Wednesday, March 30, 2011

2011 Census figures released by the Registrar General of India


2011 Census figures released by the Registrar General of India

According to provisional  and Census Commissioner C Chandramauli on Thursday, India's population today stands at 1,210.2 million (Male--623.7 million and Female--586.5 million). The 15th National Census report claims that in the past one decade India’s population grew by only 18 crore. 
Highest population density has been recorded in Delhi's north-east district (37,346 per sq km) while the lowest is in Dibang Valley in Arunachal Pradesh (just one per sq km
The report will provide the latest picture on socio-economic front for the country. Nearly 2.1 million officials were employed in this exercise to visit every structure serving as a home across 630,000 villages and 5,000 cities.

They also took note of the availability of toilets, drinking water, electricity, as well as the type of building materials for a comprehensive picture of Indian housing. Besides, the enumerators also collected information on Internet, mobile phone and bank account usage

विवाह के बिना ही विधवा


 

विवाह के बिना ही विधवा

सारदा लहांगीर रायगड़ा से लौटकर


वह न तो विधवा हैं न विवाहित, मगर उन्हें सिर मुंडाए रखना पड़ता है और सफेद कपड़े पहनने होते हैं. 40 बरस की टांगिरी वाडेबा वाकई विधवा की जिंदगी जी रही हैं.
विधवा
टांगिरी बताती हैं, ''जब मैं 18 साल की थी तब मेरे गांव के ही एक युवक से मेरी शादी तय हुई थी. हमारे डोंगरिया कोंध वंश की परंपरा के अनुसार दुल्हे के परिजनों और मित्रों ने रिश्ते को लेकर बात की और उसके बाद शराब और मांस का भोज हुआ. पारंपरिक औपचारिकता निभाते हुए मेरे परिवार ने दुल्हे के परिवार को शराब और भैंस तथा घरेलू सामान भेंट किए, ताकि हमारा विवाह अच्छे से हो सके. मगर कुछ मुद्दों को लेकर लड़के के परिवार वालों ने विवाह से इनकार कर दिया. मुझे अब अपने टूटे हुए पवित्र प्रस्ताव की खातिर जिंदगी भर उसका इंतजार करते हुए विधवा की तरह रहना होगा. मैं जानती हूं कि वह कभी नहीं आएगा, लेकिन हमारी परंपरा हमें ऐसा करने को मजबूर करती है.”

ओड़िशा के नियामगिरी पहाड़ी की तराई में रहने वाली टांगिरी वाडेबा इलाके की उन महिलाओं में से हैं, जिन्होंने अपनी खुशियों की उम्मीद में जाने कितनी रातें गुजार दीं लेकिन उनके हिस्से एक ऐसा सुरंग आया, जिसका रास्ता कहीं खुलता ही नहीं था.

दूसरी ओर, टांगिरी वाडेबा से शादी टूटने के बाद लड़के ने कहीं और विवाह कर लिया.

डोंगरिया कोंध की कठोर परंपराओं की वजह से युवा महिलाओं को वैवाहिक प्रस्ताव टूटने की स्थिति में विधवा की तरह रहना होता है क्योंकि वे मानते हैं कि वे पवित्र नहीं रहीं, इसलिए उनका कहीं और विवाह नहीं हो सकता.

टांगिरी ही नहीं राइलिमा गांव में 20 से ज्यादा महिलाएं यह त्रासदी झेल रही हैं. इनमें से कई महिलाएं तीस से चालीस बरस की हो गई हैं और उस व्यक्ति की राह देख रही हैं, जो उनके जीवन में सबसे पहले आया था कि वह फिर लौट आएगा.

काड्रका टांगिरी, हुईका गुडी, हुइका मेदिरी, हुईका बारी, काड्रका अम्बे, हुईका सुनु, सिक्कालट, आमलू, हुईका सीतामा, हुईका लच्छमा और.... ये ऐसी ही कुछ महिलाओं के नाम हैं. ग्रामीण बताते हैं कि रायलिमा ही क्यों आसपास के अनेक गांवों में ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं, जिनकी नियति तानगिरी जैसी ही है.

व्यवस्था और परंपराएं तो समाज की बेहतरी के लिए होती हैं, लेकिन इस बेतुकी परंपरा ने रायगड़ा जिले के कल्याणसिंहपुर ब्लाक की डोंगरिया महिलाओं का जीवन दूभर कर दिया है. नियामगिरी पहाडिय़ों में कल्याणसिंहपुर की सुनाहंडी पंचायत में पुराना आदिवासी गांव रायलिमा स्थित है. यहां पीढिय़ों से डोंगरियां कोंध आदिवासी रहते हैं.
विधवा

मैंने वहां ऐसी अनेक महिलाओं को देखा जिनके सिर मुंडे हुए थे, वे सफेद साडिय़ां पहनी हुई थीं और उनके शरीर में ऐसा कोई गहना भी नजर नहीं आया जो कि अक्सर कोंध लड़कियां और महिलाएं पहनी रहती हैं. उन्हें देखकर मुझे लगा, मानो वे विधवा हैं. लेकिन पता चला कि इन गरीब महिलाओं को रूढिय़ों ने इस तरह से रहने को मजबूर किया है.

डोंगरिया आदिवासियों की एक और परंपरा है, जिसके मुताबिक गांव के आखिरी छोर पर क्लबनुमा घर होता है, जहां युवा आदिवासी एक दूसरे घुलते-मिलते हैं और अंतरंग होते हैं. यहां प्रेम पनपता है. उसके बाद परिजन इस रिश्ते को विवाह के अंजाम तक पहुंचाते हैं. लड़के के परिजन लड़की के परिजनों से मिलते हैं और विवाह की पेशकश करते हैं, साथ में शराब और भैंस का उपहार देते हैं.

यदि दूसरा पक्ष राजी हो जाए, तो बदले में उसे लड़के वालों को इन्हीं चीजों के साथ घरेलू सामान उपहार में देने होते हैं. एक तरह से यह विवाह प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत होती है, जिसकी परिणती उनके विवाह के रूप में होती है.

हालांकि युवा इतने भाग्यशाली नहीं होते कि उनका कोई रिश्ता बन ही जाए. उन्हें पारिवार से तय होने वाली शादी के जरिये ही घर बसाना होता है. मगर कई बार असहमतियां होने के कारण ऐसे प्रस्ताव टूट जाते हैं और फिर इसका खामियाजा सिर्फ लड़की को भुगतना पड़ता है और उसे जिंदगी भर उस व्यक्ति का इंतजार करना पड़ता है, जिससे उसके कभी रिश्ते बने थे. ऐसे मामलों में लड़के वालों को तोहफे लौटाने पड़ते हैं. मगर इस तरह का शायद ही कोई मामला पुलिस तक पहुंचता है.

