Wednesday, March 30, 2011

असीमानंद का ‘यू टर्न’, कहा- नहीं बनना चाहा सरकारी गवाह


असीमानंद का ‘यू टर्न’, कहा- नहीं बनना चाहा सरकारी गवाह

 

अजमेर. दरगाह समेत देश के अन्य हिस्सों में हुए बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड बताए जा रहे स्वामी असीमानंद उर्फ नबकुमार सरकार ने मंगलवार को यह कहकर सनसनी फैला दी कि जांच एजेंसियों ने उस पर दबाव डाल कर कबूलनामा करवाया था। असीमानंद ने सीबीआई, एआईए और राजस्थान एटीएस पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।

असीमानंद ने सीजेएम आरएल मूंड के समक्ष अर्जी दायर कर कहा कि उसकी ओर से दरगाह ब्लास्ट में अप्रूवर (सरकारी गवाह) बनने के लिए जो चिट्ठी दी गई है, उसे वह वापस लेना चाहता है। असीमानंद का कहना है कि एटीएस ने दबाव डालकर उसे अप्रूवर बनाने का प्रयास किया है। अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 8 अप्रैल की पेशी तय की है। असीमानंद समेत हर्षद सोलंकी उर्फ राज, मुकेश वासानी और भरत भाई रितेश्वर को मंगलवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में अदालत में पेश किया गया था। एटीएस ने मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने के लिए मोहलत मांगी है।

यह कहा गया है अर्जी में: असीमानंद ने मंगलवार को सीजेएम के समक्ष पेश अर्जी में कहा कि 19 नवंबर 2010 को वह सीबीआई की हिरासत में था उसे भय दिखाकर बयान देने को कहा गया। उसने दबाव में सीबीआई के कहे अनुसार ही बयान दिए। असीमानंद ने यह भी बताया कि सीबीआई के जांच अधिकारी के इच्छानुसार बयान नहीं देने पर उसे दूसरे मामलों में फंसाने और परिवार के लोगों को भी जेल में सड़ाने की धमकी दी गई। असीमानंद ने अर्जी में कहा है कि दिल्ली की अदालत में बयान शुरू होने से पहले ही उसे बता दिया गया था कि किस तरह बयान देने हैं। असीमानंद के अनुसार बयान के समय मामले के जांच अधिकारी कोर्ट रूम के बाहर ही मौजूद थे।

वकील नहीं करने के लिए भी धमकाया: असीमानंद ने अपनी अर्जी में कहा है कि उसे जांच एजेंसियों ने वकील की सेवाएं नहीं लेने के लिए भी कहा था। यही वजह है कि उसने अभी तक किसी मामले में वकील नियुक्त नहीं किया है।

एआईए ने भी किया मजबूर: असीमानंद ने तीन पेज की इस अर्जी में यह भी कहा है कि सीबीआई के बाद नेशनल इंवेस्टीगेटिंग एजेंसी (एआईए) ने भी उसे बयान देने के लिए विवश किया। असीमानंद का कहना है कि पंचकूला में एआईए ने दबाव डालकर उसके बयान दर्ज कर लिए और यह भी धमकी दी कि अगर किसी को बयान के बारे में जानकारी दी तो जेल में सड़ा देंगे।

दबाव डालकर अप्रूवर की चिट्ठी लिखवाई: असीमानंद का कहना है कि राजस्थान एटीएस ने उस पर दबाव डालकर अप्रूवर बनने के लिए जेल से चिट्ठी लिखवाई। उसने कहा जिस दिन उसे न्यायिक अभिरक्षा में सेंट्रल जेल भिजवाया गया था वहीं एटीएस अधिकारियों ने अप्रूवर बनने की चिट्ठी डिक्टेट करवाई। इसके बाद जेल प्रशासन के जरिए वह चिट्ठी अदालत को भिजवाई गई। वही चिट्ठी असीमानंद वापस लेना चाहता है। इसके लिए उसने अदालत से गुहार की है। गौरतलब है कि 15 फरवरी 11 को असीमानंद ने अदालत में पेशी पर अप्रूवर संबंधित चिट्ठी को गोपनीय रखे जाने का आग्रह किया था। असीमानंद के कहने पर अदालत ने उसे सील बंद रखा हुआ है।

उमा भारती को नहीं मिलने दिया: मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष उमा भारती को जिला प्रशासन ने दरगाह व अन्य धमाकों के आरोपी असीमानंद से मुलाकात की इजाजत नहीं दी। उमा ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि असीमानंद के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी के लिए वे उनसे मिलना चाहती थीं। 27 मार्च को जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर कानूनी रूप से मुलाकात की अनुमति मांगी थी। मौखिक अनुमति के आधार पर वे यहां आईं थीं। बाद में जेल प्रशासन ने बताया कि जिनकी ट्रायल चल रही होती है, उनकी सप्ताह में एक बार ही मुलाकात निश्चित होती हैं।

उमा ने कहा, वे शीघ्र ही फिर से असीमानंद से मिलने आएंगी। असीमानंद से मिलने के लिए भोपाल से रवाना हुईं थीं। बाद में जेल प्रशासन ने अवगत करवाया कि जिनकी ट्रायल चल रही होती है, उनकी सप्ताह में एक बार ही मुलाकात निश्चित होती हैं। इस सप्ताह असीमानंद की मुलाकात किसी अन्य व्यक्ति से हो चुकी है। जेल अधिकारियों ने सुझाव दिया कि कलेक्टर विशेषाधिकार के तहत अनुमति दे सकते हैं। कलेक्टर मंजू राजपाल से फोन पर संपर्क कर मुलाकात की अनुमति चाही गई। उन्होंने इसकी इजाजत नहीं दी।

असीमानंद को देखा परेशान, इसलिए मिलना चाहा: उमा भारती

उमा भारती ने बताया कि जब भी उन्होंने टीवी समाचारों में असीमानंद को देखा वे काफी परेशान नजर आए हैं। उन्होंने आशंका प्रकट की है कि जेल में उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। करीब एक साल पहले जब वे प्रज्ञा ठाकुर से जेल में मिली थीं तो उन्होंने बताया कि जेल में उनसे मारपीट की जा रही है। कहीं अजमेर जेल में असीमानंद के साथ भी इसी तरह का व्यवहार तो नहीं हो रहा यही जानने के लिए वे यहां आईं थीं। उमा भारती ने कहा कि वे 

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