुल छ: आयाम निश्‍चित किए है. १) आरोग्य २) शिक्षा ३) संस्कार ४) स्वावलंबन ५) ग्राम विकास और ६) विपत्ति निवारण.
आरोग्य’ विभाग मेंरक्तपेढीनेत्रपेढीमोबाईल रुग्णालयनि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षणपरिचारिका प्रशिक्षण तथा आरोग्य- रक्षक-प्रशिक्षणऍम्बुलन्स और रुग्ण सेवा के लिए उपयुक्त वस्तुओं की उपलब्धता यह काम किए जाते है. नागपुर के समीप खापरी में विवेकानंद मेडिकल मिशन द्वारा चलाया जाने वाला अस्पतालयह इस आरोग्य प्रकल्प का एक ठोस और बड़ा उदाहरण है. अब अमरावती में भी डॉ. हेडगेवार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान’ शुरु हो रहा है. रक्तपेढीनागपुर के समान ही अमरावतीअकोला,यवतमाल और चंद्रपुर में भी है. सबका नाम डॉ. हेडगेवार रक्तपेढी’ है.

२) शिक्षा : ऊपर एकल विद्यालय का उल्लेख किया ही है. लेकिन इसके अतिरिक्तजिनकी ओर सामान्यत: कोई भूल से भी नहीं देखेगाऐसे बच्चों की शिक्षा और निवास की व्यवस्था करने वाले भी प्रकल्प है. नागपुर में विहिंप की ओर सेप्लॅटफार्म पर भटकने वाले और वही सोने वाले बच्चों के लिए शाला और छात्रावास चलाया जाता है. उसका नाम है प्लॅटफार्म ज्ञानमंदिर निवासी शाला’. फिलहाल इस शाला में ३५ बच्चें है. श्री राम इंगोले वेश्याओं के बच्चों के शिक्षा की व्यवस्था देखते हैतो वडनेरकर पति-पत्नी,यवतमाल में पारधियों के बच्चों को शिक्षित कर रहे है. ये बच्चें अन्य सामान्य बच्चों की तरह शाला में जाते है. लेकिन रहते है छात्रावास में. लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावास है. इसे चलाने वाली संस्था का नाम है दीनदयाल बहुउद्देशीय प्रसारक मंडल’. अमरावती की प्रज्ञाप्रबोधिनी’ संस्था भी पारधी विकास सेवा का काम करती है. पारधी’ मतलब अपराधियों की टोलीऐसा समझ अंग्रेजों ने करा दिया था. स्वतंत्रता मिलने के बाद भी वह कायम था. संघ के कार्यकर्ताओं ने वह दूर किया. सोलापुर के समीप यमगरवाडी’ का प्रकल्प संपूर्ण देश के लिए आदर्श है. छोटे स्तर पर ही सही यवतमाल का प्रकल्प भी अनुकरणीय हैयह मैं स्वयं के अनुभव से बता सकता हूँ. अमरावती का पारधी विकास सेवा कार्य’, यमगरवाडी के प्रणेता गिरीश प्रभुणे की प्रेरणा से शुरु हुआ है. झोला वाचनालय’ यह नई संकल्पना कार्यांवित है. इसमें थैले में पुस्तकें भरकर वाचकों को उनके घर जाकर जाती है. यवतमाल का दीनदयाल बहुउद्देशीय प्रसारक मंडल बच्चों को तंत्र शिक्षा के भी पाठ पढ़ाता है. यहॉं बच्चें च्यॉक बनाते है,अंबर चरखे पर सूत कातते है और वह खादी ग्रामोद्योग संस्था को देते है.
३) संस्कार : शाला की शिक्षा केवल किताबी होती है. परीक्षा उत्तीर्ण करना इतना ही उसका मर्यादित लक्ष्य होता है. लेकिन शिक्षा से व्यक्ति सुसंस्कृत बननी चाहिए. इस शालेय शिक्षा के साथ हर गॉंव में संघ शाखाओं द्वारा ग्रीष्म की छुट्टियों में मर्यादित कालावधि के लिएसंस्कार वर्ग चलाए जाते है. इन वर्गो में मुख्यत: झोपडपट्टी में के विद्यार्थीयों का सहभाग होता है. उन्हें कहानियॉं सुनाई जाती है. सुभाषित सिखाए जाते है. संस्कृत श्‍लोक सिखाए जाते है. २०१२ के ग्रीष्म में ऐसे संस्कार वर्गो की नागपुर की संख्या १२८ थी. इन वर्गो में श्‍लोक पठनऔर कथाकथन की स्पर्धाए भी होती है.
४) स्वावलंबन : महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से सबल बनाने की दृष्टि से उनके बचत समूह बनाए जाते है. अनेक स्थानों पर सिलाई केंद्र शुरु कर सिलाई काम सिखाया जाता है. योग्य सलाह भी दी जाती है. नागपुर में एक मातृशक्ति कल्याण केंद्र’ है. उसके द्वारा सेवाबस्ती में - बोलचाल की भाषा में कहे तो झोपडपट्टियों मेंकिसी मंदिर या घर का बाहरी हिस्सा किराए से लेकर बालवाडी चलाई जाती है. बस्ती की ८ वी या ९ वी पढ़ी युवती ही उस बालवाडी में शिक्षिका होती है. ग्रीष्म की छुट्टियों में उनके लिए १५ दिनों का प्रशिक्षण वर्ग लिया जाता है. इस केंद्र का एक, ‘नारी सुरक्षा प्रकोष्ठ’ भी है. यह प्रकोष्ठ निराधारपरित्यक्ता य संकटग्रस्त महिलाओं को आधार देनेउनके निवास और भोजन की व्यवस्था करनेतथा उन्हें कानूनी सहायता देने का काम करता है. इसी प्रकार यह संस्था दो गर्भसंस्कार केन्द्र भी चलाती है.
५) ग्राम विकास : विदर्भ में किसानों की आत्महत्या का गंभीर प्रश्‍न है. हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री ने संसद में बताया किअप्रेल से जनवरी इन १० माह में विदर्भ में २२८ किसानों ने आत्महत्या की है. किसानों के हित के लिए सेवा भारती’ की ओर से भी काम चल रहा है. किसानों को जैविक खेती का महत्त्व समझाया जाता है. जलसंधारण की तकनीक समझाई जाती है. गौवंश रक्षा और गौपालन पर जोर दिया जाता है. गाय से मिलने वाले पंचगव्य से अनेक दवाईयॉं बनाने के प्रकल्पनागपुर जिले में देवलापार और अकोला जिले में म्हैसपुर में है. वहॉं बनाई जाने वाली औषधियॉं मान्यता प्राप्त है और उनकी बिक्री भी बढ़ रही है. यवतमाल जिले की यवतमाल-पांढरकवडा इन दो तहसिलों मेंदीनदयाल बहुउद्देशीय मंडल ने ६० गॉंव चुनकर उनमें के हर गॉंव के चुने हुए १५ - २० किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया है. तथा कपास तथा ज्वार के जैविक बीज भी उन्हें दिये है.    
६) विपत्ति निवारण :  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रवर्तित जनकल्याण समिति ने मतलब उसके कार्यकर्ताओं ने मतलब संघ के स्वयंसेवकों नेबाढ़आगभूकंप जैसी दैवी आपत्तियों के समयअपने प्राण खतरे में डालकर भीआपत्पीडितों की सहायता की है. संघ के स्वयंसेवकों का यह एक स्वभाव ही बन गया है किसंकट के समय अपने बंधुओं की रक्षा के लिए दौडकर जाना. कोई भी प्रान्त लेसर्वत्र सबको यह एक ही अनुभव आता है.