मैंने राइलीमा की अनेक ऐसी शोषित महिलाओं से उनके जिंदगी के संघर्ष के बारे में बात की. उन्होंने घबराते हुए सपनों के बारे में बताया, उन सपनों के बारे में जो ध्वस्त हो चुके हैं, वे भी जो अब भी उनकी आंखों में हैं.

वे अपने भावी दुल्हे का इंतजार कर रही हैं, जो कभी नहीं आने वाले. विवाह की उनकी उम्र अब गुजर चुकी है और अब उनके पास अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखरेख करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. नियामगिरी पहाडिय़ों पर विश्वास कर वे संघर्ष कर रही हैं. वे सामान्य जिंदगी जीना चाहती हैं. वे कहती हैं कि किसी तरह की सरकारी मदद मिल जाए तो उनका संघर्ष कम हो सकता है.

डीकेडीए यानी डोंगरिया कोंध विकास एजेंसी और वन विभाग द्वारा एकत्र किए गए आंकड़े बताते हैं कि अभी डोंगरिया आदिवासियों की आबादी 7,952 है. डोंगरिया कोंध पर शोध करने वाले उदय चंद्र पांडा ने बताया कि लड़कियां सिर्फ अपनी परंपरा के सम्मान में विधवा बनी रहती हैं. इस सामाजिक परंपरा की वजह से उनकी आबादी में वृद्धि नहीं हो पा रही है. ऐसे में सरकार और समाज को उन्हें बताना चाहिए कि यह परंपरा उनके अस्तित्व के लिए घातक साबित हो रही है.

India plans major road projects on China, Pak borders


India plans major road projects on China, Pak borders
March 29, 2011

India is all set to build 558 roads at a cost of Rs 500 billion along the border with two hostile neighbours -- China and Pakistan -- in a bid to effectively counter the former, which is working at a break-neck speed to execute world-class infrastructure along the Indo-China and Indo-Pakistan border region.

Sources in the Union home ministry and Border Roads Organisation confirmed the report and added that the 27,986 kms of road projects are expected to be completed by 2030 in a phased manner. In the first phase, a total of 277 road projects have been earmarked to be completed at a cost of Rs 248.86 billion. The total length of the projects is estimated to be 13,100 kms. 

However, maximum priority has been attached to the completion of all the road projects along the Indo-China border. To ensure time-bound completion of all the road projects, the BRO has recently moved 46 of its units to Arunachal Pradesh, 21 units to Sikkim, 33 units to Uttarakhand ,seven units to Himachal Pradesh and 61 units to Jammu and Kashmir.

This apart, the central government has also decided to build an all weather road along the 1,417 km long Indo-Myanmar border region besides construction of at least 50 helipads to ensure quick reaction from the air force and the infantry, in case of any eventuality.

India had redrafted its military doctrine on building border infrastructure along the Indo-China region as road and rail connectivity at the international border areas are now seen as a force multiplier in a real war situation, as they help faster movement of equipment and quick mobilisation of troops against any enemy build up.

To ensure time-bound implementation of all these projects besides making an on-the-spot study of the available resources and additional requirements, Defence Minister A K Antony accompanied by the Army Chief V K Singh visited all the sensitive posts along the Indo-China border region. Later, the Antony interacted with the jawans deployed along the border posts and also held a high level meeting with the commanders and others posted in the region.

Similarly, Union Home Minister P Chidambaram also toured the Arunachal Pradesh including the border districts Tirap and Changlang besides Manipur and Mizoram to get a feel of the border areas.

While the leadership in New Delhi has finally begun execution of its massive road network projects along the Indo-China border region, it is still ignoring expansion of rail network in the border areas of sensitive the north-east region. The recent rail budget did not mention anything about its proposed eight projects to build 277 km long rail line at a cost of Rs 2,692 crore with neighbouring countries.

The five pending projects in Bhutan are: the 58-km Kokrajhar-Gelephu, (Rs 302 crore), the 51-km Pathshala-Nanglam, (Rs 753 crore), the 41-km Rangia-Sandrup Jhonkar via Darrang, (Rs 581 crore), the 23-km Banarhat-Samtse, (Rs 205 crore) and the 18-km Hashimara-Phunt Sholing, (Rs 168 crore).

The three pending projects in Nepal are: the 12-km Nepalganj road to Nepalganj (Rs 149 crore), 15-km long Nautanwa to Bhairwaha, (Rs 176 crore) and 56-km New Jalpaiguri to Kakrabitta, (Rs 358 crore).          

On the other hand, China has already expanded its rail network up to Tibet. Now it is working on another plan to extend its rail line from Lhasa to its second largest city of Xiagaze to get the access to its strategically located Chumbi valley. This valley is close to the Sikkim and Siliguri corridor, connecting the entire north-east through rail and road network.

Besides the rail network, China has also expanded its road network along the Indo-China border region in the last decade. According to sources, China has so far constructed three major highways, of around 6,000 km, besides 55 more roads along the border.

Significantly, the Centre has decided not to reopen the historic Stilwell Road despite intense pressure, mainly from the trading community. This road has been caught up in complications as both the Indian security agencies and the Myanmar government are reluctant to reopen this historic road. Myanmar is apprehensive of the militants which hold sway over its Kachin province, and might create major law and order problem if this road is reopened.

On the Indian side, the Stilwell Road is 61 km, on the Chinese side its 632 km, and the major stretch lies on the Myanmar side, at around 1,033 km. China has, however, started developing a 1,739 km long road from Kunming in Yunnan province to Pangsau pass on the Indo-Myanmar border.

China is also helping Pakistan to develop highways on Jaglot-Skardu Road and Sazin-Thakot Road besides preparing a feasibility report on the Karakoram highway-Dushnabe Road within the disputed Pakistan-occupied Kashmir. Besides, China is also funding Pakistan for its ambitious power projects and other infrastructural development within PoK.

