newsbharati.com से साभार
स्रोत: News
Bharati तारीख: 5/24/2012 5:21:24 PM
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महाराष्ट्र राज्य के जलगॉंव जिले
के मुक्ताईनगर तहसील में बसा काकोडा गॉंव भारत के अधिकांश गॉंवों के समान अनेक समस्याओं से
जूझ रहा था. १९७७ में, गॉंव
में के
एक शिक्षक भालचन्द्र दिनकर कुलकर्णी ने गॉंव सुधार के उपाय आरंभ किए. लोगों ने उन उपायों
को सक्रिय प्रतिसाद दिया और आज यह गॉंव एक उपक्रमशील गॉंव का नमूना बन गया है.
गॉंव में अधिकांश किसान और खेतीहर मजदूर रहते है. खेती बारिश पर निर्भर होने के कारण गॉंव के अधिकांश लोग वर्ष में करीब छ: माह बिना रोजगार के बेकार रहते थे. लोगों के आपस में तंटे-बखेड़े चलते रहते थे. गॉंव में गंदगी फैली थी. साल भर पानी भी नहीं मिलता था. धूपकाले में दूर-दूर से पानी लाना पड़ता था. रस्ते नाममात्र को ही थे. सारे गॉंव में दो-चार घरों में ही बिजली थी. जैसे-तैसी बदहाली में गॉंव का जीवन चल रहा था.
इसी गॉंव में भालचन्द्र कुलकर्णी नाम के एक शिक्षक रहते है. १९७७ में वे ग्राम विकास मंडल के अध्यक्ष थे. तब उन्होंने गॉंव की यह स्थिति बदलने की ठानी. इसके लिए उन्होंने गॉंव की भावी पी़ढ़ि - विद्यार्थीयों - को माध्यम बनाना तय किया. मंडल की ओर से गॉंव के विद्यार्थीयों के लिए अभ्यासिका शुरू की. पहले वर्ष केवल पॉंच विद्यार्थी इस अभ्यासिका में आते थे. आज इस अभ्यासिका में आने वाले विद्यार्थीयों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि इसकी व्यवस्था के लिए चार कार्यकर्ता काम करते रहते है. पहली से बारवी कक्षा तक के, आर्थिक दृष्टि से पिछड़े विद्यार्थीयों के लिए पुस्तके उपलब्ध कराई जाती है. छोटे बच्चों में पढ़ने की रुचि जागृत करने के लिए बाल ग्रंथालय शुरू किया गया है.
गॉंववालों को सफाई का महत्त्व ध्यान में लाने के लिए, ग्रामसफाई के लिए कार्यकर्ताओं की टोली बनाई गई. और इन कार्यकर्ताओं ने सर्वप्रथम खुद ग्रामसफाई का काम हाथ में लिया, गॉंव में पड़ा कचरा इकट्ठा किया, रस्ते साफ किए और अपने आचरण से लोगों को सफाई का महत्त्व बताया. गॉंव के लोग भी साथ जुड़ते गए और ग्राम सफाई अभियान सफल हुआ. गंदे पानी की निकासी के लिए नालियॉं बनाई गई. घरघर में संडास बनाये गये. इससे गॉंव साफ रखने में बहुत सहायता मिली.
काकोडा गॉंव छोटा होने के कारण यहॉं प्राथमिक स्तर की भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होने का प्रश्न ही नही था. इसके लिए मंडल की ओर से ‘आरोग्य पेटी’ (हेल्थ किट) योजना प्रारंभ की गयी.
समाज के हर स्तर पर कार्य करने का मंडल का प्रयास है. इस क्षेत्र के खानाबदोश समाज के लिए गॉंव में एक छोटी बस्ती बसाई गई. उन्हें मकान दिए गए. पानी के लिए बोअरवेल खोद दी. ये खानाबदोश अधिकतर आर्थिक दृष्टि से पिछड़े होते है. आर्थिक अभाव में वे अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते. इस कारण, बच्चों की शिक्षा की ओर इच्छा होते हुए भी वे ध्यान नहीं दे सकते. यह देखते हुए इन बच्चों की शिक्षा और निवास की व्यवस्था मंडल के आश्रमशाला में की गई और उनके लिए शिक्षा के द्वार खुले.
गॉंव का विकास सब के सहायता से होना चाहिए ऐसी इस संस्था की धारणा है. इस दृष्टी से सब लोगों को इकठ्ठा लाने के लिए हर साल दुर्गा उत्सव बडे पैमाने पे आयोजित किया जाता है. हर साल सामूहिक वृक्षारोपण किया जाता है. इसी के साथ भूजल का स्तर बढाने के लिए योजनाए बनायी है और गाववालों के सहायता से वे सब यशस्वी भी हुयी है. भू-जल संग्रहण के लिए योग्य स्थानों पर जल-पुनर्भरण उपक्रम लिए गए. इसका परिणाम भी मिला. अब ग्रीष्म में भी गॉंव में पानी उपलब्ध रहता है.
