Friday, November 16, 2012

मुद्दा: सब कुछ नहीं है धन

Dainik Jagranयदि कोई देश समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ रहा है तो इसका यह मतलब नहीं है कि वहां के नागरिकों की खुशी में भी इजाफा होगा। एक सर्वे के मुताबिक देशों की आर्थिक तरक्की का संबंध वहां के लोगों की प्रसन्नता से नहीं है:
मकसद : इस सर्वे का मकसद उस आम धारणा का पता लगाना था कि क्या अमीर देशों के नागरिक औसतन ज्यादा सुखी हैं? क्या राष्ट्र की सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] बढ़ने से नागरिकों की प्रसन्नता की भावना में भी इजाफा होता है?
सर्वे: शोधकर्ताओं ने 37 देशों के जीवन संतुष्टि आंकड़े लिए। इनमें विकसित और विकासशील देश, अमीर और गरीब, पूर्व साम्यवादी और पूंजीपति देश शामिल किए गए। इनमें 2005 तक विभिन्न कालखंड के 12-34 साल के नागरिकों के आंकड़े एकत्रित किए गए।
आय बनाम खुशहाली: चीन, चिली और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की पिछले 20 वर्षो में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हुई है लेकिन व्यक्तियों की खुशहाली की भावना में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं पाई गई।
-चीन और चिली में कुछ हद तक जीवन संतुष्टि पाई गई लेकिन ऐसे लोगों की संख्या आंकड़ों के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं थी।
-दक्षिण कोरिया में नवें दशक में जीवन संतुष्टि का भाव कुछ हद तक आया लेकिन 1990-2005 में उसमें गिरावट पाई गई।
निष्कर्ष : सर्वे में पाया गया कि एक निश्चित समय अवधि में तो राष्ट्रों के बीच और उसके भीतर इन दोनों के बीच संबंध है लेकिन दीर्घ अवधि में ऐसा नहीं है।

Dainik Jagran

No comments:

Post a Comment