Sujit Chakraborty in New Delhi
 

नया साल जो आया है


नया साल जो आया है       


विजय कुमार
लीजिये, हंसता और मुस्कुराता, खिलखिलाकर नव उल्लास बिखराता, निराशा को भगाता और आशा को बटोरता नया वर्ष फिर से आ गया। चारों ओर देखिये, पेड़ नये पत्तों और कलियों के आगमन से कैसे झूम रहे हैं। पेड़-पौधे मुक्तहस्त होकर सुगंध बांट रहे हैं। भला कौन वह मूर्ख होगा, जो परिवार में आ रहे नये सदस्यों को देख खुश न हो। पशु हो या पक्षी, मानव हो या वनस्पति; सब पुराने के जाने पर दुखी होते हैं; पर वह दुख नवआगत के स्वागत के कारण धूमिल भी हो जाता है। यही सृष्टि का नियम है, इसलिए आज सब खुश है। आखिर क्यों न हों, नया साल जो आया है।
पर फिर एक जनवरी क्या है ? हां, वह भी नया साल है; पर वह विदेशी है। कुछ लोग कहते हैं कि ईसा के जन्म से नया साल प्रारम्भ हुआ; पर यह बात आज तक कोई नहीं समझा पाया कि यदि यही सत्य है, तो फिर नया साल 25 दिसम्बर से क्यों नहीं होता; या फिर एक जनवरी को ईसा का जन्म क्यों नहीं मनाया जाता ? और हां, वे 25 दिसम्बर को बड़ा दिन कहते हैं। जबकि भूगोल बताता है कि मकर संक्रांति (14 अप्रैल) से दिन बढ़ने लगता है और सबसे बड़ा दिन 21 जून होता है। सच तो यह है कि अंग्रेजी वर्ष अवैज्ञानिक ही नहीं, अनैतिहासिक भी है।
असल में पश्चिम में अधिकांशतः सर्दी रहती है, इसलिए उन्होंने अपनी कालरचना सूर्य को केन्द्र मानकर की। दूसरी ओर अरब के रेगिस्तान प्रायः तपते ही रहते हैं। इसलिए उनके जीवन में चन्द्रमा की शीतलता का अधिक महत्व है। यही उनके कैलेंडर के साथ भी हुआ। इस कारण ये दोनों कैलेंडर अधूरे रह गये। पहले तो वे साल में 10 महीने ही मानते थे। फिर पश्चिम ने भूल सुधार कर इनकी संख्या 12 कर ली; पर मुस्लिम कैलेंडर आज भी वहीं है। इसीलिए कभी ईद सर्दी में आती है, तो कभी गर्मी या बरसात में।
एक अजब बात और; उनका दिन रात के अंधेरे में बारह बजे प्रारम्भ होता है। शायद ऐसे लोगों के लिए ही शास्त्रों में निशाचर शब्द आया है। निशाचरी अपसंस्कृति के प्रभाव से ही सब ओर चरित्रहीनता और अपराध बढ़ रहे हैं। जब वे 10 महीने का वर्ष मानते थे, तो सितम्बर (सप्त अम्बर: सातवां महीना), अक्तूबर (अष्ट अम्बर: आठवां महीना), नवम्बर (नवम अम्बर: नवां महीना) और दिसम्बर (दशम अम्बर: दसवां महीना) यह गणना सही थी। भूल पता लगने पर उन्होंने प्रारम्भ में जनवरी और फरवरी जोड़ दिये; पर सितम्बर से दिसम्बर वाले महीनों के नाम नहीं बदले।
अब जरा उनके साल को भी देखिये। किसी महीने में 28 दिन हैं, तो किसी में 31। कैलेंडर बनाते समय संत आगस्ट के नाम पर एक महीना बनाकर उसमें 31 दिन कर दिये; पर यह एक दिन कहां से लायें ? किस्मत की मारी फरवरी उनके सामने पड़ गयी। बस उसके 30 में से ही एक दिन काट लिया गया। अब तत्कालीन शासक जूलियस सीजर ने कहा कि एक महीना उनके नाम पर भी होना चाहिए। इतना ही नहीं, वह अगस्त से पहले और 31 दिन का ही हो। इसलिए उनके नाम पर जुलाई बना दिया गया; पर फिर एक दिन वाली समस्या आ गयी। गरीब फरवरी की गर्दन पर फिर छुरी चलाकर एक दिन काटा गया। वह बेचारी आज भी अपने 28 दिनों के साथ जुलाई और अगस्त को कोस रही है।
यह कार्य 532 ई0 में जूलियस सीजर के राज्य में हुआ था। अतः यह रोमन या जुलियन कैलेंडर कहलाया। इसमें चार साल में एक बार 366 दिन वाले लीप वर्ष की व्यवस्था भी की गयी; पर यह गणना भी पूरी तरह ठीक नहीं थी। इसमें एक साल को 365.25 दिन के बराबर माना गया, जबकि यह सायन वर्ष (365.2422 दिन) से 11 मिनट, 13.9 सेकेंड अधिक था। फलतः सन 1582 तक इस कैलेंडर में 10 अतिरिक्त दिन जमा हो गये। अतः पोप ग्रेगोरी ने एक धर्मादेश जारी कर 4 अक्तूबर के बाद सीधे 15 तारीख घोषित कर दी।
लोग 4 अक्तूबर की रात को सोये थे; पर वे उठे तो उस दिन 15 अक्तूबर था। एक साथ दस दिन की यह नींद अजब थी। यदि कुंभकर्ण को पता लगता, तो वह अपने इन लाखों नये अवतारों से मिलने जरूर आता; पर वहां तो लोग सड़कों पर आकर शोर मचाने लगे। जिनके जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ इन दिनों में पड़ती थी, वे चिल्लाकर अपने दिन वापस मांगने लगे। कुछ लोग भयभीत हो गये कि कहीं उनकी आयु एक साल कम न मान ली जाये; पर कुछ दिन के शोर के बाद सब शांत हो गये।
इस व्यवस्था से बना कैलेंडर ‘ग्रेगोरी कैलेंडर’ कहलाया। सर्वप्रथम इसे कैथोलिकों ने और 1700 ई0 में प्रोटेस्टेंट ईसाइयों ने अपनाया। 1873 में जापान और 1911 में यह चीन में भी प्रचलित हो गया। भारत में अंग्रेजों ने इसे जबरन चलवाया। यद्यपि पर्व-त्योहार आज भी भारतीय कालगणना के आधार पर ही मनाये जाते हैं।
भारत ने स्थिर सूर्य और चलायमान चन्द्रमा दोनों की गणना की। इसीलिए हमारा पंचांग तिथि, मास, दिन, पक्ष और अयन भी बताता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही पृथ्वी का पिंड सूर्य से अलग हुआ था। अतः यह पृथ्वी का जन्मदिन है। ब्रह्मपुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण इसी दिन सूर्योदय होने पर प्रारम्भ किया था।