स्थानीय स्तर पर सिंचाई की व्यवस्था के अंतर्गत जगह-जगह ‘खेत तालाब’ बनाए गए और नदी पर छोटा बांध बांधकर पानी रोका गया. इससे काफी क्षेत्र को सिंचाई का लाभ मिला. किसानों को खेती के बारे में नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिवर्ष किसान मेला आयोजित किया जाता है.
महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी बनाने के लिए, महिलाओं का बचत समूह स्थापन किया. इस समूह की सदस्य घर के कामकाज करने के बाद इकठ्ठा आकर पापड बनाती है. यह पापड आसपास के बाजार में बेचे जाते है. रोजगार निर्मिति के अंतर्गत युवकों को भेड़-पालन, कटिंग सलून, किराना दुकान तथा अन्य छोटे उद्योगों के लिए ॠण दिलाए गए; अनेक युवकों को रोजगार मिला.इन उपक्रमों के साथ ही समाज-जागृति और व्यसन-मुक्ति उपक्रम भी चलाए जाते है. इसके लिए गॉंव के लोगों की ही एक ‘भागवत समिति’ बनाई है. इस समिति द्वारा भजन-कीर्तन के माध्यम से समाज- जागृति और व्यसन-मुक्ति का प्रचार किया जाता है. गाव का वातावरण मंगलमय हो इस लिए हनुमानजी का मंदिर स्थापित किया है. भालचंद्र कुलकर्णी के ग्रामविकास मंडल के कारण अब यह काकोडा गॉंव पूर्णत: खुशहाल और प्रगतिशील बना है, इसमें कोई दोराय नही.
गॉंव में अधिकांश किसान और खेतीहर मजदूर रहते है. खेती बारिश पर निर्भर होने के कारण गॉंव के अधिकांश लोग वर्ष में करीब छ: माह बिना रोजगार के बेकार रहते थे. लोगों के आपस में तंटे-बखेड़े चलते रहते थे. गॉंव में गंदगी फैली थी. साल भर पानी भी नहीं मिलता था. धूपकाले में दूर-दूर से पानी लाना पड़ता था. रस्ते नाममात्र को ही थे. सारे गॉंव में दो-चार घरों में ही बिजली थी. जैसे-तैसी बदहाली में गॉंव का जीवन चल रहा था.
इसी गॉंव में भालचन्द्र कुलकर्णी नाम के एक शिक्षक रहते है. १९७७ में वे ग्राम विकास मंडल के अध्यक्ष थे. तब उन्होंने गॉंव की यह स्थिति बदलने की ठानी. इसके लिए उन्होंने गॉंव की भावी पी़ढ़ि - विद्यार्थीयों - को माध्यम बनाना तय किया. मंडल की ओर से गॉंव के विद्यार्थीयों के लिए अभ्यासिका शुरू की. पहले वर्ष केवल पॉंच विद्यार्थी इस अभ्यासिका में आते थे. आज इस अभ्यासिका में आने वाले विद्यार्थीयों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि इसकी व्यवस्था के लिए चार कार्यकर्ता काम करते रहते है. पहली से बारवी कक्षा तक के, आर्थिक दृष्टि से पिछड़े विद्यार्थीयों के लिए पुस्तके उपलब्ध कराई जाती है. छोटे बच्चों में पढ़ने की रुचि जागृत करने के लिए बाल ग्रंथालय शुरू किया गया है.
गॉंववालों को सफाई का महत्त्व ध्यान में लाने के लिए, ग्रामसफाई के लिए कार्यकर्ताओं की टोली बनाई गई. और इन कार्यकर्ताओं ने सर्वप्रथम खुद ग्रामसफाई का काम हाथ में लिया, गॉंव में पड़ा कचरा इकट्ठा किया, रस्ते साफ किए और अपने आचरण से लोगों को सफाई का महत्त्व बताया. गॉंव के लोग भी साथ जुड़ते गए और ग्राम सफाई अभियान सफल हुआ. गंदे पानी की निकासी के लिए नालियॉं बनाई गई. घरघर में संडास बनाये गये. इससे गॉंव साफ रखने में बहुत सहायता मिली.
काकोडा गॉंव छोटा होने के कारण यहॉं प्राथमिक स्तर की भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होने का प्रश्न ही नही था. इसके लिए मंडल की ओर से ‘आरोग्य पेटी’ (हेल्थ किट) योजना प्रारंभ की गयी.
