सादर जय श्रीराम ! तीर्थराज प्रयाग में पूर्णकुम्भ के पावन अवसर पर 7 फरवरी, 2013 को धर्मसंसद एवं सन्त महासम्मेलन आयोजित किया गया था। दोनों कार्यक्रमों में सन्तों की संख्या तथा उत्साह अभूतपूर्व था। सम्मेलन अनवरत 5 घण्टे तक चलता रहा। सभी वक्ता-सन्तों ने श्रीराम जन्मभूमि पर शीघ्र भव्य मन्दिर निर्माण करने हेतु जहाँ हुंकार भरी वहाँ कपड़े के मन्दिर में विराजमान रामलला की वर्तमान स्थिति पर आक्रोश भी व्यक्त किया।
पूज्य सन्तों ने श्रीराम जन्मभूमि पर शीघ्र भव्य मन्दिर-निर्माण का संकल्प लिया है। सन्तों ने विजय महामन्त्र (श्रीराम जय राम जय जय राम) के जपयज्ञ अनुष्ठान की घोषणा की है। सन्तों ने इच्छा व्यक्त की है कि हर हिन्दू परिवार 11 अप्रैल, 2013 ईस्वी (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, वर्ष प्रतिपदा, विक्रमी सम्वत्-2070) से 13 मई, 2013 (वैशाख शुक्ल तृतीया, अक्षय तृतीया) तक कुल 33 दिन का संकल्प कर इस जपयज्ञ में स्वयं सहभागी बनें और जन-जन को सहभागी बनायें।
आपसे निवेदन है कि आप अपने टेलीविजन चैनल, दैनिक/साप्ताहिक/पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं/जागरण पत्रिकाओं में सन्तों के द्वारा घोषित कार्यक्रम का प्रकाशन कर जपयज्ञ-कार्यक्रम को जन-जन तक पहुँचाने की कृपा करें।
जपयज्ञ के पूर्व लिया जानेवाला संकल्प
आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार विक्रमी संवत् 2070 को पुण्य क्षेत्र (अपने जिले/नगर का नाम उच्चारण करें) के मन्दिर/स्थान पर मैं/हम (सभी अपना-अपना नाम व गोत्र उच्चारण करें) भगवान् श्रीरामचन्द्र जी को साक्षी मानकर तथा पवित्र भगवा ध्वज की प्रतिष्ठा कर संकल्प करते हैं कि:-
क. अयोध्या में आज जहाँ रामलला विराजमान हैं वह स्थान ही श्रीराम जन्मभूमि है, इस सत्य को हम साकार करेंगे।
ख. श्रीराम जन्मभूमि परिसर सहित उसके चारों ओर की सम्पूर्ण 70 एकड़ अधिगृहीत भूमि को श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर-निर्माण करने के लिए अब अविलम्ब संसद में निर्णय करवाकर हिन्दू समाज के सम्मान एवं भावना की रक्षा करेंगे।
ग. हम अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में कोई नई मस्जिद या इस्लामिक केन्द्र नहीं बनने देंगे।
घ उपरोक्त लक्ष्य पूर्ण करने हेतु अजेय हिन्दू समाज की निर्मिति के लिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अक्षय तृतीया तक किए जाने वाले विजय महामंत्र ‘‘श्रीराम जय राम जय जय राम’’ की प्रतिदिन न्यूनतम 13 माला जप करके 13 कोटि निर्धारित जप यज्ञ में सहभागी बनेंगे।
श्रीराम जय राम जय जय राम इति विजयमंत्रस्य 13 मालाजपम् अहं करिष्ये/वयं करिष्यामहे।
जपयज्ञ सम्बन्धी अन्य सूचनाएँ
