केंद्रीय गृह सचिव जी. के. पिल्लै ने कहा है कि कश्मीर का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन, हिज्बुल मुजाहिदीन अब लगभग समाप्त हो चुका है और यदि पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में मौजूद इसका नेतृत्व शांति प्रक्रिया में शामिल होना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। लेकिन सरकार आतंकी नेताओं को तब तक वार्ता के लिए नहीं बुलाएगी, जब तक कि वे हथियार नहीं डाल देते।
आतंकवाद में कमी: पिल्लै ने अपने कार्यालय में एक बातचीत में कहा, 'कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई है। आप हर रोज खबरें पढ़-सुन रहे होंगे कि कोई-न-कोई आतंकी मारा गया। मैं समझता हूं कि हिज्बुल मुजाहिदीन लगभग समाप्त हो चुका है, खास तौर से इसकी पाकिस्तानी जड़ें समाप्त हो गई हैं।'
उन्होंने कहा कि फिलहाल सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है कि वह पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकवादी सरगनाओं, खास तौर से हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख व संयुक्त जिहाद परिषद के प्रमुख (यूजेसी), सैयद सलाहुद्दीन को बातचीत का प्रस्ताव दे। यूजेसी जम्मू एवं कश्मीर में सक्रिय एक दर्जन आतंकी समूहों का संयुक्त मंच है।
हिंसा छोड़नी होगी: पिल्लै ने कहा, 'यदि सलाहुद्दीन बातचीत करना चाहता है, तो उसका स्वागत है, लेकिन उसके पहले उसे हिंसा त्यागनी होगी। हम किसी को इंकार नहीं कर रहे हैं। उसे यहां आकर बातचीत करनी होगी। कोई भी उससे बातचीत करने के लिए उसके पास नहीं जाएगा।'
यह पूछे जाने पर कि सरकार शांति वार्ता में आतंकी सरगनाओं को शामिल करने को लेकर क्यों उदासीन है, गृह सचिव ने कहा, 'कश्मीर में आतंकी संगठनों की संख्या 100 से कुछ ही कम है। कोई उनसे बात भी नहीं कर पाएगा। उनका कोई आधार भी नहीं है।'
खतरा बरकरार : उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा पाकिस्तान से लगी सीमा पर कड़ी चौकसी बरते जाने के बावजूद राज्य में आतंकवाद के फिर से भड़कने का खतरा बना हुआ है। घाटी में अभी भी लोग हैं। पाकिस्तान - अधिकृत कश्मीर में अभी भी सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो इस पार आने की फिराक में हैं , क्योंकि बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है और इससे उन्हें सीमा पार करने में आसानी होती है। हमें सतर्क रहना है , हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
माफी योजना शीघ्र : उन्होंने कहा कि पाकिस्तान स्थित जो कश्मीरी आतंकवादी आत्मसमर्पण करना चाहते हैं और घर वापस लौटना चाहते हैं , उन्हें माफी देने हेतु घोषित योजना जल्द ही शुरू हो जाए गी।
आतंकवाद में कमी: पिल्लै ने अपने कार्यालय में एक बातचीत में कहा, 'कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई है। आप हर रोज खबरें पढ़-सुन रहे होंगे कि कोई-न-कोई आतंकी मारा गया। मैं समझता हूं कि हिज्बुल मुजाहिदीन लगभग समाप्त हो चुका है, खास तौर से इसकी पाकिस्तानी जड़ें समाप्त हो गई हैं।'
उन्होंने कहा कि फिलहाल सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है कि वह पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकवादी सरगनाओं, खास तौर से हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख व संयुक्त जिहाद परिषद के प्रमुख (यूजेसी), सैयद सलाहुद्दीन को बातचीत का प्रस्ताव दे। यूजेसी जम्मू एवं कश्मीर में सक्रिय एक दर्जन आतंकी समूहों का संयुक्त मंच है।
हिंसा छोड़नी होगी: पिल्लै ने कहा, 'यदि सलाहुद्दीन बातचीत करना चाहता है, तो उसका स्वागत है, लेकिन उसके पहले उसे हिंसा त्यागनी होगी। हम किसी को इंकार नहीं कर रहे हैं। उसे यहां आकर बातचीत करनी होगी। कोई भी उससे बातचीत करने के लिए उसके पास नहीं जाएगा।'
यह पूछे जाने पर कि सरकार शांति वार्ता में आतंकी सरगनाओं को शामिल करने को लेकर क्यों उदासीन है, गृह सचिव ने कहा, 'कश्मीर में आतंकी संगठनों की संख्या 100 से कुछ ही कम है। कोई उनसे बात भी नहीं कर पाएगा। उनका कोई आधार भी नहीं है।'
खतरा बरकरार : उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा पाकिस्तान से लगी सीमा पर कड़ी चौकसी बरते जाने के बावजूद राज्य में आतंकवाद के फिर से भड़कने का खतरा बना हुआ है। घाटी में अभी भी लोग हैं। पाकिस्तान - अधिकृत कश्मीर में अभी भी सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो इस पार आने की फिराक में हैं , क्योंकि बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है और इससे उन्हें सीमा पार करने में आसानी होती है। हमें सतर्क रहना है , हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
माफी योजना शीघ्र : उन्होंने कहा कि पाकिस्तान स्थित जो कश्मीरी आतंकवादी आत्मसमर्पण करना चाहते हैं और घर वापस लौटना चाहते हैं , उन्हें माफी देने हेतु घोषित योजना जल्द ही शुरू हो जाए गी।
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