अन्य कार्य
अनचाहेछोड़ दिये अर्भकों को संभालने का काम जैसे शंकर पापळकर का प्रकल्प कर रहा हैवैसा ही काम यवतमाल के ज्येष्ठ संघ कार्यकर्ता स्वर्गीय बाबाजी दाते ने शुरु किया था. उनकी संस्था का नाम है मायापाखर’. फिलहाल इस मायापाखरमें ४ लड़के और १४ लड़कियॉं है. अनेक स्थानों पर स्वयंसेवक वृद्धाश्रम भी चला रहे है.

इस सेवाभारती के उपक्रम का उद्दिष्ट क्या हैउद्दिष्ट एक ही है कि सबकोहम समाज के एक घटक हैऐसा लगे. उनके बीच समरसता उत्पन्न हो. सबको हम एक राष्ट्र के घटक हैइसलिए हम सब एकात्म है ऐसा अनुभव हो. इस प्रकार यह सही में राष्ट्रीय कार्य है. संघ के शिबिरों में प्रशिक्षण लेकर स्वयंसेवक इस मनेावृत्ति से अपने जीवन का विस्तार कर उसे वैसा ही बनाते है. हमारे गृहमंत्री कोमाननीय शिंदे साहब कोइस निमित्त यह बताना है किसंघ के शिबिर में एकात्मएकरसएकसंध राष्ट्रीयत्व की शिक्षा दी जाती है. आतंकवाद नहीं सिखाया जाता. कृपा कर पुन: अपनी जुबान न फिसलने दे और किसी संकुचित सियासी स्वार्थ के लिए बेलगाम वचनों से उसे गंदी न करे.  

मा. गो. वैद्य
(अनुवाद : विकास कुलकर्णी)

Shinde’s regret like parents giving candy to a sulking child….


Author: Prashant Panday
Publication: The Times of India
Date: February 21, 2013

Sushil Kumar Shinde’s “regret” (for his comments on saffron terror and the RSS/BJP’s involvement in cultivating terror outfits) means little. It’s just a way to appease a crying child by giving him a sugar candy. It’s what parents do all the time with their spoilt children; especially ahead of important events. It’s no different with Shinde, who expressed regret keeping the impending Parliamentary session in mind.

When parents give their sulking child a candy, they “temporarily” forgive the child’s tantrums. It does not mean that the child is right, or that the parents wrong. All that it means is that the wiser of the two – the parents – takes a larger view of things and focuses on the bigger picture. If there is an exam ahead, its important the child focuses on that. If there are guest coming home, its important the child doesn’t throw a tantrum at that time. The compulsions of the moment determine the parents’ course of action. It’s the exact same in this case. The Congress figures it will achieve more by withdrawing a bit now.

To be fair to Shinde, he never linked any particular religion to terror. By calling something “saffron terror”, he only pointed out that there are Hindu terrorists as well (in addition to all the other varieties). It was the exact equivalent of “Green terror”, which doesn’t mean that all Muslims are terrorists. Both descriptions are just a colorful way of understanding terrorism patterns. Shinde’s statement was correct – there surely are Hindu terrorists, just as there are Muslim terrorists. That does not mean he linked a particular religion to terror, even if the BJP thinks so. I don’t think the Shinde’s regret withdraws from that position of fact.