चैत्र मासे जगदब्रह्मा संसर्ज प्रथमेहनि
शुक्ल पक्षे समग्रं तु तदा सूर्याेदय सति।।

इसके साथ ही इतिहास की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी यह दिन है। इस दिन से नवरात्रों में मां दुर्गा का पूजन एवं व्रत प्रारम्भ होते हैं। त्रेतायुग में श्रीराम और द्वापर में युद्धिष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था। उज्जयिनी के महान सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी शकों को हराकर इसी दिन राजधानी में प्रवेश किया था। उसी स्मृति में विक्रम संवत प्रारम्भ हुआ। विक्रमादित्य की विशेषता यह भी थी कि उन्होंने बचे-खुचे शकों को हिन्दू समाज में ही मिला लिया। आज यह कहना कठिन है कि हममें से कौन उन शकों की संतान है। इसके बाद भी अनेक भारतीय वीरों ने शत्रुओं को धूल चटाई; पर वे उन्हें स्वयं में मिला-पचा नहीं सके। इसलिए शकारि विक्रमादित्य की विजय का महत्व सर्वाधिक है। अर्थात हिन्दू नववर्ष किसी के जन्म का नहीं, अपितु स्वदेश की विजय का पर्व है।
 जब विदेशी मुसलमानों के आतंक से सिन्ध प्रदेश थर्रा रहा था, तो वरुण अवतार झूलेलाल ने चैत्र शुक्ल द्वितीया को जन्म लेकर हिन्दू समाज को त्राण दिलाया। सिख परम्परा के दूसरे गुरु अंगददेव जी का प्राक्टय दिवस भी यही है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने वैदिक मान्यताओं की पुनप्रर्तिष्ठा हेतु आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माता डा0 केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म भी नागपुर में इसी दिन हुआ था।
भारतीय कालगणना की एक अन्य विशेषता यह है कि प्रत्येक संवत्सर इसी दिन से प्रारम्भ होता है। भारत में सृष्टि संवत से लेकर कल्पाब्द, युगाब्द, वामन, श्रीराम, श्रीकृष्ण, युद्धिष्ठिर, बौद्ध, महावीर, शंकराचार्य, शालिवाहन, बंगला, हर्षाब्द, कलचुरी, फसली, वल्लभी आदि अनेक संवत प्रचलित हैं। शासन ने महाराजा शालिवाहन का स्मरण दिलाने वाले शक संवत को अधिकृत संवत माना है (कुछ इसे कनिष्क से जोड़ते हैं)। ईसवी सन में 57 जोड़ने पर विक्रम संवत तथा 78 घटाने से शक संवत की गणना सामान्यतः की जा सकती है। वर्ष 2011 में गणना करने पर भारतीय सृष्टि संवत (1,97,19,61,682) तथा विदेशी कालगणना में चीनी संवत (9,60,02,309) सर्वाधिक प्राचीन हैं।

इसलिए आइये, विदेशी जूठन चाटना छोड़कर अपने महान पुरखों से जुड़ें। किसी कारण से यदि अंग्रेजी तिथियों को मानना और लिखना मजबूरी बन गया हो, तो भी निजी जीवन, पत्र-व्यवहार आदि में तो अपनी कालगणना को प्रयोग किया ही जा सकता है। नयी पीढ़ी को अपनी तिथियांे और मास के बारे में जरूर बतायें। कुछ दिन यह कठिन जरूर लगेगा; पर फिर सरल हो जाएगा।

नव वर्ष वाले दिन शास्त्रों के आदेशानुसार अपने घर, बाजार और सार्वजनिक स्थानों पर भगवा पताका फहरायें। गत वर्ष के अंतिम सूर्य को विदाई देकर नव वर्ष के प्रथम सूर्योदय का सामूहिक स्वागत करें। गली-मौहल्ले और आंगन को साफ कर रंगोली बनायें। युवकों को प्रेरित कर मंदिर या सार्वजनिक स्थल पर देवी जागरण या विशेष पूजा करवायें। घर में श्रीरामचरितमानस या अन्य किसी भी धार्मिक ग्रन्थ का पाठ करें। साफ वस्त्र पहनें, यज्ञ करें और उसमें सभी पड़ोसियों को बुलायें। बाजार, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन आदि सार्वजनिक स्थानों पर मंगलतिलक लगाकर सबको बधाई दें। मिठाई खायें और खिलायें। परिचितों और संबंधियों को शुभकामना-पत्र और सरल मोबाइल संदेश (एस.एम.एस) भेजें। बधाई के बैनर लगाकर बाजार को सजायें। कार्यालय में भी सबको शुभकामना दें। समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर सबको इस कार्य के लिए प्रेरित करें।
इस अवसर पर अपने समाज के निर्धन और उपेक्षित बंधुओं को भी न भूलें। हमारे मौहल्ले और घर में काम करने वाले सफाईकर्मी हांे या घर पर चौका, बरतन करने वाली महरी; सबके कपड़े धोने वाला धोबी हो या चरणसेवा करने वाला मोची; चौकीदार हो या हमारे दैनन्दिन जीवन से जुड़े माली, लुहार, बढ़ई या अन्य कोई श्रमजीवी; सबको आज अपने घर बुलायें; अकेले नहीं, सपरिवार बुलायें। मंदिर के पुजारी और बच्चों के अध्यापकों को भी न भूलें। सबको आदर दें; अपने साथ, अपनी रसोई और मेज पर बैठाकर प्रेम से खाना खिलायें। बच्चों को खिलौने और पाठ्य सामग्री उपहार में दें, तो बड़ों को नये वस्त्र। इसके लिए चै.शु.1 से लेकर श्रीरामनवमी (चै.शु.9) तक कभी भी समय निकाल लें।
एक बार यह करिये तो; फिर देखिये सब ओर कैसा समरसता का वातावरण बनेगा। अमीरी जब अपनी पड़ोसन गरीबी से झुककर गले मिलेगी; शिक्षा जब अपनी सहचरी अशिक्षा का बढ़कर हाथ थामेगी; अहंकार जब सद्व्यवहार को अपने पास बैठायेगा; तब न जातिवाद रहेगा, न क्षेत्रवाद; भाषा और प्रांत के झगड़े कहीं कोने में मुंह दबाये पड़े मिलेंगे। नव वर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन यह सुअवसर हमें उपलब्ध कराता है। आइये, इसका उपयोग करें। प्रेम बांटे और प्रेम पायें। नाचें और गायें, हर्षाेल्लास मनायें, क्योंकि फिर एक साल बाद आज नया साल जो आया है।

An INDIAN BECOMES A PAK AGENT FOR HIS LOVE FOR A PAK GIRL!- a TIMES OF INDIA REPORT


Pak 'agent' gets 7-yr RI for spying
http://timesofindia.indiatimes.com/city/pune/Pak-agent-gets-7-yr-RI-for-spying/articleshow/7820759.cms

AN INDIAN BECOMES A PAK AGENT FOR HIS LOVE FOR A PAK GIRL!
Investigations had revealed that Upadhyay had fallen in love with a Pakistani girl, Fatima Shah, on an Internet chat service two years prior to his arrest. The prosecution said the girl's father, Salauddin Shah, was an ISI agent. Upadhyay visited Pakistan twice - in October 2006 and January 2007 - and had taken army training at an undisclosed location in Karachi


PUNE: March-30:  The court of chief judicial magistrate (CJM) Suchitra Ghodke on Tuesday sentenced Vishalkumar Premchand Upadhyay (28) of Jharkhand to seven years' rigorous imprisonment on charges of spying. The Pune police had arrested Upadhyay on April 8, 2007, accusing him of being an agent of Pakistan's ISI.

