धर्म परिवर्तन के बाद कोटे का लाभ नहीं: कोर्ट
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गांधीनगर। धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने एक व्यक्ति की दलील गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। अनुसूचित जाति के उस व्यक्ति ने हिंदू धर्म छोड़ दिया था लेकिन जाति के लिए निर्धारित कोटे का लाभ पाने का दावा किया था। राज्य सरकार की समिति ने जांच में पाया था कि उसने धर्म परिवर्तन कर लिया है लेकिन याचिकाकर्ता ने इससे इंकार किया था और सरकार द्वारा अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निरस्त करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश एसजे मुखोपाध्याय और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला की खंड पीठ ने याचिकाकर्ता निमेश जावेरी को किसी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि जावेरी और उसके परिवार के सदस्य धर्म परिवर्तन के बाद कोटे का लाभ नहीं ले सकते।
जावेरी ने राज्य प्रशासन से अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र हासिल किया था। जब सरकार तक यह शिकायत पहुंची कि जावेरी ने ईसाई धर्म अपना लिया है तो जांच समिति ने उससे जवाब मांगा। उसने धर्म परिवर्तन की खबर से इंकार किया और दावा किया कि वह अब भी अनुसूचित जाति का हिंदू है। समिति ने जांच में पाया कि उसने ईसाई धर्म अपना लिया था। समिति ने जावेरी और उसके परिवार को दिया गया अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रद करने का निर्देश दिया। जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने समिति के फैसले को बरकरार रखा। जावेरी ने हाई कोर्ट की खंड पीठ में अपील की। कोर्ट ने ने पाया कि जावेरी ने 5 जनवरी 1990 को मजिस्ट्रेट के समक्ष शपथ पत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि उसने 14 जुलाई 1987 ईसाई धर्म अपना लिया है। वह और उसके बच्चे हिंदू वनकार के रूप में नहीं बल्कि भारतीय ईसाई के रूप में जाने जाएंगे।
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गांधीनगर। धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने एक व्यक्ति की दलील गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। अनुसूचित जाति के उस व्यक्ति ने हिंदू धर्म छोड़ दिया था लेकिन जाति के लिए निर्धारित कोटे का लाभ पाने का दावा किया था। राज्य सरकार की समिति ने जांच में पाया था कि उसने धर्म परिवर्तन कर लिया है लेकिन याचिकाकर्ता ने इससे इंकार किया था और सरकार द्वारा अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र निरस्त करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश एसजे मुखोपाध्याय और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला की खंड पीठ ने याचिकाकर्ता निमेश जावेरी को किसी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि जावेरी और उसके परिवार के सदस्य धर्म परिवर्तन के बाद कोटे का लाभ नहीं ले सकते।
जावेरी ने राज्य प्रशासन से अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र हासिल किया था। जब सरकार तक यह शिकायत पहुंची कि जावेरी ने ईसाई धर्म अपना लिया है तो जांच समिति ने उससे जवाब मांगा। उसने धर्म परिवर्तन की खबर से इंकार किया और दावा किया कि वह अब भी अनुसूचित जाति का हिंदू है। समिति ने जांच में पाया कि उसने ईसाई धर्म अपना लिया था। समिति ने जावेरी और उसके परिवार को दिया गया अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रद करने का निर्देश दिया। जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने समिति के फैसले को बरकरार रखा। जावेरी ने हाई कोर्ट की खंड पीठ में अपील की। कोर्ट ने ने पाया कि जावेरी ने 5 जनवरी 1990 को मजिस्ट्रेट के समक्ष शपथ पत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि उसने 14 जुलाई 1987 ईसाई धर्म अपना लिया है। वह और उसके बच्चे हिंदू वनकार के रूप में नहीं बल्कि भारतीय ईसाई के रूप में जाने जाएंगे।
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