Dubai Port World Kochi, Red Sander Smuggling and Anti- National Activities
रक्त चन्दन तस्करी, दुबई पोर्ट वर्ल्ड की सांठगांठ औरSEZ एवं बंदरगाहों की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह…
भारत सरकार की “सब कुछ निजी हाथों में बेचो” की नीति(?) के तहत कोच्चि बंदरगाह पर दुबई पोर्ट वर्ल्ड (DPW) नामक एक निजी कम्पनी, अंतरराष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल चलाती है। बंदरगाहों जैसे नाज़ुक सुरक्षा स्थानों पर देश के साथ कैसा खिलवाड़ किया जा रहा है, यह पिछले कुछ दिनों में कोच्चि बंदरगाह की घटनाओं से साफ़ हो जाता है। देशद्रोहियों एवं तस्करों की आपसी सांठगांठ को दुबई पोर्ट वर्ल्ड जैसी कम्पनियाँ अपना मूक या अंदरखाने सक्रिय समर्थन दे रही हैं।
मामला कुछ यूँ है कि खुफ़िया राजस्व निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence –DRI) ने कुछ दिनों पहले दुबई पोर्ट वर्ल्ड (Dubai Port World) द्वारा नियंत्रित एवं संचालित कोच्चि बंदरगाह पर छापा मारा एवं रक्तचन्दन की बेहद महंगी लकड़ियों से भरा एक कंटेनर जब्त किया, जिसकी कीमत करोड़ों रुपए है। DRI के अधिकारियों ने पाया कि इस चन्दन तस्करी के पीछे एक पूरा तंत्र काम कर रहा है जिसे आंध्रप्रदेश में कार्यरत माओवादियों का भी सक्रिय समर्थन हासिल है।
जब DRI अधिकारियों ने इस मामले में सबूत जुटाने शुरु किए तो उन्हें पता चला कि इस चन्दन तस्करी गैंग के प्रमुख कर्ताधर्ता कन्नूर निवासी शफ़ीक एवं चेन्नई निवासी शाहुल हमीद हैं, जो कि दुबई में रहते हैं और वहीं से इस “रैकेट” को संचालित करते हैं। आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के जंगलों से रक्त चन्दन के बहुमूल्य पेड़ों को काटकर इसे दुबई पोर्ट वर्ल्ड के बंदरगाह द्वारा दुबई पहुँचाया जाता रहा है, जहाँ से शफ़ीक और हमीद इसे हांगकांग एवं चीन भेज देते हैं, जहाँ महंगे फ़र्नीचरों तथा बहुमूल्य वाद्य यंत्रों के निर्माण में इस लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। DRI की जाँच में पता चला है कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैंग है जिसके तार केरल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, दुबई व चीन तक फ़ैले हुए हैं।DRI ने इस मामले में इंटरपोल की मदद भी माँगी है, ताकि शफ़ीक एवं हमीद को भारत लाया जा सके।
समूचे मामले का भण्डाफ़ोड़ उस समय हुआ जब DRI के अधिकारियों ने शक के आधार पर पलक्कड निवासी अनिल कुमार के एक कण्टेनर को पकड़ा जिसे रबर की चटाईयों के नाम पर देश के बाहर भेजा जा रहा था, जबकि उसमें रक्त चन्दन की लकड़ियाँ भरी पड़ी थीं। इसके बाद राजस्व अधिकारियों के कान खड़े हुए और उन्होंने तत्काल एक अन्य कंटेनरों में भरी 17 टन लकड़ियाँ (मूल्य ढाई करोड़) तथा एक अन्य कण्टेनर में 10 टन लकड़ियाँ जब्त कीं, मजे की बात यह है कि दुबई पोर्ट वर्ल्ड के कर्मचारियों द्वारा इन कण्टेनरों को “रबर चटाई” कंटेनर कहकर कस्टम से पास कर दिया गया था। पूछताछ में अनिल कुमार ने बताया कि उसे यह लकड़ियाँ कडप्पा और चित्तूर से प्राप्त हुई हैं, यह इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, जहाँ उनकी मर्जी के बिना कोई भी ट्रक न बाहर जा सकता है, न अन्दर आ सकता है। अब DRI के खुफ़िया अधिकारी इसकी जाँच कर रहे हैं कि रक्त चन्दन की तस्करी की आड़ में नक्सली सिर्फ़ करोड़ों रुपया कमाने में लगे हैं अथवा इनकी सांठगांठ दुबई स्थित “डी-कम्पनी” से भी है और दुबई पोर्ट वर्ल्ड कम्पनी तथा SEZ की आड़ में नक्सली हथियार भी प्राप्त कर रहे हैं।