The Pune police crime branch had arrested Upadhyay, a second year student of Annasaheb Magar College of Engineering in Pimpri Chinchwad, from his rented room at Ganga lodge in the Deccan Gymkhana area.

According to the prosecution, the police had recovered 12 CDs containing photographs of army units and Hindu religious places from Upadhyay. Two of the CDs contained information regarding defence establishments like the National Defence Academy, Bombay Sappers and the High Explosives factory in Khadki, apart from names and contact numbers of top army officials. The other photographs were of the famed Dagdusheth temple and the Rashtriya Swayamsevak Sangh's office in Modibaug here.

The police had also seized Upadhyay's Indian passport, a Pakistani visa, a receipt of money received from Pakistan through Western Union and two diaries, including one in Urdu, containing addresses of Pakistani citizens.

Investigations had revealed that Upadhyay had fallen in love with a Pakistani girl, Fatima Shah, on an Internet chat service two years prior to his arrest. The prosecution said the girl's father, Salauddin Shah, was an ISI agent. Upadhyay visited Pakistan twice - in October 2006 and January 2007 - and had taken army training at an undisclosed location in Karachi

The police chargesheet names four "absconding" suspects in the case - one Hafiz, Salauddin Shah and two officials of Pakistan's high commission in New Delhi, Sayyad Shahid Hussain Tirmezhi and Abdul Latif alias Javed. Tirmezhi and Javed were immune to prosecution and, on a report submitted by the Pune police, were sent back to Pakistan.

The chargesheet states that Salauddin, aided by Pakistan's high commission officials, helped Upadhyay easily obtain a Pakistani visa. Upadhyay had obtained the photographs from Hafiz.

The judge said the girl had lured Upadhyay by promising to marry him and had also told him that he would be looking after their business interests in London. Upadhyay, while falling for the girl, had acted against the integrity of the nation and had obtained two passports - in 1995 and in 2005, she said.

Ghodke said Upadhyay had accepted money coming from Pakistan in Pune and in New Delhi. He had sent several emails to Pakistan, but none of them referred to his love for Fatima. He had also made and received several telephone calls from Pakistan, the judge said.

Ghodke praised investigating officer Bhanupratap Barge of the crime branch for conducting an in-depth investigation, saying this had helped the court in bringing the guilt of the accused on record.

Upadhyay's lawyer Rajesh Kature pleaded that his client be given an opportunity to reform himself as his father was suffering from paralysis and his sister was of marriageable age. Assistant public prosecutor Prakash Gaikwad, however, said Upadhyay should be given maximum punishment for committing a crime against the nation.

The court held Upadhyay guilty under sections 3 and 9 (spying) of the Official Secrets Act, 1923 and 120(b) (criminal conspiracy) of the Indian Penal Code and sentenced him to seven years' rigorous imprisonment for each count. All sentences will run concurrently.

Upadhyay did not show any remorse after the verdict, but his sister broke into tears. She told her brother that their father was seriously ill and that his mother would not survive after hearing of the conviction. Upadhyay consoled his sister and asked her to take care of their parents. He also told her to get married without waiting for him to return home.
http://timesofindia.indiatimes.com/city/pune/Pak-agent-gets-7-yr-RI-for-spying/articleshow/7820759.cms

असीमानंद का ‘यू टर्न’, कहा- नहीं बनना चाहा सरकारी गवाह


असीमानंद का ‘यू टर्न’, कहा- नहीं बनना चाहा सरकारी गवाह

 

अजमेर. दरगाह समेत देश के अन्य हिस्सों में हुए बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड बताए जा रहे स्वामी असीमानंद उर्फ नबकुमार सरकार ने मंगलवार को यह कहकर सनसनी फैला दी कि जांच एजेंसियों ने उस पर दबाव डाल कर कबूलनामा करवाया था। असीमानंद ने सीबीआई, एआईए और राजस्थान एटीएस पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।

असीमानंद ने सीजेएम आरएल मूंड के समक्ष अर्जी दायर कर कहा कि उसकी ओर से दरगाह ब्लास्ट में अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनने के लिए जो चिट्ठी दी गई है, उसे वह वापस लेना चाहता है। असीमानंद का कहना है कि एटीएस ने दबाव डालकर उसे अप्रूवर बनाने का प्रयास किया है। अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 8 अप्रैल की पेशी तय की है। असीमानंद समेत हर्षद सोलंकी उर्फ राज, मुकेश वासानी और भरत भाई रितेश्वर को मंगलवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में अदालत में पेश किया गया था। एटीएस ने मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने के लिए मोहलत मांगी है।

यह कहा गया है अर्जी में: असीमानंद ने मंगलवार को सीजेएम के समक्ष पेश अर्जी में कहा कि 19 नवंबर 2010 को वह सीबीआई की हिरासत में था उसे भय दिखाकर बयान देने को कहा गया। उसने दबाव में सीबीआई के कहे अनुसार ही बयान दिए। असीमानंद ने यह भी बताया कि सीबीआई के जांच अधिकारी के इच्छानुसार बयान नहीं देने पर उसे दूसरे मामलों में फंसाने और परिवार के लोगों को भी जेल में सड़ाने की धमकी दी गई। असीमानंद ने अर्जी में कहा है कि दिल्ली की अदालत में बयान शुरू होने से पहले ही उसे बता दिया गया था कि किस तरह बयान देने हैं। असीमानंद के अनुसार बयान के समय मामले के जांच अधिकारी कोर्ट रूम के बाहर ही मौजूद थे।

वकील नहीं करने के लिए भी धमकाया: असीमानंद ने अपनी अर्जी में कहा है कि उसे जांच एजेंसियों ने वकील की सेवाएं नहीं लेने के लिए भी कहा था। यही वजह है कि उसने अभी तक किसी मामले में वकील नियुक्त नहीं किया है।