01. 11 अप्रैल वर्ष प्रतिपदा के दिन मन्दिरों में सामूहिक सपरिवार एकत्र आकर जपयज्ञ का संकल्प, 13 माला जप, सन्तों के प्रवचन से कार्यक्रम का प्रारम्भ कराया जा सकता है।
02. विश्व हिन्दू परिषद का प्रखण्डस्तर तक का दायित्ववान कार्यकर्ता न्यूनतम 5 ग्रामों में जपयज्ञ कार्यक्रम प्रारम्भ कराये। नगरों के कार्यकर्ता जिस मौहल्ले में निवास करते हैं उसके आसपास के 5 मौहल्लों में जपयज्ञ कार्यक्रम प्रारम्भ करायें।
03. प्रत्येक जिले में न्यूनतम 10 हजार हिन्दू परिवार जप करें। एक परिवार में कितने भी व्यक्ति जप कर सकते हैं। पूज्य सन्तों की इच्छा यही है कि परिवार के सभी सदस्य जप करें। प्रतिदिन कम से कम 13 माला अवश्य जपें।
04. जप करनेवाला परिवार या व्यक्ति अपने घर के ऊपर एक भगवा पताका फहराए। जपकर्ता व्यक्ति अपने हाथ में संकल्प सूत्र बाँधें।
05. जपकर्ता परिवार/मन्दिर/सत्संग/विद्यालय अपनी जपसंख्या का विवरण कापी या डायरी में नोट करें।
06. 15 वर्ष से 30 वर्ष तक के आयुवर्ग का प्रत्येक नवयुवक/नवयुवती जपयज्ञ के माध्यम से मन्दिर निर्माण कार्य में सहभागी बने। जपयज्ञ कार्यक्रम में मातृशक्ति की भूमिका अत्यन्त प्रभावी होगी।
07. एक जिले के 10,000 हिन्दू परिवारों में अर्थात् एक ग्रामीण जिले में 200 गाँव अर्थात् प्रत्येक एक लाख आबादी क्षेत्र में 20 गाँव, प्रत्येक गाँव में 50 परिवारों से सम्पर्क कराना। नगर-गाँव के हर मौहल्ले में जप हो। मन्दिर में एकत्र होकर सामूहिक जप कर सकते हैं।
08. विद्यालय, मन्दिर, धार्मिक, सामाजिक तथा व्यावसायिक संस्थाएं इस अनुष्ठान में प्रभावी भूमिका निर्वाह करें। मन्दिरों एवं विद्यालयों में बैनर टाँगे जा सकते हैं।
09. विद्यालयों में छात्रों से आग्रह किया जाए कि वे अपने घरों में नित्य 13 माला जप स्वयं करें तथा माता-पिता को भी जप करने का निवेदन करें।
10. जपकर्ता अपने सम्पर्क के कम से कम 11 परिवारों तक कार्यक्रम को पहुँचाने का प्रयास करें।
11. बैनर, पत्रक-स्टीकर्स एवं पत्रकारवार्ताओं के माध्यम से कार्यक्रम को जन-जन तक पहुँचाएँ।
12. ग्रामीण क्षेत्रों में नवयुवकों की टोलियों, साइकिल-मोटर साइकिल से जिले का भ्रमण करके दीवार लेखन द्वारा जपयज्ञ को जन-जन तक पहुँचाएँ। नगरों में प्रभातफेरियाँ निकालें। भजन मण्डलियों को प्रेरित करें।
13. जपयज्ञ का उद्देश्य समाज को समझाने के लिए सन्तों के लिए क्षेत्र निर्धारित करें। सन्त अपने भक्तों को जपयज्ञ की प्रेरणा दें। सन्त तीर्थस्थानों पर जपयज्ञ के आयोजन/अनुष्ठान करें। तीर्थपुरोहितों का सहयोग प्राप्त करें।
14. अवकाश प्राप्त/वानप्रस्थी व्यक्ति पूर्णकालिक रूप में सक्रिय हों।
15. 13 मई अक्षय तृतीया को जपयज्ञ की पूर्णाहुति नगर, कस्बे के एक कोने के मन्दिर से दूसरे कोने के मन्दिर तक सामूहिक ‘विजय मंत्र जप’
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