Hindu terror is a position of fact. So many arrests made recently – in cases ranging from the Samjhauta Express blasts to the Mecca Masjid bombing – link Hindu groups to terrorist activities. But I fail to understand why Hindus should get rankled with this. What’s so surprising that a few Hindus were caught indulging in terrorist activities? Is it anyone’s – except the BJP’s of course – hypothesis that Hindus simply cannot be terrorists? And if so, why? What is there in the Hindu religion (or for that matter, in any religion) that permits terrorism? It’s always the rogue elements who bring disrepute to a religion. Why can’t there be rogue elements amongst the Hindus? This is just political balderdash. Stray elements exist in all groupings, and Hindus are no different.

There may not be a linkage to any particular religion. But there surely is to a particular religious grouping – the sangh parivar. In several cases, the linkage with the sangh parivar been established. Several terrorists arrested for the above mentioned crimes are members or ex-members of one or the other outfit of the saffron parivar. The murderer (convicted) of Graham Staines, the Christian missionary working for the benefit of the poorest in Orissa, Dara Singh, was a Bajrang Dal activist. Swami Aseemanand, accused of masterminiding the Samjhauta Express blasts is a Hindu religious leader. This is what Wikipedia writes about him “Swami Aseemanand born as Jatin Chatterjee in West Bengal, joined the Vanvasi Kalyan Ashram, inspired by the Rashtriya Swayamsevak Sangh in 1978”. Lt. Col Purohit, also an accused in the same case is suspected to be a member of the Abhinav Bharat, another Hindu right wing outfit. The organization was first set up before independence by Veer Savarkar, and is currently headed by Savarkar’s grand-daughter, Himani Savarkar, who (Wikipedia mentions) is related to Nathuram Godse, the killer of Mahatma Gandhi. Abhinav Bharat has also been linked to the Malegaon blasts. Incidentally, Savarkar has been described as having extremely good relations with Hedgewar (the founder of RSS) and the two have been described as “two bodies with one heart”. So let’s not fool ourselves. RSS/Abhinav Bharat/Bajrang Dal….all have regrets of their own to offer to the country.

A regret by Shinde does not mean that he has absolved the sangh parivar of its involvement in terror ats. It is not meant to undo the truth. Shinde’s regret means little on the ground. It won’t stop the arrest of Hindu terrorists, if they are out there. It won’t stop the political fight on the basis of religious ideologies. It won’t stop the hangings of Hindus who are on the death row. The actions will continue as earlier. Whoever is involved will be punished. And that’s the way it should be in any country that believes in the rule of law.

In any case, now that the issue is behind us, let’s see what the BJP does. Does it allow Parliament to function? Or does it disrupt it on some or the other flimsy excuse. My feeling is that it will find some other excuse. Like I wrote yesterday, the party’s obstruction is not on any specific point; it is intended to stop the Congress from doing its job. Let’s keep an eye on what happens.

The real truth is that Shinde and the Congress have behaved like responsible parents, who sometimes concede ground to a spoilt child, keeping an eye on the larger goals. It’s called “maturity”, something that most in politics don’t understand….

Monday, February 25, 2013

Beijing-Islamabad major threat, Bhagwat reminds New Delhi


By Anurjaya Dhala

BHUBANESWAR:Both Beijing and Islamabad continued to remain major threat for New Delhi in entire South Asian region, Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) sarasanghchalak Mohan Bhagwat said here on Sunday after ending his 4-days long Odisha visit.
Addressing a public gathering at Baramunda here, Bhagwat said here on Sunday while Pakistan’s challenge is open, China’s anti-India pursuit is more strategic and hidden.
“Pakistan has made several attempts to rattle Indian security forces though it is very weak compared to India. However, every time India was advised to restrain itself,” Bhagwat said.
On the recent beheading of an Indian jawan by Pakistani soldiers along the Line of Control ( LoC) in Jammu and Kashmir, the RSS chief said, “They cut our man’s head, but we did nothing.” Distinguishing China’s aggression strategy from that of Pakistan, Bhagwat said China always talks of friendship but silently pursues its mission against India.
China is trying to complete its ‘encirclement’ (isolate Indian forces), the RSS chief said.
Bhagwat said to weaken India’s economy, China has been exporting commodities at very cheap prices.
“Why do not you (international community) ask Pakistan to stop pursuing anti-India policies,” Bhagwat asked adding that Foreign Minister of Pakistan speak on subjects which she should not during her visit to India and other countries.
India only shouts and does not act to stop such heinous (beheading of soldiers) activities of Pakistan, Bhagwat alleged saying that the people of India have reasons to be worried over the security of the nation.
Bhagwat said that national security of India was a matter of great concern, and alleged that country’s international borders, both in land and water, was not fullproof therefore smuggling of arms, narcotic drugs and others were possible.
There was a large influx of infiltrators to the country while neither the Government of India nor state governments have any mechanism to drive them out, he alleged. “Even there is no effort to identify them (infiltrators),” he said.
The RSS Sarasanghachalak accused political leadership of indulging in the politics of personal interest rather than working for the national interest and said society should have complete control over such politicians. Speaking on FDI he said, “Allowing FDI in retail sector will only add to the unemployment problem of the country.”
Asking Swayam Sevaks to be fearless, the RSS Chief quoted Swami Vivekananda’s message of developing the courage to face problems instead of sulking and leaving it on the fate.

