Tuesday, July 17, 2012

The question of SC on Amaranatha Jatra is mostly favourable for nation .


विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री डॉ0 सुरेन्द्र जैन का
अमरनाथ यात्रा के संबंध में प्रेस वक्तव्य
नई दिल्ली-17 जुलाई] 2012
विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मंत्री डा. सुरेन्द्र कुमार जैन ने अमरनाथ यात्रा के सम्बन्ध में मा. सर्वोच्च  न्यायालय द्वारा उठाये गए कदम का स्वागत करते हुए कहा कि ये प्रश्न वे ही है जिनको लेकरविश्व हिन्दू परिषद् गत कुछ वर्षो से सम्बंधित  सभी पक्षों का निरंतर ध्यान आकर्षित कर रही थी और बार -बार चेतावनी देती थी कि यदि इस दिशा में प्रयास नहीं किये गए तो घातक परिस्थितियों का निर्माण हो सकता है परन्तु इन पक्षों  ने न  केवल इन विषयो की अपराधिक  उपेक्षा की अपितु अपना पूरा ध्यान अमरनाथ यात्रा की अवधि को कम करने के लिए कुतर्को को गढ़ने पर ही लगाया |उनका एक कुतर्क यात्रियों की सुरक्षा का भी था लेकिन अब ध्यान में आ रहा है कि इन दुर्भाग्यजनक मौतों को रोका जा सकता था अगर राज्यपाल अवधि कम करने के हठ पर न अड़े रहते इन मौतों के लिए कोई और नहीं राज्यपाल तथा अमरनाथ  श्राइन बोर्ड  ही जिम्मेदार है इन सबको अपनी जिम्मेदारी स्वीकार  करते हुए अविलम्ब अपने पदों से त्याग पत्र देना चाहिए |
 पावन अमरनाथ यात्रा में तीर्थ यात्रियों की भारी मात्रा में मौतों  पर मा. सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केन्द्रीय सरकार जम्मू कश्मीर सरकार तथा अमरनाथ श्राइन बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए जिन प्रश्नों को उठाया है ,उनसे इस सभी संस्थानों की हिन्दुओ के प्रति संवेदन्शुन्यता ही स्पष्ट होती है ये प्रश्न नहीं आरोप है और इन सब की कार्यशैली पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाते है |गत एक वर्ष विश्व हिन्दू परिषद् ने इन्ही प्रश्नों को लेकर महामहिम राष्ट्रपति मा. प्रधानमंत्री मा.गृह मंत्री ,मा. राज्यपाल और श्राइन बोर्ड के प्रत्येक सदस्य के दरवाजो पर कई बार दस्तक दी परन्तु इनमे से अधिकांश ने मिलना भी गवारा नहीं किया समाज के कई धार्मिक संगठन राज्यपाल से मिलना चाहते थे परन्तु तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने  इन सबको समय ही नहीं दिलवाया इसका यह मतलब स्पष्ट है कि उनकी रूचि यात्रा की व्यस्था  में नहीं किसी और को खुश करने में ही थी चाहे उनको खुश करने में यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ करना पड़े मा. सर्वोच्च न्यायालय का यह नोटिस इन सभी को  कटघरे में खड़ा करता है अब इन्हें केवल सर्वोच्च न्यायालय को नहीं हिन्दू समाज को भी जवाब देना पडेगा |
जिन आठ प्रश्नों के विषय में मा. सर्वोच्च न्यायालय ने प्रश्न पूछे है , वे इस यात्रा के विषय में मूलभूत प्रश्न है और जिनके विषय में मुखर्जी कमीशन तथा जस्टिस कोहली ने विस्तार से चर्चा की है जस्टिस कोहली के सुझाव आदेश है जिनकी उपेक्षा करके  श्राइन बोर्ड ने न्यायपालिका की अवमानना भी की है |श्राइन बोर्ड के करणीय कार्यो की विस्तृत चर्चा श्राइन बोर्ड एक्ट में भी की गई है इन सबकी उपेक्षा करके इन्होने न केवल यात्रियों के साथ अन्याय किया है अपितु एक अक्षम्य अपराध भी किया है जिसके लिए न तो न्याय पालिका उन्हें क्षमा करेगी और न देश की जनता जिस बोर्ड का चरित्र हीहिन्दू  विरोधी हो उनसे और क्या अपेक्षा की जा सकती है इसलिए विहिप की मांग है कि इस श्राइन बोर्ड को अविलम्ब भंग कर एक हिंदू चरित्र का बोर्ड बनाया जाये जिससे यात्रा  सुचारू रूप से चल सके और न्यायपालिका को बार बार हस्तक्षेप करने की आवश्यकता ही न रहे |

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