एआईए ने भी किया मजबूर: असीमानंद ने तीन पेज की इस अर्जी में यह भी कहा है कि सीबीआई के बाद नेशनल इंवेस्टीगेटिंग एजेंसी (एआईए) ने भी उसे बयान देने के लिए विवश किया। असीमानंद का कहना है कि पंचकूला में एआईए ने दबाव डालकर उसके बयान दर्ज कर लिए और यह भी धमकी दी कि अगर किसी को बयान के बारे में जानकारी दी तो जेल में सड़ा देंगे।

दबाव डालकर अप्रूवर की चिट्ठी लिखवाई: असीमानंद का कहना है कि राजस्थान एटीएस ने उस पर दबाव डालकर अप्रूवर बनने के लिए जेल से चिट्ठी लिखवाई। उसने कहा जिस दिन उसे न्यायिक अभिरक्षा में सेंट्रल जेल भिजवाया गया था वहीं एटीएस अधिकारियों ने अप्रूवर बनने की चिट्ठी डिक्टेट करवाई। इसके बाद जेल प्रशासन के जरिए वह चिट्ठी अदालत को भिजवाई गई। वही चिट्ठी असीमानंद वापस लेना चाहता है। इसके लिए उसने अदालत से गुहार की है। गौरतलब है कि 15 फरवरी 11 को असीमानंद ने अदालत में पेशी पर अप्रूवर संबंधित चिट्ठी को गोपनीय रखे जाने का आग्रह किया था। असीमानंद के कहने पर अदालत ने उसे सील बंद रखा हुआ है।

उमा भारती को नहीं मिलने दिया: मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष उमा भारती को जिला प्रशासन ने दरगाह व अन्य धमाकों के आरोपी असीमानंद से मुलाकात की इजाजत नहीं दी। उमा ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि असीमानंद के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी के लिए वे उनसे मिलना चाहती थीं। 27 मार्च को जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर कानूनी रूप से मुलाकात की अनुमति मांगी थी। मौखिक अनुमति के आधार पर वे यहां आईं थीं। बाद में जेल प्रशासन ने बताया कि जिनकी ट्रायल चल रही होती है, उनकी सप्ताह में एक बार ही मुलाकात निश्चित होती हैं।

उमा ने कहा, वे शीघ्र ही फिर से असीमानंद से मिलने आएंगी। असीमानंद से मिलने के लिए भोपाल से रवाना हुईं थीं। बाद में जेल प्रशासन ने अवगत करवाया कि जिनकी ट्रायल चल रही होती है, उनकी सप्ताह में एक बार ही मुलाकात निश्चित होती हैं। इस सप्ताह असीमानंद की मुलाकात किसी अन्य व्यक्ति से हो चुकी है। जेल अधिकारियों ने सुझाव दिया कि कलेक्टर विशेषाधिकार के तहत अनुमति दे सकते हैं। कलेक्टर मंजू राजपाल से फोन पर संपर्क कर मुलाकात की अनुमति चाही गई। उन्होंने इसकी इजाजत नहीं दी।

असीमानंद को देखा परेशान, इसलिए मिलना चाहा: उमा भारती

उमा भारती ने बताया कि जब भी उन्होंने टीवी समाचारों में असीमानंद को देखा वे काफी परेशान नजर आए हैं। उन्होंने आशंका प्रकट की है कि जेल में उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। करीब एक साल पहले जब वे प्रज्ञा ठाकुर से जेल में मिली थीं तो उन्होंने बताया कि जेल में उनसे मारपीट की जा रही है। कहीं अजमेर जेल में असीमानंद के साथ भी इसी तरह का व्यवहार तो नहीं हो रहा यही जानने के लिए वे यहां आईं थीं। उमा भारती ने कहा कि वे 

Monday, March 28, 2011

JAGARANA APRIL


A must-read-The surprising benefits of lemon!I remain perplexed!

Subject: A must-read-The surprising benefits of lemon!I remain
perplexed!========================Institute of Health Sciences, 819 N.
L.L.C. Charles Street Baltimore , MD 1201.This is the latest in
medicine, effective for cancer! Read carefully the message you just
sent me, I hope you'll follow!Benefits of lemon.Lemon (Citrus) is a
miraculous product to kill cancer cells. It is 10,000 times stronger
than chemotherapy. Why do we not know about that? Because there are
laboratories interested in making a synthetic version that will bring
them huge profits. You can now help a friend in need by letting him
know that lemon juice is beneficial in preventing the disease. Its
taste is pleasant and it does not produce the horrific effects of
chemotherapy. If you can, plant a lemon tree in your garden or patio.
How many people die while this is a closely guarde d secret so as not
to jeopardize the beneficial multimillionaires large corporations? As
you know, the lemon tree is down, does not occupy much space and is
known for its varieties of lemons and limes. You can eat the fruit in
different ways: you can eat the pulp, juice press, prepare drinks,
sorbets, pastries, ... It is credited with many virtues, but the most
interesting is the effect it produces on cysts and tumors. This plant
is a proven remedy against cancers of all types. Some say it is very
useful in all variants of cancer. It is considered also as an anti
microbial spectrum against bacterial infections and fungi, effective
against internal parasites and worms, it regulates blood pressure
which is too high and an antidepressant, combats stress and nervous
disorders.The source of this information is fascinating: it comes from
one of the largest drug manufacturers in the world, says that after
more than 20 laboratory tests since 1970, the extracts revealed that:
It destroys the malignant cells in 12 cancers, including co lon,
breast, prostate, lung and pancreas ... The compounds of this tree
showed 10,000 times better than the product Adriamycin, a drug
normally used chemotherapeutic in the world, slowing the growth of
cancer cells. And what is even more astonishing: this type of therapy
with lemon extract not only destroys malignant cancer cells and does
not affect healthy cells.Institute of Health Sciences, 819 N. L.L.C.
Cause Street, Baltimore , MD1201SEND TO EVERYONE ... ! ! ! ! !