Riots erupt in Bengal



Sandhya Jain
21 February 2013

Amidst a near-complete media blackout and distressing silence from statutory bodies like the National Human Rights Commission, a serious communal flare up has taken place in South 24 Parganas district of West Bengal, with more than 200 Hindu homes torched and looted in four villages of Naliakhali, Herobhanga, Gopalpur and Goladogra, in the Canning police station area, from the wee hours of February 19. Almost two dozen Hindu shops were fully damaged and looted in Joynagar police station area; many shopkeepers have fled and members of the besieged community have begun to send their womenfolk away.

Although triggered by a purely local incident, the looming Panchayat elections in the State seem to have given vested interests an opportunity for a show of strength. Competitive communalism is in the air, with the two major political formations fighting to capture the huge Muslim vote in the State.

By all accounts, the trouble began late in the night of February 18-19 when maulvi Rohul Kuddus (resident of Ghutiyari Shariff, South 24 Parganas) and Abdul Wahab (resident of village Moujpur, Joynagar) were returning from Jaamtala Haat in Kultali after attending a religious congregation. Maulvi Kuddus was driving a motorcycle when the duo was attacked by unidentified culprits on the Naliakhali main road. Maulvi Rohul Kuddus was shot dead and aide, Abdul Wahab, injured.

The motive for the murder is unclear. Reports in a prominent newspaper however, claim that the Maulvi was carrying Rs. 11.5 lakhs, which was taken away by the assailants. Other sources say that huge unaccounted funds are circulating in the region and are being used to buy unlicensed firearms and ammunition, under the patronage of political parties.

Bus driver Samir Sen, coming to Canning from the Golabari terminal, spotted the body at around 4.25 am on February 19; he stopped and found that the Maulvi was already dead. His motorcycle was lying on the side of the road. Sen reported the crime to the police at Canning, as did other bus drivers who came that way, but the police were tardy in arriving at the scene and picking up the body. The injured Abdul Wahab escaped and contacted other people.

As rumours spread, large numbers of Muslims began to descend upon the area in trucks. The headmaster of a local school reportedly incited the mob, and soon Hindu homes began to be attacked from the early hours of February 19. The violence quickly escalated with the police and administration initially at a loss. According to local reports, police officers Anup Samaddar and Anup Ghosh of the Canning police station were seriously injured and two police vehicles torched in the turmoil. The unrest has spread to Sandeshkhali area of North 24 Parganas.

Hindu Samhati leader Tapan Ghosh, who is monitoring the situation with volunteers, told a local television channel that after the maulvi’s body was found, Naliakhali village, which was closest to the site of the crime, was attacked and looted, the village temple damaged, and five women molested. As the police party was initially outnumbered, the mob torched homes with impunity, pouring petrol and setting them ablaze in a three hour rampage. Naliakhali villagers claimed they had no knowledge about the murder and the reasons for the attack on them until the police arrived.

Neighbouring villages were also attacked and Hindus beaten and their shops destroyed. The mob set up road blocks at several places such as Natunhat, Priyor More (Joynagar ps), Bhangankhali, Hospital More (Basanti ps).

As the violence escalated, the administration rushed battalions of Combat Force and Rapid Action Force to bring the situation under control. Police from Bidhannagar and Howrah were also deployed with water cannons. But the peace is still fragile as several dozen truckloads of people from various parts of Kolkata such as Park Circus, Rajabazar, Metiaburz and Garden Reach, are heading towards Canning subdivision.

The forthcoming Panchayat elections in the State seem to be the backdrop for both the murder and the violence. Both the CPM and the Trinamool Congress are determined to monopolise the Muslim vote. Muslims comprise nearly 30 per cent of the population of the State according to official statistics, though informed sources put the de facto figure much higher on account of the ceaseless infiltration from Bangladesh.

According to the Census 2001, the district-wise population of Muslims in West Bengal isMurshidabad (63.67 per cent); Malda (49.72 per cent); North Dinajpur (47.36 per cent); Birbhum(35.08 per cent); South 24 Parganas (33.34 per cent); Nadia (25.41 per cent); Howrah (24.44 per cent); Cooch Behar (24.24 per cent); North 24 Parganas (24.22 per cent); South Dinajpur(24.01 per cent); Kolkata (20.27 per cent); Bardhaman (19.78 per cent); Hooghly (15.14 per cent); Midnapore (11.32 per cent); Jalpaiguri (10.78 per cent); Bankura (7.51 per cent); Purulia(7.12 per cent) and Darjeeling (5.31 per cent).

The infiltrators appear to be organizing themselves and ganging up with local co-religionists to challenge the majority community and change the demography of some target districts.

Should Hindu families feel compelled to retreat from the area, an Assam-like situation could develop in Bengal as well, as illegal Bangladeshis align with native elements and to swamp the State with the benign connivance of political parties. 

