हैदराबाद के दिलसुख नगर में हुए बम विस्फोटों के मामले में जांच एजेंसियों को अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। विस्फोट के तुरंत बाद गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि खुफिया विभाग को आतंकी हमले की जानकारी थी, हमने संबंधित राज्यों को अलर्ट भी कर दिया था। अगर जानकारी थी तो कुछ किया क्यों नहीं और विस्फोट हो ही गया तो जानकारी के बावजूद उनकी एनआईए और उनके ही राज्य की पुलिस अब तक खाली हाथ क्यों है? हां, इतना जरूर हुआ है कि शक के आधार पर कुछ लोगों से पूछताछ हुई है। कहा जा रहा है कि घटनास्थल पर लगे एक सीसीटीवी कैमरे की धुंधली तस्वीरों की पहचान के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) अमरीकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) की मदद ले रही है। यह कितनी बड़ी विडम्बना है कि जो देश पिछले तीन दशक से आतंकवाद से पीड़ित है उसके पास आतंकी घटनाओं की जांच की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है।
पिछले दिनों बम विस्फोटों से घायल लोगों का हालचाल जानने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैदराबाद आए। उनसे पहले गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी हैदराबाद आए थे। इन नेताओं ने लोगों को आश्वासन दिया कि दोषी जल्द पकड़े जाएंगे, पीड़ितों को न्याय मिलेगा। किंतु अस्पताल में भर्ती पीड़ितों, उनके परिजनों और अन्य लोगों ने इन नेताओं से पूछा कि आखिर कब तक दहशतगर्द बम विस्फोट करते रहेंगे? निर्दोष कब तक मारे जाएंगे? किंतु इन सवालों का जवाब लोगों को नहीं मिला। जो सरकार आतंकवाद को खत्म करने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाएगी, वह ऐसे प्रश्नों का उत्तर दे भी नहीं सकती है।
एक बार फिर हैदराबाद लौटते हैं और उस होटल की बात करते हैं जिसमें फर्जी पते पर पांच लोग ठहरे थे। सूत्रों का कहना है कि धमाकों के बाद ये लोग होटल नहीं लौटे। सीसीटीवी कैमरे से पता चलता है कि ये लोग एक साथ होटल से निकलते थे और एक साथ लौटते थे। धमाके के समय इनमें से तीन लोग बाहर थे और दो अंदर। किंतु विस्फोट के बाद ये सभी होटल के कर्मचारियों को बताए बिना भाग गए। पुलिस इनकी पड़ताल कर रही है।
उधर दिल्ली में तिहाड़ जेल में बंद आईएम आतंकवादी मकबूल ने विशेष शाखा के सामने खुलासा किया है कि आईएम के 30-40 आतंकी अभी भी हैदराबाद, चेन्नै, कोलकाता, मुम्बई और दिल्ली में छिपे हैं। इन सबके तार आजमगढ़, दरभंगा, नांदेड़ और कोयम्बटूर से जुड़े हैं। इन्हें दुबई स्थित अलबशीर कैंप से हवाला के जरिए पैसा मिलता है। मकबूल आंध्र प्रदेश के निजामाबाद जिले के धर्माबाद का रहने वाला है और उस पर कई गंभीर आरोप हैं। आंध्र प्रदेश की सीआईडी ने भी सिमी ओर आईएम से जुड़े कुछ संदिग्धों से पूछताछ की है। आशंका जताई जा रही है कि इन विस्फोटों में स्थानीय लोगों की भी भागीदारी रही है। लोगों का कहना है कि इन धमाकों की जांच ईमानदारी से होनी चाहिए, नहीं तो फिर वही होगा जो अब तक होता रहा है।
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