Sunday, March 27, 2011



Raikia on 12-Mar-2011

The third event on cow donation drive was held on March 12, 2011 in Raikia. It was attended by around 50 people from nearby villages. 13 cows were donated to the beneficiaries during this function. The total cost incurred for this function was Rs 51754/-. With the conclusion of this event, a total of 44 cows have been donated in last 3 months.
The list of beneficiaries are (Name, Village)
  1. Santosh Pradhan (Sudhipada)
  2. Brundavan Pradhan (Bijikama)
  3. Sanatan Pradhan (Katingia)
  4. Devendra Pradhan (Rushiguda)
  5. Sudhir Pradhan (Retudi)
  6. Khageswar Pradhan (Bududipada)
  7. Kamraj Digal (Mandasar)
  8. Krutivas Pradhan (Bradinadu)
  9. Durjyodhan Pradhan (Majumaha)
  10. Sanapati Pradhan (Munagudu)
  11. Pradumna Pradhan (Betikala)
  12. Nayan Pradhan (Nirungia)
  13. Saroj Pradhan (Sitayeju)
It's our firm conviction that cows can transform the life of locals and bring them a better future. With a good number of cows in the neighborhood, we will soon have enough cow-dunk to start with small scale methane-gas plants. This would also help us save nearby forest. The cow-dunk manure will also provide an impetus to the organic farming, which is slowly gaining popularity in this region. In a few years time we might see a greener area around this region.

The cow donation drive has gone into full swing and the second event was held on February 14, 2011 in Raikia. We witnessed a gathering of more than 150 villagers from nearby villages. 19 cows were distributed in the event. To streamline the cow donation drive, we have hired one coordinator who would be responsible for sourcing the cows and getting feedback from the beneficiaries. This would help us in pushing our drive further.

The cows were distributed to following persons. (Name, Village)
  1. Abinash Pradhan, Bakingia
  2. Aravinda Pradhan, Gudakia 
  3. Balamukunda Pradhan, Bakingia  
  4. Bijay Pradhan, Tekapanga
  5. Biswanath Pradhan, DandaPanga 
  6. Brundaban Pradhan, Khalangakrupa  
  7. Dambaru Pradhan, Patali sahi
  8. Dharmaraj Pradhan, Bakingia 
  9. Dillip Pradhan, Sishapanga
  10. Ghanashyam Pradhan, Ketilikia 
  11. Gokula Pradhan, Dumudu
  12. Gopinatha Pradhan, GundaMaha  
  13. Kamadev Pradhan, Pisidima
  14. Mishra Pradhan, Gandachada
  15. Panchanan Pradhan, Pisidima 
  16. Pratap Pradhan, GundaMaha
  17. Purnachandra Pradhan, Mahupanga  
  18. Somanath Pradhan, Gamadei  
  19. Tisipatra Pradhan,  Sishapanga 
Total cost of this event was Rs 89,957/- which includes cost for 19 cows, the transportation and fodder. It also includes the salary of Rs1,500/- paid to the full-time coordinator.

It is really encouraging to see 31 cows being distributed within a span of 1 month. Thanks to all our patrons for their kind support. We look forward to get more support from you.

irst event of cow donation drive 'Gaudaana' was conducted in Pajigalu of Raikia block, Kandhamaal on Jan 16, 2011. The function was attended by around 180 people from nearby villages. A total of 12 cows were distributed to as many families from 8 villages of Raikia block. Fodder for 2 months were also provided. Dr Debashish Mohanty, Veterinary surgeon in Raikia, who was also present during the event has agreed to provide trainings on the maintenance of the cows. 

 Following people were donated a cow each during this event.
  1. Abalakar Pradhan, Gardingia
  2. Antarmayi Pradhan, Pajigalu
  3. Bijay Pradhan, Bakingia
  4. Binara Pradhan, Mandakia
  5. Debaraj Pradhan, Tata maha
  6. Leza Pradhan, Pajigalu
  7. Padma Charan Pradhan, Pajigalu
  8. Papa Pradhan, Bakingia
  9. Sabitra Pradhan, Bakingia
  10. Sanjay Pradhan, Gaudakia
  11. Tarani Pradhan, Jagargi naja
  12. Ugrasen Pradhan,  Kamba gida
Total expenditure for this event was Rs 54,987 (for 12 cows, including expenses incurred for transport, fodder, event organization and training).

All this was possible because of the generosity shown by you. We look forward to more contribution from you and your friends for this movement.

Monday, March 21, 2011

DEFEAT CHINESE DESIGNS AGAINST OUR NATIONAL INTERESTS AND SECURITY


Resolution  2
Rashtriya Swayamsevak Sangh
Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha, Yugabda 5112
March 11-13, 2011
 Puttur (Karnataka)
Defeat Chinese Designs against
our National Interests and Security
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha expresses serious concern over the growing multi-dimensional threat from China and the lackluster response of the Government of Bharat to its aggressive and intimidator tactics. Casual attitude and perpetual denial of our Government in describing gross border violations by the Chinese People's Liberation Army as a case of 'lack of common perception on the LAC', attempts to underplay the severe strategic dissonance between the two countries and failure to expose the expansionist and imperialist manouvers of China can prove fatal to our national interests.
The ABPS cautions that the growing civilian and defence ties between China and Pakistan are a matter of grave concern to our national security. Presence of the 10,000-strong Chinese Army in Skardu ( PoK) in the guise of construction works and repairs to Karakoram highway is a serious issue as it allows China to encircle Kashmir . Other issues of concern that best exemplify Chinese' assertiveness include its offer to export one - Gigawatt (GW) nuclear plant and transfer of ballistic missile technology to Pakistan thus precipitating potential nuclear conflict in the region.
The malafide intentions of China are conspicuous in a number of recent developments. It has falsely charged Bharat of occupying 90,000 sq. km of its territory (including Arunachal Pradesh and Sikkim); It is excluding the state of J&K from Bharat in its maps; It is also excluding 1600 KM-long border in J&K from the LAC on the Tibet-Bharat border; It has initiated issuing paper visas for Bharatiya  citizens from J&K besides citizens from Arunachal Pradesh. The Chinese troops entered Gombir area in Demchok region last year and threatened the civilian workers to stop construction work. In November 2009, a road project under Centrally-sponsored National Rural Employment Guarantee Scheme (NREGS) in Ladakh, was stopped after objections were raised by the Chinese Army. Infact, it is China which has encroached upon our territory inside the LOC in that region and constructed a 54 km long road for military purposes.
The ABPS sees potential danger from the Chinese machinations in our North East. Its continued claims over Arunachal Pradesh shouldn't be taken lightly as it has set its eyes not only on that state but on the entire North East. Recent expose' in a leading Bharatiya weekly about the extent of the involvement of China in arming, encouraging and funding insurgent groups like the NSCN should awaken us to this danger. Besides NSCN insurgents other insurgent groups in the North East like the NDFB, ULFA etc also get patronage from China. It is also a matter of serious concern that the ISI too is operating in cahoots with China in this region. The A.B.P.S. expresses concern over the growing number of cases of Chinese spies being arrested in different parts of the country.
It is well-known that the weapons from the Chinese government weapon manufacturers find their way to the Maoists and other terrorist groups in Bharat through illegal weapon ports like Cox Bazar in Bangladesh. Fake currency also is being pumped into Bharat from China. The ABPS wants to draw the attention of the Government and people to the occasional publications in the officially-controlled Chinese media about dismembering Bharat into 20-30 pieces.
  Penetration of Chinese goods into Bharatiya  market is affecting our manufacturing industry adversely besides posing a serious challenge to our security, health, environment and strategic concerns. The ABPS wants the Government to tackle this issue of China's penetration into our system through trade and commerce with utmost seriousness. All citizens should refrain from using Chinese products as an expression of patriotism.
The ABPS wants to draw the attention of our government and countrymen to the threat from China in the form of diversion of river waters in the South Central  Tibetan region. In the process it would be robbing lower riparian states like Bharat, Nepal, Bhutan, Bangladesh, Myanmar and Thailand of their right to the waters from rivers like Brahmaputra and Sindhu which originate from Kailash - Manasarovar in Tibet. Joint mechanism established in 2007 between Bharat and China to oversee water related issues remain dysfunctional mainly due to the utmost secrecy maintained by China in its water management plans. Two of our states i.e. Himachal Pradesh and Arunachal Pradesh were hit by flash floods and it was suspected at that time that these floods were due to some form of interference in the river flow by the Chinese. Our engineers were not allowed to inspect the upper streams of the river by the Chinese government. The ABPS warns the government that unless the issue is addressed immediately the situation may lead to serious crises between the two countries.
The ABPS urges our Government to take note of the expanding military and diplomatic might of China not only in the immediate neighbourhood but also in the strategically important regions like Africa and the West Asia. China's 3.1 million strong  Army is being rapidly modernized with newer weapons and technology. It has built all-weather roads and extended railway network along Tibet, Nepal and Bharat border. China today is a formidable player in the Indian Ocean region. It is establishing contact with all kinds of renegade dictators in the world including the North Korean and Sudanese dictators. Its strategic experts are propounding such disdainfully dangerous theories like Preventive Use of Nuclear Weapons suggesting that China should reserve the right of first attack against any nuclear power with nuclear weapons as a preventive measure.

