Sunday, December 2, 2012

मर जाएँगे पर घर नहीं जाएँगे-




16 Nov 2012 07:00,
2012-11-16T16:22:58+05:30 नारायण बारेठ जयपुर से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए खिम्मी भील और उनके साथ आये अन्य हिंदू किसी कीमत पार पाकिस्तान वापस जाने के लिए तैयार नहीं खिम्मी भील ने तीन महीने पहले  पाकिस्तान से आते वक़्त वचन दिया था कि वो तीर्थ यात्रा पूरी कर के वापस लौटेंगी लेकिन अब वह भारत में ही रहेगी. राजस्थान की सरकार ने पाकिस्तान से आए 285पाकिस्तानी हिंदुओं को लंबी अवधि का वीजा देने की सिफ़ारिश की है. अगर उन्हें वीजा मिल गया तो ये हिंदू बेरोक-टोक सात सालों तक भारत में रह सकते हैं और उसके बाद नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते हैं. ये लोग धर्म स्थलों की यात्रा के लिए जत्था लेकर पाकिस्तान से भारत आए थे और फिर धर्म के आधार पर पाकिस्तान में उत्पीड़न और पक्षपात का हवाला देकर वापस लौटने से इनकार कर दिया. ये हिंदू पिछले तीन माह में अलग-अलग ऐसे समय भारत में दाखिल हुए जब पाकिस्तान सरकार ने पहले हिंदू अल्पसंख्यको को कथित रूप से भारत जाने से रोका और फिर भारी हंगामे के बाद अनुमति दी.
 जेल भेजो रेल नहीं -
 इन हिंदुओ के मुताबिकइनसे यह करार लिया गया है कि वो भारत में नहीं रुकेंगे और अपनी धार्मिक यात्रा पूरी होते हीवीज़ा में दी गई मियाद के भीतर ही पाकिस्तान लौट आएँगें. लेकिन इनमें से हर हिंदू का कहना था कि चाहे जेल भेज दो लेकिन पाकिस्तान के लिए रेल में मत भेजो. पाकिस्तान से आए इन हिंदुओं के लिए काम करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष सोढ़ा कहते है जो भी हिंदू आए हैवे संगठन के अस्थायी कैंप में पनाह लिए हुए है. सोढ़ा का कहना है, "पाकिस्तान में जैसे हालात हैअभी हिंदू अल्पसंख्यको का आना जारी रहेगाहम चाहते है कि भारत सरकार तुरंत ऐसे हिंदुओ के लिएशिविर स्थापित करे. इससे पहले भी जब 1971 और 1965 के भारत-पाक जंग में हिंदुओ ने भारत में शरण ली तो सरकार ने उनके लिए कैंप स्थापित किये थे. ताज्जुब है इस बार भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया"संगठन के मुताबिक अब तक पाकिस्तान से भील या दलित बिरादरी के लोग ही पलायन कर भारत आ रहे थे. लेकिन अब छोटे-छोटे अन्य हिंदू जाति समूह के लोग भी भारत आने लगे है. कोई डेढ़ माह पहले पाकिस्तान से रेबारी चरवाह बिरादरी के 24 लोग भारत चले आए. साल 2004 में तेरह हजार पाकिस्तानी हिंदुओ ने भारत की नागरिकता हासिल की और अभी सात हजार और भी भारत की नागरिकता के लिए क़तार में खड़े है. कानाराम भील पहले पाकिस्तान के पंजाब सूबे में रहीमयार खान जिले में रहते थे. अब वो सदा के लिए अपने घर वतन को छोड़ आए हैं. कानाराम कहते है, "अपना घर छोड़ना आसान नहीं होता. हम वहां जिल्लत की जिंदगी जी रहे थेहमारे बच्चे स्कूल नहीं जा सकते थे. हमेशा खौफ़ का साया घेरे रहता था. औरतें घरों में कैद होकर रह जाती थीऐसे माहौल में अब ज्यादा रहना मुश्किल थालिहाजा मौका मिलते ही भारत चले आए.इन हिंदुओं के मुताबिक भारत उनके आगमन को निरुत्साहित कर रहा है. चेतन भील कहते हैं, "हमें उम्मीद थी कि वीज़ा नियमों को थोड़ा सरल किया जाएगा. किंतु जिस तरह वीज़ा नियमो में नयी शर्ते जोड़ी गई हैउससे साफ़ है भारत पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं के आगमन को निरुत्साहित कर रहा है. सोढ़ा बताते हैं, "ज्यादा लोग विजिटर वीज़ा पर भारत आते थेलेकिन उसकी शर्तों को कठोर बना दिया गया. सो अब लोग धार्मिक वीज़ा पर भारत का रुख करने लगे है.महंगी नागरिकता राजस्थान में सरकार ने पाकिस्तान से आये उन हिंदुओं के लिए नागरिकता की प्रक्रिया शुरू की है जो लगातार सात साल से भारत में रह रहे है. पर इन हिंदुओ के अनुसार नागरिकता की फ़ीस इंतनी ज्यादा है कि अधिकांश पाकिस्तानी हिंदुओ के लिए आवेदन करना ही मुश्किल होगा. एक प्रेमचंद भील 2005में पाकिस्तान के सूबा सिंध से भारत आए. लेकिन नागरिकता अब तक नहीं मिली है. वो कहते है उनके परिवार में 15 लोग है. उन्होंने बताया''हमें भारत की नागरिकता नहीं मिली है. नागरिकता के लिए फीस बूते से बाहर हैइसमें छह श्रेणियाँ है और फीस पांच हजार से लेकर पचीस हजार तक हैअब क्या एक लुटे-पिटे खेतिहर मजदूर के लिए इतने रूपए जुटाना संभव है." उधर पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार रहता रहा है कि उसके यहाँ हिंदूअल्पसंख्यकों साथ कोई भेदभाव किया जाता है. लेकिन इन हिंदुओ का आना अब भी जारी है.

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