NitiCentral.com, 21 February 2013

Yearly Mela and Yagyan of SRI GURU ANANT ASHRAM JATIYA SARBODAYA SAMITI was celebrated



Dhenkanal (23/2) - SRI GURU ANANT ASHRAM JATIYA SARBODAYA SAMITI                 is a social organization working since last 55 years in the principles of Mahatma Gandhi & Vinoba Bhave to eradicate the un-touch-ability disease of our great culture in the principles of Sarbodaya Movement. Bhuinpur is the head-quarter of around 2 hundred centres in all over the state.
Yesterday, Yearly Magha Mela and Yagyan was celebrated at the head-quarter. Nearly 2 Thousand people mostly ST,SC, Backward & Ladies from all over the state have been participated in this occasion.
The Dhenkanal Sub-Collector Pradipta Kumar Sahany attended the event as the Chief Guest & praised the social theme of the ashram. The Chief Speaker National Convener of Rashtriya Yuva Sangathan Dr. Biswajit Roy narrated how the founder Sadguru Sri Satyabadi Satapathy was closely related with  Vinoba Bhave & Malati Choudhury.
Rajya Sabha MP A.V.Swamy phoned to the mobile of the farmer leader & State Advisor of the Samiti Er. Debashisha Hota & gave his speech. He regretted since he could not attended this grand event due to Parliament Budget Session & promised to come in the coming March during the vacation. Here noteworthy that, the Inauguration of Sarbodaya Sadhana Mandap has been postponed for his absence.
State President Samant Ghanashyam Das & State Working President Basant Pattayat gave the welcome speech whereas Local Committee President Narayan Samal gave the thanks. The meeting was co-ordinated by Er.Hota. The other people spoke on this occasion are State Secretary Govind Chandra Mallik, State Treasurer Kamakhya Prasad Hota, State Executive Members Baba Chandramani Das, Gopal Swain & Ramesh Swain.
The 5-coluor flag was inaugurated at 7.30 pm and Yagyan started. Spiritual talking & singing has been continued for whole night. The sound operator Annada Sankar Panigrahy stopped the Sound system without any reason mid-way. The public was aggrieved. But, no mishap happened due to present mind of Er. Hota.
1 section police force has been deployed to maintain law & order situation. Hence Er.Hota gave thanks to District Collector Bishnu Prasad Panda, SP Manoranjan Mohanty, ADM Smt. Sushama Rani Devi, Dhenkanal Sub-Collector Pradipta Kumar Sahany, Dhenkanal Sadar IIC Manas Gadanayak & all other administrative & police personnel.
GOVIND CHANDRA MALLIK
State Secretary
SRI GURU ANANT ASHRAM JATIYA SARBODAYA SAMITI                                                 
+919938893415

Wednesday, February 20, 2013

IB raised issue of Bangla influx in 1950s



Kalyan Barooah

NEW DELHI, Feb 11 – The Centre and some State governments including Assam Government may be underplaying the problem of illegal influx from Bangladesh, but the Central intelligence agencies had red flagged the problem way back in the 1950s even recommending a thorough census along with the national census to ascertain the dimension of the problem.
In a rare glimpse into the thinking of the country’s premier agency, the Intelligence Bureau (IB), about the problem of illegal influx, a former chief of the agency, TV Rajeswar, who had also served as Governor of West Bengal, Sikkim and Lt Governor of Arunachal Pradesh, acknowledged that the problem of migration of Bangladeshis into India has been of considerable importance from the national security point of view.

“As Director of Intelligence Bureau (DIB) I was aware of the problem, which was slowly but steadily becoming more and more serious,” he has written in an article ‘The Reminiscences of an IB Officer” in The Indian Police Journal.

Several top sleuths, who were closely associated with the organisation at one point of time or other, have contributed in the special issue of the journal on the occasion of 125 years of the Intelligence Bureau. Some of the articles reveal interesting facts like the series of measures suggested by the IB to tackle the problem of illegal migrants were not implemented, an assessment given by the then Assam Governor and his over-enthusiastic adviser that Assam Agitation would fizzle out under police crackdown. The suggestion was challenged by the IB, which analysed that thousands would die proved to be correct.

Rajeswar, who was an IPS officer, served as the IB chief (1980-1983) during the tumultuous days when Assam Agitation was at its peak. In fact, he says in his article that the problem of illegal migration was flagged first by the first DIB BN Mullick (1950-1964). He (Mullick) had closely studied the issue and suggested a series of important measures to be taken by the Centre and the State, which were not implemented adequately due to various reasons including political compulsions.

“After the Janata Dal Government assumed office at the Centre, I wrote in January 1990 to IK Gujral with copies to the Prime Minister and the Home Minister, suggesting that a detailed study may be carried out by a committee consisting of senior officers from the ministries of External Affairs and Home, as well as from the State governments of West Bengal and Bihar followed by a thorough census, along with the national census of 1991, to ascertain the dimensions of the problem of illegal Bangladeshi immigrants into India,” he wrote.

In his article, Rajeswar revealed that the problem of illegal Bangladeshis was more serious in West Bengal than perceived earlier. In his first report after assuming office as Governor, he submitted a written report to the President and the Prime Minister about the problem. “After my tour of in the North Bengal districts, when I visited the border check posts and discussed the problem with local officials and the BSF officers, I wrote a detailed letter to Chief Minister Jyoti Basu on June 5, 1989,” he mentioned.

Another veteran North-east hand O.N.Srivastava in an article on the same issue, throws light on the behind-the-scene developments in IB during the controversial 1983 polls in Assam, when the State was under President’s Rule.

It was in 1983, when an important meeting was held with the Prime Minister in the chair discussing the Assam Agitation. The meeting was also attended by the DIB TV Rajeswar, the Governor of Assam and his adviser on law and order.

Both the Governor and his adviser favoured holding of election without any delay. They made it clear that holding election might lead to some localised violence and the CRPF might have to be used and 20-25 persons may die in the process. The agitators, who had by then not seen a strong lathicharge, would run away and agitation would fizzle out.

“What are you talking? Our senior officers have just the other day assessed the situation in detail… Violence would be so widespread that Assam administration would run out of policemen to reach everywhere… the number of casualties would run into thousands. It did not take a month for the DIB to be proven right,” writes Srivastava.