In such a challenging scenario the ABPS calls upon the government to:

1.       Reiterate the Parliament’s unanimous resolution of 1962 to get back the territory acquired by China to the last inch.
2.       Take effective measures for rapid modernization and upgradation of our military infrastructure. Special focus should be on building infrastructure in the border areas. Towards that, constitution of a Border Region Development Agency should be considered which would help prevent the migration of the people from the border villages.
3.        Use aggressive diplomacy to expose the Chinese' designs globally. Use all fora including ASEAN, UN etc for mobilizing global opinion.
4.        Disallow Chinese manufacturing industry free run in our markets. Prohibit Chinese products like toys, mobiles, electronic and electrical goods etc. Illegal trade being carried out through the border passes must be curbed with iron hand.
5.       Follow strict Visa norms and maintain strict vigil on the Chinese nationals working in Bharat.
6.        Restrict the entry of Chinese companies in strategic sectors and sensitive locations.
7.        Mobilize the lower riparian states like Myanmar, Bangladesh etc to tell China to stop their illegal diversion of river waters.  

Rashtriya Swayamsevak Sangh Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha, Yugabda 5112

Resolution  1
Rashtriya Swayamsevak Sangh
Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha, Yugabda 5112
March 11-13, 2011
 Puttur (Karnataka)
Need for a decisive blow against corruption
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha expresses grave concern over the endless chain of incidents of widespread corruption surfacing in the country. It is all the more shocking that the people occupying the upper echelons in the Government, including the Prime Minister are engaged in protecting their guilty colleagues till the end by describing them as innocent in spite of incontrovertible evidences pouring out against them.
The ABPS is deeply pained at the way the cases of corruption coming to light, day in and day out are tarnishing the image and reputation of the nation. The magnitude of corruption is such that not only the common man, but even the experts get bewildered. The gross misdeeds in organizing the Commonwealth games have gravely damaged the prestige of the country.  People at the helm of power are either turning a blind eye or taking steps against the guilty as an eye wash under the pressure of the judiciary and media. The country wants to know as to what was the compulsion and which invisible hand was behind the misdemeanor of the top rung of power in a most sensitive matter like the appointment of the Central Vigilance Commissioner.
Unfortunately, the influence of politics is growing in almost every walk of life and the instances of corruption indulged in by the people in seats of power in the post independence era are constantly on the rise. After the Independence, the country has witnessed public anger against corruption resulting in powerful mass movements. The J. P. movement of 1974-75 and imposition of emergency and the mass movement triggered by the Bofors scandal in 1987-1989 culminated in the change of power at the center. But, the change does not seem to have brought about any decline in corruption. On the contrary the form and dimensions of corruption seem to have become more complex and extensive in the wake of economic liberalization. Whether it is the share scandal of 1992 or the recent 2G spectrum scandal, mind boggling figures of money are found to be involved. What needs special mention is that the people involved in these ever increasing acts of corruption are the ones who are highly educated and belong to the affluent class of the society. All these facts clearly indicate that there is need for further intensification and expansion of the process of man-making. 
In this regard the ABPS believes that there is a dire need to organise every rung of social order on the firm foundation of value-based and morally strong conduct of life rooted in the eternal principles of Dharma. This is possible only by reorienting education-system to reflect the national ethos and serve as an effective instrument of character-building and imparting noble samskars. At the same time it is imperative for the people in high positions that they present exemplary models of conduct in their private and public life.
Apart from these reforms of far-reaching consequences, reform in the system of governance & administration and mobilising effective public opinion in favour of that, is equally important. Transparency in governance, administration through minimum and simplified regulations, judicial system based on easy access and timely dispensation of justice, elimination of black money, electoral system capable of effectively curbing the criminalisation of politics and checking the growing influence of money power are a few reforms urgently needed. It is also imperative to ensure proper security for the whistle blowers who courageously expose corruption in the present system at different levels and to have stringent penal provisions against the corrupt. Indeed the poisonous creeper of corruption is responsible for all the contemporary social ills like inflation, unemployment and black money which has also been affecting the country’s development and the internal and external security. In connection with the problem of black money, the government should acquire black money stashed in the country and outside, declare it as the nation’s asset and deploy it for developmental purposes.
 The ABPS appreciates the efforts of such courageous individuals, organizations ,  constitutional institutions, alert media and vigilant Judiciary for their efforts against corruption in the present challenging scenario and calls upon the countrymen to extend their active support for such noble endeavours with utmost personal integrity and also nourish our traditional social institutions actively involved in character-building of our citizens.