कटक । जब तक तिब्बत स्वतंत्र नहीं होगा तब तक भारत का उत्तरी सीमांत असुरक्षित रहेगा । इसलिए तिब्बत की स्वतंत्रता भारत की सुरक्षा से जुडी हुई है । भारत- तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डा कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने यह बात यहां शताब्दी भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में कही । भारत तिब्बत सहयोग मंच के ओडिशा इकाई द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था ।
डा अग्निहोत्री ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु के अदुरदर्शी नीति के कारण तिब्बत की समस्या उत्पन्न हुई और चीन ने तिब्बत को निगलने के बाद 1962 में भारत पर हमला कर दिया और हजारों वर्ग मील भारतीय जमीन चीन की कब्जे में चला गया है । इस भूमि को वापस लेने के लिए संसद ने संकल्प प्रस्ताव पारित किया है लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि भारत का शक्तिशाली बनने से ही हम अपनी जमीन वापस ले सकेंगे और तिब्बत स्वतंत्र हो सकेगा।
कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री ब्रज किशोर त्रिपाठी ने कहा कि तिब्बत को भारत सरकार समर्थन करना चाहिए और भारत की विदेश नीति में परिवर्तन किये जाने चाहिए ।
कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि पूर्व सांसद एम.ए. खारबेल स्वाईं ने कहा कि चीन भारत का कभी दोस्त नहीं हो सकता । इसलिए हम चीन से संबंध सुधारने के लिए जितने भी प्रयास करें, उसका लाभ नहीं होगा । उन्होंने कहा कि तिब्बत के संबंध में भारत की विदेश नीति में खामियां है तथा इसमें परिवर्तन की आवश्यकता है । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विशिष्ट शिक्षाविद डा. नारायण महांति ने कहा कि तिब्बत के मुद्दे पर जन जागरण किये जाने की आवश्यकता है । कार्यक्रम में स्वागत भाषण दीपक कुमार महांत ने किया जबकि सभा का संचालन गौरी शंकर साहु ने किया ।
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