पूजा के समय अनेक मान्यताओं का पालन किया जाता है। हिन्दू परंपरा के अनुसार पूजा में पुरूषों के लिए धोती और महिलाओं के लिए पीले रंग की साड़ी को श्रेष्ठ माना गया है। यह भी कहा जाता है कि पूजा के वस्त्रों को अलग रखना चाहिए।
सामान्यत: यह बात सभी जानते हैं कि पूजा में काले कपड़े नहीं पहनना चाहिए। यदि पीले,लाल या केसरिया कपड़े पहने जाएं तो उसे बहुत शुभ माना जाता है। परंतु ऐसी मान्यता क्यों है,और इसकी क्या वजह है?दरअसल अगर ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखा जाए तो पीले रंग को गुरु का रंग माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह आध्यात्मिक और धर्म का कारक ग्रह है। ऐसा माना जाता है कि पूजा में पीले,लाल रंग के कपड़े पहनने से मन स्थिर रहता है और मन में अच्छे विचार आते हैं।साथ ही पीले,लाल व केसरिया रंग को अग्रि का प्रतीक माना जाता है।
अग्रि को हमारे धर्म ग्रंथों में बहुत पवित्र माना गया है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि पीला रंग पहनने से मन में पवित्र विचार आते हैं। काले रंग को देखकर मन में नकारात्मक भावनाएं आती हैं। इसके विपरीत पीले रंग को देखकर मन में सकारात्मक भाव आते हैं। इसलिए पूजा में पीले,लाल व केसरिया रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
सामान्यत: यह बात सभी जानते हैं कि पूजा में काले कपड़े नहीं पहनना चाहिए। यदि पीले,लाल या केसरिया कपड़े पहने जाएं तो उसे बहुत शुभ माना जाता है। परंतु ऐसी मान्यता क्यों है,और इसकी क्या वजह है?दरअसल अगर ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखा जाए तो पीले रंग को गुरु का रंग माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह आध्यात्मिक और धर्म का कारक ग्रह है। ऐसा माना जाता है कि पूजा में पीले,लाल रंग के कपड़े पहनने से मन स्थिर रहता है और मन में अच्छे विचार आते हैं।साथ ही पीले,लाल व केसरिया रंग को अग्रि का प्रतीक माना जाता है।
अग्रि को हमारे धर्म ग्रंथों में बहुत पवित्र माना गया है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि पीला रंग पहनने से मन में पवित्र विचार आते हैं। काले रंग को देखकर मन में नकारात्मक भावनाएं आती हैं। इसके विपरीत पीले रंग को देखकर मन में सकारात्मक भाव आते हैं। इसलिए पूजा में पीले,लाल व केसरिया रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
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