Thursday, February 14, 2013

Hindu Atankabaa - Action and reaction



हिंदू आतंकवाद
हिंदू आतंकवाद’, ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे गैरजिम्मेदाराना शब्दों का प्रयोग करने के लिए गृहमंत्री शिंदे का निषेध करने वाला लेख मैंने गत भाष्य में ही लिखा था. फिर उस विषय की चर्चा का वैसे कोई प्रयोजन नहीं था. लेकिनवह लेख लिखने के बाद उसी विषय पर दो बहुत ही अच्छे लेख मैंने पढ़े. उन लेखों का भी मेरे वाचकों को परिचय होइस हेतु से उन लेखों का स्वैर अनुवाद यहॉं प्रस्तुत कर रहा हूँ.

एस. गुरुमूर्ति का लेख
पहला लेख है एस. गुरुमूर्ति का. वह चेन्नई से प्रकाशित होने वाले न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ के २४ जनवरी के अंक में प्रकाशित हुआ है. विषय मुख्यत: भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेसमेंभारत में पानिपत में हुए बम विस्फोट और उसके लिए बहुत देर बाद सरकारी जॉंच यंत्रणा ने तथाकथित हिंदू आतंकवादियों को धर दबोचने के बारे में है. वह इस प्रकार है -

दाऊद इब्राहिम की मदद
‘‘२० जनवरी १३ कोजयपुर में कॉंग्रेस के तथाकथित चिंतन शिबिर में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने समझौता एक्सप्रेसमक्का मसजिद और मालेगॉंव में हुए बम विस्फोट के लिए रा. स्व. संघ और भाजपा को जिम्मेदार बताया था. शिंदे का वक्तव्य प्रसिद्ध होने के दूसरे ही दिन लष्कर-ए-तोयबा का नेता हफीज सईद ने संघ पर पाबंदी लगाने की मांग की थी. अत: सईद की इस मॉंग के लिए शिंदे ही गवाह साबित होते है. अब हम इस बम विस्फोट के सबूतों पर विचार करेंगे.’’
‘‘राष्ट्र संघ की सुरक्षा समिति ने २९ जून २००९ को पारित किए प्रस्ताव में कहा है कि, ‘२००७ के फरवरी माह में समझौता एक्सप्रेस में जो बम विस्फोट हुआ उसके लिए लष्कर-ए-तोयबा का मुख्य समन्वयक कासमानी अरिफ जिम्मेदार है.’ इस कासमानी को दाऊद इब्राहिम ने पैसा दिया था. दाऊद ने अल् कायदा’ इस आतंकी संगठन को भी पैसों की मदद की थी. इस मदद के बदले समझौता एक्सप्रेस पर हमला करने के लिए अल् कायदाने आतंकी उपलब्ध कराए थे. सुरक्षा समिति का यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ की साईट पर उपलब्ध है. दो दिन बाद मतलब दि. १ जुलाई २००९ को अमेरिका के (युएसए) कोषागार विभाग (ट्रेझरी डिपार्टमेंट) ने एक सार्वजनिक पत्रक में कहा है किअरिफ कासमानी ने बम विस्फोट के लिए लष्कर-ए-तोयबा के साथ सहयोग किया. अमेरिका ने अरिफ कासमानी सहित कुल चार पाकिस्तानी नागरिकों के नाम भी घोषित किए है. अमेरिका सरकार के इस आदेश का क्रमांक १३२२४ है और वह भी सरकारी साईट पर उपलब्ध है.’’

पाकिस्तान की कबुली
‘‘राष्ट्र संघ और अमेरिका ने लष्कर-ए-तोयबा और कासमानी के विरुद्ध कारवाई घोषित करने के उपरान्तछ: माह बाद पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक नेपाकिस्तान के आतंकवादीसमझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में शामिल थेयह मान्य किया. लेकिन उसे एक परन्तुक (रायडर) जोड़ा. वह इस प्रकार किलेफटनंट कर्नल पुराहित ने पाकिस्तान में रहने वाले आतंकवादियों को इसके लिए सुपारी दी थी. (संदर्भ - इंडिया टुडे’ ऑन लाईन२४ - ०१ - २०१०)’’
‘‘राष्ट्र संघ या अमेरिका या पाकिस्तान के गृहमंत्री की बात छोड़ दें. अमेरिका में इस मामले की जिस एक अलग यंत्रणा ने जॉंच कीउसमें से और कुछ जानकारी सामने आई है. करीब १० माह बाद सेबास्टियन रोटेल्ला इस खोजी पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है किसमझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में डेव्हिड कोलमन हेडली का भी हाथ था. यह उसकी तीसरी बीबी फैजा आऊतल्लाह ने अपने कबुलनामें में बताया है. रोटेल्ला के रिपोर्ट का शीर्षक है, ‘२००८ में मुंबई में हुए बम विस्फोट के बारे में अमेरिकी सरकारी यंत्रणा को चेतावनी दी गई थी’ रोटेल्ला आगे कहते है कि, ‘मुझे इस हमले में लपेटा गया हैऐसा फैजा ने कहा है’ (वॉशिंग्टन पोस्ट - ०५ - ११ - २०१०) २००८ के अप्रेल माह में लिखी अपनी जॉंच के रिपोर्ट के अगले भाग में रोटेल्ला कहते है कि, ‘‘फैजाइस्लामाबाद के (अमेरिकी) दूतावास में गई थी और २००८ में मुंबई में विस्फोट होगेऐसी सूचना भी उसने दी थी.’’    