समाज के हर स्तर पर कार्य करने का मंडल का प्रयास है. इस क्षेत्र के खानाबदोश समाज के लिए गॉंव में एक छोटी बस्ती बसाई गई. उन्हें मकान दिए गए. पानी के लिए बोअरवेल खोद दी. ये खानाबदोश अधिकतर आर्थिक दृष्टि से पिछड़े होते है. आर्थिक अभाव में वे अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते. इस कारण, बच्चों की शिक्षा की ओर इच्छा होते हुए भी वे ध्यान नहीं दे सकते. यह देखते हुए इन बच्चों की शिक्षा और निवास की व्यवस्था मंडल के आश्रमशाला में की गई और उनके लिए शिक्षा के द्वार खुले.
गॉंव का विकास सब के सहायता से होना चाहिए ऐसी इस संस्था की धारणा है. इस दृष्टी से सब लोगों को इकठ्ठा लाने के लिए हर साल दुर्गा उत्सव बडे पैमाने पे आयोजित किया जाता है. हर साल सामूहिक वृक्षारोपण किया जाता है. इसी के साथ भूजल का स्तर बढाने के लिए योजनाए बनायी है और गाववालों के सहायता से वे सब यशस्वी भी हुयी है. भू-जल संग्रहण के लिए योग्य स्थानों पर जल-पुनर्भरण उपक्रम लिए गए. इसका परिणाम भी मिला. अब ग्रीष्म में भी गॉंव में पानी उपलब्ध रहता है.
स्थानीय स्तर पर सिंचाई की व्यवस्था के अंतर्गत जगह-जगह ‘खेत तालाब’ बनाए गए और नदी पर छोटा बांध बांधकर पानी रोका गया. इससे काफी क्षेत्र को सिंचाई का लाभ मिला. किसानों को खेती के बारे में नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिवर्ष किसान मेला आयोजित किया जाता है.
महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी बनाने के लिए, महिलाओं का बचत समूह स्थापन किया. इस समूह की सदस्य घर के कामकाज करने के बाद इकठ्ठा आकर पापड बनाती है. यह पापड आसपास के बाजार में बेचे जाते है. रोजगार निर्मिति के अंतर्गत युवकों को भेड़-पालन, कटिंग सलून, किराना दुकान तथा अन्य छोटे उद्योगों के लिए ॠण दिलाए गए; अनेक युवकों को रोजगार मिला.इन उपक्रमों के साथ ही समाज-जागृति और व्यसन-मुक्ति उपक्रम भी चलाए जाते है. इसके लिए गॉंव के लोगों की ही एक ‘भागवत समिति’ बनाई है. इस समिति द्वारा भजन-कीर्तन के माध्यम से समाज- जागृति और व्यसन-मुक्ति का प्रचार किया जाता है. गाव का वातावरण मंगलमय हो इस लिए हनुमानजी का मंदिर स्थापित किया है. भालचंद्र कुलकर्णी के ग्रामविकास मंडल के कारण अब यह काकोडा गॉंव पूर्णत: खुशहाल और प्रगतिशील बना है, इसमें कोई दोराय नही.
संपर्क
श्री भालचन्द्र कुलकणीं
काकोडा, तहसील : मुक्ताईनगर
जिला : जलगॉंव
दूरभाष : ०२५८३-२८३०६९
मोबाईल : ०९४२०९ ३८६४९
कैसे
पहुँचेश्री भालचन्द्र कुलकणीं
काकोडा, तहसील : मुक्ताईनगर
जिला : जलगॉंव
दूरभाष : ०२५८३-२८३०६९
मोबाईल : ०९४२०९ ३८६४९
महाराष्ट्र के खान्देश क्षेत्र के जलगॉंव जिले के मुक्ताईनगर तहसील में यह काकोडा गाव बसा है. काकोडा गॉंव मुक्ताईनगर से ३५ कि. मी. दूर है और जलगावँ से मुक्ताईनगर ३५ कि. मी. दूरीपर है.
हवाई मार्ग : जलगॉंव में हवाई पट्टी है लेकिन हवाई जहाज से मुंबई आकर फिर जलगॉंव आना सुविधाजनक रहेगा. मुंबई से जलगॉंव ४१६ कि. मी. दूरीपर है.
रेल मार्ग : मध्य रेल के मुंबई-हावडा रेललाईन पर जलगाव महत्त्वपूर्ण स्टेशन है.
सडक मार्ग : जलगॉंव आने के लिए गुजराथ, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सर्व प्रमुख शहरों से बससेवा उपलब्ध है. जलगॉंव आने के बाद बस द्वारा काकोडा गॉंव पहुँच सकते है.
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