जिस प्रकार छत्तीसगढ़, झारखण्ड जैसे राज्यों में नक्सलियों की आय बॉक्साइट एवं अयस्क खदान ठेकेदारों से “वसूली” द्वारा होती है, उसी प्रकार आंध्रप्रदेश में नक्सलियों की आय लकड़ी तस्करों एवं रेड्डी बंधुओं जैसे महाकाय खनिज माफ़िया से चौथ वसूली के जरिये होती है, वरना 2-2 लाख रुपये में मिलने वाली AK-47 जैसे महंगे हथियार उन्हें कहाँ से मिलेंगे, चीन और पाकिस्तान भी नक्सलियों को फ़ोकट में हथियार कब तक देंगे? वीरप्पन की मौत के बाद रक्त चन्दन तस्करी पर माफ़िया एवं नक्सलियों का कब्जा हो रहा है।
इस घटना से यह स्पष्ट हुआ है कि वल्लारपदम (कोच्चि) स्थित एवं दुबई पोर्ट वर्ल्ड कम्पनी द्वारा संचालित यह बंदरगाह अंतर्राष्ट्रीय तस्करों, नक्सलियों एवं अवैध व्यापार करने वालों का स्वर्ग बन चुका है। सबसे खतरनाक बात यह है कि SEZ के नाम पर इस कम्पनी को “विशेषाधिकार”(?) प्राप्त हैं, तथा बंदरगाह के अधिकांश इलाके में कस्टम विभाग, DRI अधिकारियों एवं भारत सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। दुबई पोर्ट वर्ल्ड कम्पनी, पहले भी एक-दो बार कस्टम अधिकारियों को “उनके इलाके”(?) से दुत्कार कर भगा चुकी है। इसके बाद यह तय किया गया कि दुबई पोर्ट वर्ल्ड द्वारा जहाजों पर लादे जाने वाले माल एवं सभी कण्टेनरों की जाँच कस्टम विभाग इस बंदरगाह से कुछ किलोमीटर दूर स्थित विलिंग़डन द्वीप पर करेगा, एक बार यह जाँच पूरी होने के बाद कस्टम एवं DRI का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता। “सब कुछ बेचो” नीति के तहत भारत सरकार इस अपमानजनक स्थिति में फ़ँसी हुई है, जबकि उस विलिंग़डन द्वीप से लेकर दुबई पोर्ट वर्ल्ड संचालित बंदरगाह तक बीच के चन्द किलोमीटर के रास्ते में तस्कर और अंतर्राष्ट्रीय अपराधी अपना “खेल” कर जाते हैं, और या तो पूरा का पूरा कण्टेनर ही बदल देते हैं या कण्टेनर के अन्दर का माल “रबर चटाई” की जगह “रक्त चन्दन” मे बदल जाता है।
दुबई पोर्ट वर्ल्ड कम्पनी के प्रवक्ता का कहना है कि हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, हमारी अपनी सुरक्षा व्यवस्था(?) है जो पूरी तरह चाक-चौबन्द है। यदि भारत सरकार एवं कस्टम अधिकारियों को कोई शिकायत है तो वे नियमों में परिवर्तन करके पूरे बंदरगाह की स्थायी सुरक्षा केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सौंप सकते हैं।
केरल में काम कर रहे इस्लामी जिहादियों तथा अपराधियों के खाड़ी देशों से काफ़ी पुराने“मधुर सम्बन्ध” हैं, ऐसे में अल्लाह ही जानता है कि दुबई पोर्ट वर्ल्ड कम्पनी के इस बंदरगाह से न जाने किस कण्टेनर में कौन सा माल आया और कौन सा माल भारत से बाहर गया। जैसा कि कई रिपोर्टों में बताया जा चुका है, केरल में मलप्पुरम नामक एक मुस्लिम बहुल जिला है, जहाँ केरल सरकार और पुलिस की औकात दो कौड़ी की भी नहीं है, वहाँ समानांतर इस्लामी शरीयत सरकार चलती है। ऐसा बताया जाता है कि मलप्पुरम, कासरगौड़, कन्नूर जिलों के अन्दरूनी इलाके में “डी-कम्पनी” द्वारा भारी मात्रा में पाकिस्तानी करेंसी खपाई गई है तथा गुटों के “आपसी लेनदेन” में इस करेंसी को स्वीकार भी किया जाता है। लगता है कि अब धीरे-धीरे हम कासरगौड जिले से लेकर त्रिवेन्द्रम तक समूचे समुद्री तट पर एक अन्य समानान्तर व्यवस्था कायम कर देंगे, जिसे संचालित करने वाली दुबई पोर्ट वर्ल्ड जैसी कम्पनियाँ होंगी, जिन पर “खुली अर्थव्यवस्था”एवं “SEZ” के नियमों के कारण भारत सरकार का नहीं, बल्कि खाड़ी देशों के अपराधियों का नियंत्रण होगा।
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