सीमी का भी सहभाग
‘‘सन् २००७ मेंसमझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट के मामले की जॉंच के चलते समय हीइस हमले में सीमी’ (स्टुडण्ट्स इस्लामिक मुव्हमेंट ऑफ इंडिया) संस्था का भी सहभाग थाऐसे सबूत मिले है. इंडिया टुडे’ के १९ - ०९ - २००८ के अंक के समाचार का शीर्षक था मुंबई में रेलगाडी में हुए विस्फोट और समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में पाकिस्तान का हाथ : नागोरी’ उस समाचार में लष्कर-ए-तोयबा और पाकिस्तान के सहभाग का पूरा ब्यौरा दिया गया है. सीमी’ के नेताओं की जो नार्को जॉंच की गईउससे यह स्पष्ट होता है. इंडिया टुडे के समाचार के अनुसारसीमी के महासचिव सफदर नागोरीउसका भाई कमरुद्दीन नागोरी और अमील परवेज की यह नार्को जॉंच बंगलोर में अप्रेल २००७ में की गई थी. इस जॉंच के निष्कर्ष इंडिया टुडे’ के पास उपलब्ध है. उससे स्पष्ट होता है किभारत के सीमी कार्यकर्ताओं नेसीमा पार पाकिस्तानियों की सहायता सेयह बम विस्फोट किए थे. एहतेशाम और नासीर यह सीमी’ के उन कार्यकर्ताओं के नाम है. उनके साथ कमरुद्दीन नागोरी भी था. पाकिस्तानियों नेखाली सूटकेस इंदौर के कटारिया मार्केट से खरीदी थी. इस जॉंच में यह भी स्पष्ट हुआ किउस सूटकेस में पॉंच बम रखे गए थे और टायमर स्विच से उनका विस्फोट किया गया.’’

एटीएस का झूठ
‘‘यह सबूत सामने होते हुए भी महाराष्ट्र का पुलीस विभागइस दिशा में आगे क्यों नहीं बढ़ रहा. ऐसा प्रश्‍न स्वाभाविक ही निर्माण होता है. ऐसा दिखता है किमहाराष्ट्र पुलीस विभाग के कुछ लोगों को, समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट का मामला कैसे भी मालेगॉंव बम विस्फोट से जोड़ना था. महाराष्ट्र के दहशतवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) नेअपने वकील के मार्फतविशेष न्यायाधीश को बताया किमालेगॉंव बम विस्फोट मामले के आरोपी कर्नल पुरोहित ने ही समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट के लिए आरडीएक्स उपलब्ध कराया था. लेकिन नॅशनल सेक्युरिटी गार्ड’ इस केन्द्र सरकार की यंत्रणा ने बताया किसमझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में आरडीएक्स का प्रयोग नहीं किया गया था. पोटॅशियम क्लोरेट और सल्फर इन रासायनिक द्रव्यों का उपयोग किया गया था. तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटील ने भी इस विधान की पुष्टी की थी. मजे की बात तो यह है किउसी दिन मतलब १७-११-२००८ को दहशतवाद विरोधी दस्ते के वकील ने भी अपना पहले का बयान वापस लिया था. लेकिन जो हानि होनी थी वह तो हो चुकी थी. पाकिस्तान ने घोषित किया कीसचिव स्तर की बैठक में समझौता एक्सप्रेस पर हुए हमले में कर्नल पुरोहित के सहभाग का मुद्दा उपस्थित किया जाएगा. अंत में २० जनवरी २००९ को दशतवाद विरोधी दस्ते ने अधिकृत रूप में मान्य किया किसमझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट के लिए कर्नल पुरोहित ने आरडीएक्स उपलब्ध नहीं कराया था.  इस प्रकार समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट का केन्द्रलष्कर-ए-तोयबा और सीमी’ से कर्नल पुरोहित और उसके द्वारा भगवे रंग की ओर मोडा गया. क्या महाराष्ट्र पुलीस यंत्रणा पर दाऊद इब्राहिमब का प्रभाव है? इसकी जॉंच होनी चाहिए.’’
प्रश्‍न यह है किकौन सच बता रहा हैराष्ट्र संघअमेरिकाया शिंदे साहबशिंदे साहब से उत्तर की अपेक्षा है.
****                                 ****                       ****
फ्रॅन्कॉई ग्वाटिये का लेख
दूसरा लेख है विदेशी पत्रकार फ्रॅन्कॉई ग्वाटिये (Francois Gautier) का. उनके लेख का शीर्षक है ‘‘हिंदू आतंकवाद नाम की कोई बात है?’’ (Is There Such a Thing As Hindu Terrorism)  उनके लेख को भी शिंदे के वक्तव्य का संदर्भ है. वे लिखते है -

‘‘मैं विदेशी संवाददाताओं में अपवादभूत संवाददाता हूँ. मेरा हिंदूओं पर प्रेम है. मैं जन्म से फ्रेंच हूँ. कॅथॉलिक हूँ. मतलब अहिंदू हूँ. मेरे अपने मतों के लिए मुझे ही श्रेय दिया जाना चाहिए. कारणवह मत मुझे मेरे माता-पिता से नहीं मिले. मेरी शिक्षा या वंशपरंपरा से भी नहीं आए. १९८० से ला जर्नल दि जिनेव्हा’ और ला फिगॅरो’ माचार पत्रों के लिएदक्षिण आशिया के घटनाक्रमों का विश्‍लेषण करते समय मुझे जो दिखा और अनुभव हुआउससे मेरे यह मत बने है. धीरे-धीरे मुझे अनुभव हुआ किइस देश की विशेषताएँ हिंदू जीवनमूल्यों  (ethos) और हिंदूत्व के आधारभूत सच्ची आध्यात्मिकता में है.’’

हिंदूओं की विशेषता
‘‘लाखों ग्रामीणों में यह सादीअंगभूत आध्यात्मिकता मैनें अनुभव की है. वह आपकी विविधता का स्वीकार करती है. फिर आप ईसाई हो या मुसलमान,अरब हो या ज्यूफ्रेंच हो या चिनी. इस हिंदुत्व के कारण हीभारतीय ईसाई फ्रेंच ईसाई से अलग होता है या भारतीय मुसलमानसौदी मुसलमान से अलग लगता है. मैंने देखा है किहिंदूओं की ऐसी श्रद्धा है किईश्‍वर अलग-अलग समय परअलग-अलग रूपों मेंअलग-अलग नाम धारण कर सकता है. इस धारणा के कारण हीहिंदूओं नेकम से कम गत साडेतीन हजार वर्षों मेंकिसी देश पर फौजी हमला नहीं कियाउसी प्रकारशक्ति या लालच से अपना धर्म किसी पर नहीं लादा.’’

वेदनादायी तुलना
‘‘ऐसा होते हुए भीगुस्से में अपवादस्वरूप ईसाई चर्च जलाने वाले हिंदूओं की तुलनानिरपराध लोगों का कत्ल करने वाली सीमी’ जैसी संस्था के साथ की जाती हैतब मुझे पीडा होती है. क्रोधावेश में चर्च पर हमले हुएलेकिन किसी की हत्या नहीं हुईयह भी ध्यान में रखना चाहिए.’’
‘‘बाबरी मसजिद ध्वंस करना निंदनीय होने पर भीउस मामले मेंकिसी मुसलमान की हत्या नहीं हुई थी. इसकीबाबरी का बदला के लेने के लिए १९९३ में मुंबई में जो बम विस्फोट हुएउससे जरा तुलना करें. मुंबई में हुए बम विस्फोट में सैकड़ों लोग मारे गए थे.’’

हिंदू ही आघात-लक्ष्य
‘‘मुझे यहॉंउस तथाकथित हिंदू दहशतवाद के बारे में बताना ही चाहिए. अरबस्थान से आए पहले आक्रमण से हीहिंदू ही आघात-लक्ष्य रहे हैं. तैमूरलंग ने सन् १३९९ मेंएक ही दिनएक लाख हिंदूओं का कत्ल किया था. पोर्तुगीजों ने इन्क्विझिशन के नाम परगोवा मेंसैकड़ों ब्राह्मणों को सुली पर चढ़ा दिया था. आज भी हिंदूओं का उत्पीडन समाप्त नहीं हुआ है. कश्मीर के दस लाख हिंदू उसके भोग भोग रहे है. आज कुछ सौ की संख्या में ही हिंदू वहॉं बचे है. अन्य नेदहशत से स्वयं को बचाने के लिए वहॉं से पलायन किया है. केवल गत चार वर्षों की अवधि मेंसंपूर्ण भारत में हुए अनेक बम विस्फोटों में सैकड़ों निरपराध हिंदू मारे गए है.’’

भेदभाव का बर्ताव
‘‘इस देश में हिंदू बहुसंख्य है. लेकिन उनका मजाक उडाया जाता है. उन्हें मूलभूत सुविधाएँ भी प्राप्त नहीं होती. अमरनाथ यात्रा का उदाहरण मेरे सामने है. सरकार हिंदूओं की हैफिर भी यह हो रहा है. और हज यात्रा को पुरस्कृत किया जाता है.’’
‘‘हिंदू वनवासीयों को आर्थिक लालच या आर्थिक फन्दें में फँसाकर ईसाई बनाया जाता है. उनमें के एक ८४ वर्षीय साधू और एक साध्वी की नृशंस हत्या की जाती है. लेकिनकभी-कभी वर्षानुवर्ष भेड-बकरियों की तरह कत्ल सहने वाले हिंदूजिन्हें महात्मा गांधी ने कायर कहा थाताकत के साथ उठ खड़े होते है. ऐसा ही गुजरात में हुआ था. जम्मूकंधमालमंगलोरमालेगॉंव या अजमेर में हुआ था.’’

आँकड़े बताओ
‘‘अन्यत्र भी ऐसी घटनाएँ हो सकती है. हमने यह ध्यान में लेना चाहिए कियह घटनाएँ सियासी नेतृत्व ने नहीं कराई. वह उत्स्फूर्त उद्रेक होता है. दुनिया की जनसंख्या में १०० करोड़ हिंदू है. दुनिया के कानूनों का पालन करने वाले और उद्योगों में सफल लोगों में उनकी गिनति होती है. क्या हम उन्हें आतंकवादी कहेंगे१९४७ से मुसलमानों की ओर से कितने हिंदू मारे गए और हिंदूओं की ओर से कितने मुसलमान मारे गएइसके आँकड़े अन्य कोई प्रस्तुत करे या न करे कम से कम भाजप ने यह अवश्य करना चाहिए. वे आँकड़े ही सच क्या है यह बताएगे.’’

सुशील कुमार जीआपके पास है इसका जबाबशायद नहीं ही होगाऔर रहा तो भी आप वह नहीं देगे. कारण वे हिंदू है!